असम के कृषि अधिकारियों ने लिया सरसों की उन्नत खेती का प्रशिक्षण



---एकलव्य कुमार,
भरतपुर-राजस्थान, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

सरसों अनुसंधान निदेशालय भरतपुर की ओर से 17-19 दिसंबर तक असम सरकार के कृषि अधिकारियों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण व भ्रमण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रतिभागियों को निदेशालय के निदेशक डॉ• पी• के• राय ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि देश के उत्तर पूर्वी राज्यों विशेषकर असम की कृषि जलवायु एवम आर्थिक सामाजिक परिस्थितियां राई-सरसों की खेती के अनुकूल है।

इन क्षेत्रों में धान की खेती के बाद किसान खेतों को खाली रखते हैं। किसानों की जोत छोटी है साथ ही पानी की कमी है। इन परिस्थितियों में अन्य फसलों की अपेक्षा राई-सरसों की खेती ही किसानों के लिए लाभदायक है। क्योंकि यह फसल कम पानी और कम लागत में भी आर्थिक रूप से लाभदायक उत्पादन देने में सक्षम है।

● बढ़ेंगे रोजगार के अवसर

डॉ• राय ने कहा कि असम के देश के राई-सरसों के कुल क्षेत्रफल व उत्पादन में क्रमशः 474 व 252 प्रतिशत योगदान है। साथ ही तकरीबन 5 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल धान की खेती के बाद खाली रहता है। उन्होंने कहा कि सरसों अनुसंधान निदेशालय की तरफ से सतत प्रयास किए जा रहे हैं कि धान की खेती के बाद खेत खाली न रहें और वहां के किसान राई-सरसों की खेती करें। डॉ• राय ने कहा कि इन क्षेत्रों में राई-सरसों का प्रदर्शन में उत्पादन अच्छा रहा है। यदि असम के किसान राई-सरसों की खेती करते हैं तो उनकी अन्य राज्यों से आयात किये जानेवाले इस खाद्य तेल पर निर्भरता कम होगी साथ ही देश में खाद्य तेलों की उत्पादकता में भी इजाफा होगा। तेल उत्पादन से जहां स्थानीय उपभोक्ताओं को कम कीमत में सरसों तेल मिल पायेगा वहीं रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

इस अवसर पर प्रशिक्षण समन्वयक प्रधान वैज्ञानिक डॉ• अशोक शर्मा ने बताया कि कृषि प्रसार अधिकारी किसानों से सीधे संपर्क में रहते हैं। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कृषि अधिकारियों से असम में राई-सरसों की खेती में आनेवाली समस्याएं तथा इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए उपयुक्त रणनीति पर विचार विमर्श किया गया। साथ ही उन्हें राई- सरसों की उन्नत किस्में, पोषक तत्व प्रबंधन, कीट रोग प्रबंधन और वैज्ञानिक शस्य क्रियाओं से भी अवगत कराया गया। प्रशिक्षणार्थयों को व्यवहारिक अनुभव के लिए निदेशालय के अनुसंधान प्रक्षेत्रों का भ्रमण, स्थानीय किसानों से संवाद, तेल निष्कर्षण की लघु इकाई तथा शहद प्रसंस्करण इकाई का भ्रमण भी करवाया गया।

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