आबू रोड,
इंडिया इनसाइड न्यूज़।
प्रैस परिषद के पूर्व सदस्य एंव भारतीय श्रमजीवी पत्रकार संघ दिल्ली के अध्यक्ष राजीव रंजन नाग, कोलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रो• उपकुलपति उज्जवल चौधरी व माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डा• संजय द्विवेदी ने कहा है कि व्यवसाय की नैतिकता, सिद्धांत और आदर्शों से मीडिया कर्मियों को सलंग्र रहना होगा।
रविवार को ब्रह्माकुमारीज के मीडिया प्रभाग द्वारा शांतिवन आबू रोड में आयोजित मीडिया महासम्मेलन के तीसरे दिन खुले सत्र को संबोधित करते हुए राजीव रंजन नाग ने कहा कि देश की आजादी के 72 वर्ष बाद पहली बार सर्वोच्च न्यायालय के कुछ न्यायमूर्तियों को अपनी बात कहने के लिए मीडिया के समक्ष आना पड़ा। इसके बावजूद मीडिया की स्वतंत्रता पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। ऐसी स्थिति में प्रतिस्पर्धा की होड़ में गलत जानकारी देने के प्रति और अधिक सावधान रहना होगा। स्थिति यह है कि समाज द्रोही तत्वों को दंगा फैलाने में 24 घंटे का समय लगता है लेकिन टीवी चैनल यह काम केवल 24 सैकेंड में कर देते हैं। वातावरण इतना प्रदूषित हो गया कि मानसिक रूप से परेशान व्यक्ति भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर नकारात्मक टिप्पणी करने से परहेज नहीं करता और वह सोशल मीडिया के माध्यम से पूरे देश में फैल जाती है। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि सरकार आने वाले समय में मीडिया पर अंकुश बढ़ा देगी।
प्रो• उज्जवल चौधरी ने पत्रकारों से कहा कि बिना प्रलोभन और दबाव के अपनी बात कलम के माध्यम से प्रस्तुत करें। विकासोन्मुख और प्रेरणादायी समाचारों को महत्व दें। जानबूझकर सत्य छिपाना या तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करना व्यवसाय की नैतिकता का उल्लंघन है। विवादित घटनाओं की रिपोर्टिंग करते समय समुदाय विशेष के उल्लेख से बचना चाहिए।
डा• संजय द्विवेदी ने कहा कि किसी जमाने में पत्रकारिता सेवा का माध्यम हुआ करती थी, लेकिन अब व्यवसायिक सफलता के मापदंड हावी हो रहे हैं। सोशल मीडिया के प्रसार से ऐसी आशंका पैदा हो रही है कि आने वाले समय में अखबार पढ़ने वालों की संख्या और अधिक घट जाएगी। दूसरी ओर अपनी बात कहने के लिए अब सरकारें पत्रकार सम्मेलन करने से भी परहेज करने लगी हैं। पहले लोकनीति और लोकमंडल की मान्यता हुआ करती थी, लेकिन अब दोनों ही लुप्त होते जा रहे हैं। हमें यंग इंडिया के नारे से भ्रमित होने की बजाए नेहरू, पटेल, गांधी, स्वामी विवेकानंद और माखन लाल चतुर्वेदी के सपनों का भारत निर्माण करने के प्रयास करने चाहिए।
संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी ने अपने आशीर्वचन में पत्रकारों से कहा कि सोच, दृष्टि और वृत्ति में शुद्धता बनाए रखें, तभी आत्मा की शुद्धता बरकरार रहेगी। परिस्थितियां कैसे भी हों सत्यता का दामन न छोड़ें और आध्यात्मिक ज्ञान से जीवन को भरपूर बनाएं।
स्वागत संबोधन में आगरा के अमर चंद भाई ने कहा कि जब तक हम जीवन में नैतिक मूल्यों की स्थापना नहीं करेंगें तब तक आशातीत परिणाम सामने नहीं आएंगें। जीवन में सकारात्मकता लाने से सभी शुभकार्य सिद्ध हो जाते हैं।
मंच संचालन अहमदाबाद से आई नंदिनी बहन ने किया। सिद्धपुर की विजय बहन ने ईश्वर अनुभूति करवाई। सत्र की अध्यक्षता दिल्ली से आए राष्ट्रीय संयोजक सुशांत भाई ने की।