--एकलव्य कुमार,
भरतपुर-राजस्थान, इंडिया इनसाइड न्यूज़।
सरसों अनुसंधान निदेशालय की ओर से छोंकरवाड़ा में सरसों प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। इस मौके पर निदेशालय के प्रधान वैज्ञानिक डॉ• अशोक शर्मा ने किसानों को सरसों की खेती में तकनीक के समावेश से उपज में वृद्धि के बारे में विस्तार से बताया। डॉ• शर्मा ने कहा कि विगत 10 सालों में किसानों ने अनुसंधान से विकसित प्रजातियों एवम तकनीकों को अपनाया जिसके कारण सरसों की उत्पादकता में करीब ढाई गुना बढ़ी है।
उन्होंने बताया कि देश में विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के अनुरूप सरसों की कई उन्नत किस्मों का विकास किया गया। उन्होंने कहा कि किसान वैज्ञानिक अनुसंधान से विकसित प्रजातियों और तकनीकों को वैज्ञानिक सलाह से अपनाकर सरसों का दोगुना उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है की किसान अपने क्षेत्र की जलवायु के हिसाब से ही कृषि विधियों का चयन करें।
डॉ• शर्मा ने कहा कि निदेशालय की ओर से हर वर्ष किसानों के खेतों पर नई किस्मों और तकनीकों का प्रदर्शन किया जाता है। इस वर्ष भी भरतपुर के विभिन्न गाँवो में सरसों की उन्नत किस्मों गिर्राज, एनआरसीएच बी 101, आरएच 725, सीएस-60, की प्रथम पंक्ति लगाकर उसकी उपज क्षमता का प्रदर्शन किसानों के खेतों पर किया जा रहा है। साथ ही उन्होनें किसानों से आग्रह किया कि उपज में बढ़ोतरी के लिए अच्छी किस्मों के चयन करें और दूसरे किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि किसानों की उन्नति से ही कृषि का विकास होगा। इस दौरान कृषि वैज्ञानिकों एवं किसानों ने खेतों पर अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन में लगाई गई गिर्राज किस्मों का अवलोकन किया और उपज क्षमता का आकलन कर चर्चा की।
इस अवसर पर निदेशालय के प्रधान वैज्ञानिक डॉ• अरुण कुमार ने राई-सरसों की उन्नत किस्में, वैज्ञानिक डॉ• मुरलीधर मीना ने सरसों में पोषक तत्व प्रबंधन, डॉ• अर्चना अनौखे ने राई-सरसों में कीट प्रबंधन के बारे में किसानों को विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम में निदेशालय के तकनीकी अधिकारी राकेश गोयल भी शामिल हुए। डॉ• रूपेंद्र ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में 150 किसानों और महिलाओं ने शिरकत की।