महिलाओं की पूर्ण सहभागिता के बिना देश का विकास अधूराः राज्यपाल आर. एन. रवि



वाराणसी - उत्तर प्रदेश
इंडिया इनसाइड न्यूज।

■काशी तमिल संगमम 3.0 के अतंर्गत महिला सशक्तिकरण पर बौद्धिक सत्र को राज्यपाल ने किया संबोधित

तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि ने कहा है कि देश के विकास के लक्ष्यों को साकार करने में महिलाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे काशी तमिल संगमम 3.0 के अंतर्गत बीएचयू के पं. ओंकार नाथ ठाकुर प्रेक्षागृह में आयोजित महिला सशक्तिकरण पर एक अकादमिक सत्र को संबोधित कर रहे थे। अपने संबोधन में, मुख्य अतिथि ने न केवल समाज को सशक्त बनाने में बल्कि राष्ट्रीय विकास को गति देने में भी महिलाओं के महत्वपूर्ण योगदान और सहभागिता को रेखांकित किया। काशी और तमिलनाडु के गहरे सांस्कृतिक संबंधों को उजागर करते हुए, राज्यपाल ने अतीत की घटनाओं का उल्लेख किया और भारत की साझा आध्यात्मिक एवं सभ्यतागत विरासत को पुनः स्मरण कराया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को पश्चिमी अवधारणा के अनुसार केवल एक राज्य के रूप में देखने के बजाय उसे एक 'राष्ट्र' के रूप में समझा जाना चाहिए, जिस रूप वह सैकड़ों वर्षों से रहा है। राज्यपाल ने कहा कि काशी तमिल संगमम ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जिसे भारतीयों ने सदियों से न केवल जिया है, बल्कि वे उसे उत्सव के रूप में मनाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत केवल एक भौगोलिक इकाई नहीं है, बल्कि यह एक जीवंत और गतिशील सभ्यता है, जहाँ ‘एक राष्ट्र, एक परिवार’ का दर्शन फलता-फूलता है। महिला स्वयं-सहायता समूहों की उपलब्धियों की सराहना करते हुए, जिनकी प्रेरणादायक यात्राएँ विभिन्न सार्वजनिक योजनाओं और पहलों के माध्यम से सशक्त हुई हैं, राज्यपाल ने उनसे आग्रह किया कि वे अपनी सफलता की कहानियाँ दूसरों के साथ साझा करें और देशभर के लोगों के उत्थान और विकास में सहयोग करें।

राज्यपाल ने बीएचयू के तमिल अनुभाग द्वारा हिंदी से तमिल में अनुवादित पुस्तकों का विमोचन किया। यह कार्य डॉ. जगदीशन के नेतृत्व में हुआ और नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित किया गया। इसके अलावा राज्यपाल ने सुब्बु सुंदरम और उनकी पत्नी द्वारा लिखित पुस्तक "काशी कुंभाभिषेकम" का भी लोकार्पण किया। उन्होंने बीएचयू में तमिल डिप्लोमा कोर्स में उत्तर भारतीय छात्रों की बढ़ती रुचि और नामांकन पर प्रसन्नता व्यक्त की।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति (प्रभारी) प्रो. संजय कुमार ने अपने संबोधन में बीएचयू को "लघु भारत" के रूप में वर्णित किया, जहाँ अनेक विचारों के लोग मिलकर साझा प्रगति के लिए प्रयास करते हैं। उन्होंने काशी तमिल संगमम को तमिलनाडु और काशी के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक संबंधों का उत्सव बताते हुए 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की परिकल्पना को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने आदि शंकराचार्य के योगदान का उल्लेख किया, जिन्होंने अपने ज्ञान और दर्शन के माध्यम से संपूर्ण भारत को एकता के सूत्र में पिरोया। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम न केवल एक उत्सव है बल्कि काशी और तमिलनाडु के बीच गहरे और प्राचीन संबंधों की पुनः पुष्टि करता है। उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार की विभिन्न योजनाएं महिला सशक्तीकरण और महिलाओं के विकास के मूल में हैं।

