वाराणसी - उत्तर प्रदेश
इंडिया इनसाइड न्यूज।
■काशी के घाटों का ज्ञान सहेजकर समाज में बांट रहा है अन्तर्राष्ट्रीय काशी घाटवाक, महाकुंभ से काशी लौटे नागा साधुओं का हुआ अभिनंदन
■अन्तर्राष्ट्रीय काशी के सातवें वार्षिकोत्सव का रीवां घाट पर संकटमोचन मंदिर महंत प्रो विश्वभर नाथ मिश्र ने बतौर मुख्य अतिथि किया आगाज
■बीएचयू के न्यूरोलॉजिस्ट प्रो. विजयनाथ मिश्र की अनूठी पहल, अस्सी से राजघाट तक 84 घाटों पर घाटवाक के दौरान नाविकों, पंडा - पुजारियों और साधु संतों की होती है सेहत की जांच
घाटवाक के वार्षिकोत्सव में महाकुंभ से लौटे विभिन्न अखाड़ों के साधु संतों के साथ ही महाश्मशान मणिकर्णिका घाट, हरिश्चंद्र घाट सहित दर्जनों घाटों पर टेंटों में आसन्न लगाकर चिता की आग से धूनी रमाए नागा साधुओं का अभिनंदन भी किया गया।
अन्तर्राष्ट्रीय काशी घाटवाक के संस्थापक प्रो. विजयनाथ मिश्र ने बताया कि काशी के घाटों पर रहने वाले 900 निराश्रित लोगों की सेवा घाटवाक करता है। उनके भोजन से लेकर इलाज तक की व्यवस्था की जाती है। उन्होंने बताया कि अस्सी से लेकर नमो घाट तक कुल 84 घाटों की दूरी लगभग 6 किलोमीटर है। इन घाटों की सीढ़ियों पर वाक करने से देव दर्शन सुलभ होते हैं। काशी के घाट ज्ञान और चेतना की राजधानी भी है।
वार्षिकोत्सव के अवसर पर मानसरोवर घाट पर नारी सशक्तिकरण सम्मान, सिंधिया घाट पर घाटों के पंडा, पुजारी और नाविकों संग संवाद और अंत में राजघाट पर समापन सत्र के साथ वार्षिकोत्सव संपन्न हुआ।
इस अवसर पर पद्मश्री प्रो. राजेश्वर आचार्य, प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल, डॉ. शालु सिंह, अपना दल एस के प्रदेश सचिव अरविंद पटेल, समाजसेवी वाचस्पति उपाध्याय, डॉ. एस के पाठक सहित हजारों की संख्या में घाटवाकर मौजूद रहे।
समारोह की अध्यक्षता संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वभर नाथ मिश्र और संचालन प्रो. विजयनाथ मिश्र ने किया।