लोक भाषा ही है देववाणी संस्कृत



राजस्थान,
इंडिया इनसाइड न्यूज़।

दिनांक 11 अक्टूबर 2020 रविवार को सायं 5 बजे लोकभाषा प्रचार समिति, राजस्थान शाखा के तत्वावधान में "लोकभाषा हि संस्कृतम्" विषय पर एक अर्न्तजालीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के संयोजक एवं लोकभाषा प्रचार समिति, राजस्थान शाखा के उपाध्यक्ष तथा राजकीय महाविद्यालय सह-आचार्य एवं संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ• पूर्णचन्द्र उपाध्याय ने बताया कि, उक्त कार्यक्रम में देश के विभिन्न प्रान्तों राजस्थान, ओडिशा, गुजरात, कर्णाटक, पश्चिम बंगाल एवं बिहार से 36 से अधिक संस्कृत विद्वानों, शोधार्थियों व प्रशिक्षकों ने सहभागिता की।

वैदिक मंगलाचरण पूर्वक कार्यक्रम के प्रारम्भ होने के पश्चात कार्यक्रम के उद्घाटक डॉ• राजेन्द्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति आचार्य प्रफुल्ल कुमार मिश्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि, देश के गाँव-गाँव, ढाणी-ढाणी व प्रत्येक शहर के विभिन्न स्थानों पर नियमित रुप से संस्कृत सम्भाषण शिविर व प्रशिक्षण शिविरों के आयोजन से देववाणी संस्कृत भाषा के प्राचीन स्वरुप जन जन की भाषा का रुप पुन: जागृत हो सकेगा।

इसी क्रम में लोकभाषा प्रचार समिति, राजस्थान शाखा के अध्यक्ष डॉ• निरंजन साहु ने विषय प्रवर्तन करते हुए राजस्थान में संस्कृत भाषा को लोकभाषा बनाने के लिए किये गये विगत 30 वर्षों का लेखा-जोखा पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला।

इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक डॉ• उपाध्याय ने विद्यालयीन, महाविद्यालयीन व विश्वविद्यालयीन शिक्षा में संस्कृत विद्यार्थियों की संख्या न्यूनता को लेकर अपनी चिन्ता जताई, साथ ही, संस्कृत विद्वानों के समक्ष इसे एक यक्ष प्रश्न के रुप में उपस्थापित कर उक्त समस्या के समाधानार्थ ठोस प्रयास किये जाने के लिए आग्रह किया।

कार्यक्रम के आधार पुरुष व लोकभाषा प्रचार समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ• सदानन्द दीक्षित ने अपने उद्बोधन में कहा, कि लोकभाषा प्रचार समिति अपने अपने स्थापना काल से लेकर सुदीर्घ 38 वर्षों के काल खण्ड में न केवल भारतवर्ष अपितु इण्डोनेशिया, जर्मन व अमेरिका आदि विदेशों में भी संस्कृत भाषा को जन भाषा बनाने के लिए निरंतर प्रयत्नशील है।

संगोष्ठी में लोकभाषा प्रचार समिति, ओडिशा शाखा के अध्यक्ष डॉ• बिपिन बिहारी शतपथी, लोकभाषा प्रचार समिति, राजस्थान के शाखा के उपाध्यक्ष डॉ• लालाशंकर गयावाल, उपाध्यक्ष डॉ• मनोज शर्मा, सचिव डॉ• आशुतोष पारीक, संस्कृत भारती के चित्तोड़ प्रान्त, राजस्थान के संगठन महामंत्री देवेन्द्र पाण्ड्या, प्रशिक्षक भैरुलाल राठोर, ओडिशा शाखा के सचिव नीरद आर्य, केन्द्रीय प्रशिक्षक सुशान्त साहु, डॉ• प्रकाश चन्द्र मिश्र ने अपने विचार प्रस्तुत किये। शान्ति पाठ के साथ कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा की गयी।

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