पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ की पहल से आकार ले रहा ओबीसी आरक्षण का सपना



--विजया पाठक
एडिटर - जगत विजन
भोपाल - मध्यप्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।

■सर्वदलीय बैठक में नेताओं ने दिखाया एकमत, कमलनाथ को श्रेय देने का उठा मुद्दा

मध्यप्रदेश की राजनीति में आरक्षण का मुद्दा हमेशा से संवेदनशील और बहुचर्चित रहा है। खासतौर पर ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण का सवाल लंबे समय से राजनीतिक दलों और समाज के केंद्र में बना हुआ है। हाल ही में मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में हुई सर्वदलीय बैठक में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को लागू करने पर सहमति बनने के बाद यह उम्मीद मजबूत हो गई है कि जल्द ही प्रदेश में ओबीसी वर्ग को उनका अधिकार मिलेगा। इस निर्णय के पीछे सबसे महत्वपूर्ण भूमिका पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की पहल की रही है, जिन्होंने अपने 18 महीने के कार्यकाल में इस दिशा में ठोस कदम उठाए थे। अपने शुरूआती फैसलों में ओबीसी आरक्षण का मुददा प्रमुखता से प्रभावी रहा। वह जानते थे कि प्रदेश में ओबीसी का बहुत बड़ा तबका रहता है जो किसी न किसी कारण से अपने अधिकारों से वंचित है। इसलिए उन्‍हें आरक्षण का लाभ अवश्‍य मिलना चाहिए। निश्चित तौर पर आज प्रदेश में ओबीसी को जो आरक्षण मिलेगा उसकी नींव कमलनाथ ने रखी थी। उनका ही प्रयास था कि इस वर्ग की वर्षों की मांग पूरी होगी।

● कमलनाथ की पहल 18 महीनों में बड़ा कदम

वर्ष 2018 में जब कमलनाथ ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तो उन्होंने तत्काल ही ओबीसी आरक्षण की कवायद शुरू की। उनका मानना था कि सामाजिक न्याय और समान अवसर के बिना विकास की परिभाषा अधूरी है। कमलनाथ सरकार ने 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू करने का प्रस्ताव लाकर इस दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया। हालांकि यह सफर इतना आसान नहीं रहा। राजनीतिक विरोध और कानूनी पेचों ने इस फैसले को लंबे समय तक लटकाए रखा।

● शिवराज सरकार में मामला उलझा

कमलनाथ सरकार के गिरने के बाद प्रदेश की सत्ता एक बार फिर भाजपा के हाथों में आई और शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस दौरान ओबीसी आरक्षण का मुद्दा साजिशन कानूनी दांव-पेंच में उलझा दिया गया। चार साल तक यह मामला न्यायालय और फाइलों के बीच अटका रहा। यदि शिवराज सिंह चौहान उस समय सर्वदलीय बैठक कर सभी दलों को विश्वास में लेते, तो यह आरक्षण पहले ही लागू हो सकता था। लेकिन राजनीतिक रणनीति और समय टालने की प्रवृत्ति ने लाखों ओबीसी समुदाय के लोगों को उनके अधिकार से वंचित रखा।

● सर्वदलीय बैठक का श्रेय कमलनाथ को

सर्वदलीय बैठक में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू करने पर सहमति बनी, तो कई नेताओं ने साफ कहा कि इसका श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को ही जाता है। उनकी दूरदर्शिता और पहल ने ही इस दिशा में रास्ता खोला था। सत्ता से बाहर रहने के बावजूद कमलनाथ ने जनप्रतिनिधि होने के नाते समाज के हर वर्ग से संवाद बनाए रखा और लोगों की समस्याओं को सुनकर उनकी मदद भी की। यही कारण है कि आज भी ओबीसी समाज का बड़ा हिस्सा उन्हें अपना नेता मानता है।

● ओबीसी आरक्षण का सामाजिक महत्व

27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का लागू होना केवल एक कानूनी या राजनीतिक निर्णय नहीं है, बल्कि यह सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम है। प्रदेश की लगभग आधी आबादी ओबीसी वर्ग से आती है। इन्हें शिक्षा और रोजगार में समान अवसर देना लोकतांत्रिक व्यवस्था की आत्मा है। लंबे समय से इस समुदाय के लोग अपने हिस्से का हक पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। अब जब सर्वदलीय सहमति बन गई है, तो यह विश्वास किया जा सकता है कि उनकी पीढ़ियों को नए अवसर मिलेंगे और सामाजिक संतुलन स्थापित होगा। कमलनाथ की पहल और सर्वदलीय सहमति यह साबित करती है कि यदि राजनीति से ऊपर उठकर समाज की भलाई के लिए निर्णय लिया जाए तो लोकतंत्र और भी मजबूत होता है।

● समाज के साथ निरंतर जुड़ाव

सत्ता से बाहर रहते हुए भी कमलनाथ की सक्रियता कम नहीं हुई है। वे लगातार अपने क्षेत्र और प्रदेश के लोगों से जुड़े रहते हैं। चाहे व्यक्तिगत समस्याएं हों या सामूहिक मुद्दे, कमलनाथ हर परिस्थिति में लोगों के साथ खड़े दिखाई देते हैं। यही कारण है कि आज भी जनता उन्हें भरोसेमंद नेता के रूप में देखती है। उनका यह रवैया बताता है कि राजनीति केवल सत्ता का खेल नहीं, बल्कि समाज सेवा का माध्यम भी हो सकती है।

● छिंदवाड़ा मॉडल विकास का आदर्श

कमलनाथ का राजनीतिक सफर केवल आरक्षण की पहल तक सीमित नहीं है। उनके नेतृत्व में छिंदवाड़ा मॉडल देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी विकास का आदर्श स्वरूप माना जाता है। छिंदवाड़ा, जो कभी पिछड़े जिलों की सूची में गिना जाता था, आज शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और उद्योग के क्षेत्र में मिसाल बन चुका है। यहां रोजगार के अवसर बढ़े हैं, किसानों को आधुनिक सुविधाएं मिली हैं और बुनियादी ढांचा सुदृढ़ हुआ है। कमलनाथ का मानना है कि यदि एक सांसद या नेता अपनी नीयत और दूरदर्शिता से काम करे तो किसी भी क्षेत्र का कायाकल्प किया जा सकता है।

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