समाजशास्त्र विभाग की प्रो. श्वेता प्रसाद ने महिलाओं के उत्थान, सशक्तिकरण तथा बेहतरी के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के सकारात्मक प्रभावों की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने सतत विकास लक्ष्य (SDGs), लैंगिक समानता, और नारी शक्ति वंदन अधिनियम, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, मिशन शक्ति जैसी योजनाओं का हवाला देते हुए भारत सरकार के प्रयासों की सराहना की जिससे भारत में महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण तैयार हुआ और लिंगानुपात में सुधार हुआ। उन्होंने बताया कि भारत में पहली बार 1020 महिलाएँ प्रति 1000 पुरुषों के अनुपात को पार कर चुकी हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सुकन्या समृद्धि योजना के तहत 3.25 करोड़ बैंक खाते खोले गए हैं और पोषण अभियान के माध्यम से 10 करोड़ लाभार्थियों को सहायता मिली है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को लैंगिक समानता और समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण बताया, जिससे कस्तूरबा गांधी महिला विद्यालयों में हजारों लड़कियाँ नामांकित हुई हैं। प्रो. प्रसाद ने कहा कि लैंगिक समानता भारतीय प्राचीन ज्ञान परम्परा के केंद्र में है और एक जिम्मेदार समाज के नागरिक होते हुए हमें समानता के मूल्यों को बरकरार रखना चाहिए।

महिला अध्ययन व विकास केंद्र, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की प्रो. मीनाक्षी झा ने काशी तमिल संगमम में संस्कृति, परंपरा और ज्ञान के संगम पर विचार रखे। उन्होंने तमिलनाडु की पहली महिला विधायक डॉ. मुत्थुलक्ष्मी रेड्डी के योगदान को रेखांकित किया, जिन्होंने महिला अधिकारों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रो. झा ने महिला सशक्तिकरण में शिक्षा, अनुसंधान व जागरूकता के माध्यम से शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका को रेखांकित किया और बताया कि बीएचयू के अंतर्गत महिला अध्ययन व विकास केंद्र इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है। उन्होंने वित्तीय सुरक्षा और महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण तैयार करने की दिशा में सरकार की योजनाओं की चर्चा की, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तमिलनाडु और काशी के बीच सांस्कृतिक व आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की सोच के अनुरूप हैं।

कार्यक्रम के संवादात्मक सत्र में महिला उद्यमियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की प्रेरणादायक कहानियाँ साझा की गईं। उत्तर प्रदेश के श्रवण कुमार ने लखपति दीदी योजना पर चर्चा की, जबकि मंगलपुर की आलम आरा ने बताया कि उनके स्वयं सहायता समूह ने 600 से अधिक बैंक खाते खोले हैं और 60 अटल पेंशन योजना नामांकन कराए हैं। अमित कुमार ने मुद्रा लोन के लाभों पर चर्चा की, और कौसर जहां ने मुद्रा ऋण से उनके सिल्क साड़ी उद्यम की सफलता पर प्रकाश डाला। वेलफेयर ट्रस्ट के रवि मिश्रा ने ग्रीन आर्मी संगठन का परिचय दिया, जो 260 गांवों में दहेज, नशाखोरी और अंधविश्वास के खिलाफ कार्य कर रहा है और 2200 से अधिक महिलाओं को आत्मरक्षा और कराटे में प्रशिक्षित कर चुका है। कार्यक्रम में "अन्वेषिका" पत्रिका की संपादक और कैंसर सर्वाइवर डॉ. मनीषा शुक्ला ने भी अपना कार्य साझा किया, जिन्होंने आयुष्मान भारत स्वास्थ्य कार्ड के लाभों पर जागरूकता फैलाई। उन्होंने बीएचयू के कैंसर अनुसंधान विभाग के डॉ. मनोज पांडे द्वारा लिखित एक द्विभाषी पुस्तक को माननीय राज्यपाल को भेंट किया।

कार्यक्रम का समापन डॉ. शन्मुग सुंदरम (वाणिज्य संकाय, बीएचयू) के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने सभी वक्ताओं, स्वयं सहायता समूहों और संगठनों का आभार प्रकट किया, जो महिला सशक्तिकरण में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करेंगी।

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