मध्‍यप्रदेश में बीजेपी अध्‍यक्ष की सुगबुगाहट तेज



--विजया पाठक
एडिटर - जगत विजन
इंडिया इनसाइड न्यूज।

●पूर्व गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा को मिल सकती है प्रदेश भाजपा की कमान

●सामान्य वर्ग होने और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच बेहतर तालमेल रखने पर मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी

●कैलाश विजयवर्गीय भी हो सकते हैं रेस में

मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के नाम को लेकर एक बार सियासत तेज हो गई है। लंबे समय से चल रहे प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदारों के नाम से पर्दा कब उठेगा यह कह पाना अभी संभव नहीं है। लेकिन सियासी गलियारों से चर्चाएं आ रही हैं उसके अनुसार यह तय माना जा रहा है कि इस बार भी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का दावेदार सामान्य वर्ग से ही चुना जाएगा। जाहिर है कि वर्तमान में प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व डॉ. वीडी शर्मा के पास है और वह पिछले कुछ समय से एक्सटेंशन पर चल रहे हैं। ऐसे में लंबे समय से चले आ रहे प्रदेश अध्यक्ष के दावेदारों में डॉ. नरोत्तम मिश्रा प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि डॉ. नरोत्तम मिश्रा मध्यप्रदेश के गृहमंत्री जैसे प्रमुख पद का दायित्व संभाल चुके हैं और इसके अलावा उन्हें अलग-अलग राज्यों में चुनाव का दायित्व भी दिया गया, जिस पर पार्टी की उम्मीद पर वे खरा उतरे। वहीं, अगला नाम यदि सामान्य वर्ग से देखा जाता है तो फिर आता है कैलाश विजयवर्गीय और गोपाल भार्गव का। क्योंकि कैलाश विजयवर्गीय और गोपाल भार्गव प्रदेश के वरिष्ठ नेता हैं और पूर्व में मंत्री पद का दायित्व संभाल चुके हैं। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष का ताज नरोत्तम मिश्रा के ऊपर सजने के चांस अधिक नजर आ रहे हैं।

• विजयवर्गीय भी हो सकते हैं रेस में शामिल

राजनैतिक विश्लेषकों के अनुसार पिछले दिनों ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में शामिल होने भोपाल पहुंचे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जिस ढंग से इंदौर जा रहे कैलाश विजयवर्गीय को स्टेट हैंगर पर बुलाया और उनसे चर्चा की ऐसे में शंका इस बात की भी जाहिर की जा रही है कि प्रदेश अध्यक्ष के दावेदारों में कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी शामिल हो सकता है। देखा जाए तो कैलाश विजयवर्गीय अमित शाह के करीबियों में माने जाते हैं और प्रिय राजनेताओं में उनका नाम शीर्ष पर है। ऐसे में सामान्य वर्ग का होने पर विजयवर्गीय के सिर पर भी प्रदेश अध्यक्ष का सहरा बांधा जा सकता है।

• वीडी शर्मा के वापस आने का चांस कम

वीडी शर्मा को संसद की याचिका समिति में जगह मिलने से उनके दोबारा अध्यक्ष बनने की संभावना कम हो गई हैं। बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि पार्टी ने शर्मा को यह पद देकर उन्हें अध्यक्ष पद से दूर रखने का संकेत दे दिया है। ऐसे में नरोत्तम मिश्रा की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है। वे इस रेस में सबसे आगे चल रहे हैं।

• सबसे ज्यादा चर्चा में नरोत्तम मिश्रा

गुप्त बैठक के बाद से ही पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का नाम सबसे ज़्यादा चर्चा में है। सूत्रों की मानें तो विजयवर्गीय ने शाह के सामने नरोत्तम मिश्रा के नाम का प्रस्ताव रखा है। ऐसी भी खबरें हैं कि पार्टी कैलाश विजयवर्गीय को भी यह मौका दे सकती है। मार्च के पहले हफ्ते तक प्रदेश बीजेपी को नया अध्यक्ष मिल सकता है।

• दिल्ली चुनाव में नरोत्तम की रही है बड़ी भूमिका

जाहिर है कि नरोत्तम मिश्रा को विधानसभा चुनाव हारने के बाद पार्टी ने कोई बड़ी भूमिका नहीं दी। ऐसे में मिश्रा ने भी संगठन में रहकर पार्टी के दायित्वों का निर्वहन किया। दिल्ली चुनाव में पार्टी ने नरोत्तम मिश्रा पर भरोसा दिखाया और उन्हें अहम जिम्मेदारी दी। अपनी जिम्मेदारी पर मिश्रा बखूबी खरा उतरे और पार्टी ने दिल्ली में फतह हासिल की। यह पहला अवसर नहीं है जब मिश्रा को पार्टी ने इस तरह की कोई बड़ी जिम्मेदारी दी है, इससे पहले भी उत्तर प्रदेश, बंगाल, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों के चुनाव में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंप चुकी है।

• सबको साथ लेकर चलने पर भरोसा रखते हैं नरोत्तम

नरोत्तम मिश्रा के नाम को लेकर चर्चाएं तेज होने का एक बड़ा कारण यह भी है कि नरोत्तम मिश्रा पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बेहतर सामंजस्य बैठाकर कार्य करने का दमखम रखते हैं। ऐसे में नरोत्तम मिश्रा के चयन के पीछे दो सबसे बड़े प्रमुख कारण यही है कि पहला वे सामान्य वर्ग से आते हैं और दूसरा सबको साथ लेकर चलने पर विश्वास रखते हैं और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ उनका तालमेल बेहतर है। नरोत्तम मिश्रा की सत्ता में पकड़ की बात की जाए तो विगत विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के कद्दावर नेताओं को उनके कार्यकर्ताओं के साथ बीजेपी में शामिल करवाकर उन्होंने अपना सत्ता चातुर्य और समझ को सबके समक्ष प्रस्तुत किया है।

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