बक्सर: बच्चों की मस्ती का पाठशाला और कामकाजी महिलाओं के लिए बना पालना घर



बक्सर - बिहार
इंडिया इनसाइड न्यूज।

■सोमवार 27 जनवरी, 2025 को जिला पदाधिकारी बक्सर, अंशुल अग्रवाल के द्वारा समाहरणालय परिसर में पालना घर का किया उदघाटन

■जिला पदाधिकारी ने निरीक्षण कर बेहतर संचालन हेतु दिया निर्देश

जिला प्रोग्राम पदाधिकारी आईसीडीएस बक्सर द्वारा बताया गया कि बिहार सरकार द्वारा सभी क्षेत्रों में महिलाओं को 35% क्षैतिज आरक्षण के बाद प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। यही कारण है कि आज प्रत्येक सरकारी कार्यालय में महिला कर्मी और पदाधिकारियों की हिस्सेदारी बढ़ी है। इसी के अंतर्गत बच्चे के जन्म के बाद कई कामकाजी महिलाओं के लिए घर से बाहर कार्य करना मुश्किल होता है इसलिए उन्हें कई बार अपनी नौकरी भी छोड़नी पड़ती हैं। इसलिए यह पहल मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 तथा 2017 के अंतर्गत दिए गए प्रावधानों और महिलाओं को कार्यस्थल पर सहयोग प्रदान करने की नीति के तहत की गई है।

● पालना घर का महत्व:

पालना घर में 0-6 वर्ष तक के बच्चों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। यहां प्रशिक्षित स्टाफ के माध्यम से बच्चों की देखभाल, पोषण, सुरक्षा और मनोरंजन सुनिश्चित किया जाता है। बच्चों के लिए खेलकूद के साधन और एक सुरक्षित वातावरण प्रदान किया गया है। पालना घर, विशेष रूप से कामकाजी महिलाओं के लिए, उनके बच्चों की देखभाल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कार्यस्थल पर बच्चों के लिए एक सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण उपलब्ध कराना महिलाओं के कामकाजी जीवन और परिवारिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन स्थापित करने में सहायक होता है।

मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के अनुसार, महिलाओं को मातृत्व अवकाश और अन्य लाभ प्रदान किए जाते हैं। इस अधिनियम में 2017 में संशोधन के बाद, कार्यस्थलों पर क्रेच (पालना घर) की स्थापना का प्रावधान किया गया। इसके तहत सरकारी तथा निजी संस्थान, जहां 50 या उससे अधिक कार्यरत कर्मचारियों वाले संस्थानों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपने कर्मियों को पालना घर की सुविधा प्रदान करें।

● पालना घर की विशेषताएं:

•सुरक्षित वातावरण: प्रशिक्षित कर्मचारियों की देखरेख में बच्चों को एक सुरक्षित और सौहार्दपूर्ण वातावरण।

•मनोरंजन और शिक्षा: बच्चों के लिए खेलकूद और शैक्षणिक गतिविधियां।

•सहज पहुंच: पालना घर समाहरणालय परिसर में स्थापित किया गया है ताकि जिला मुख्यालय में कार्यरत सरकारी संस्थानों के कर्मी (माता-पिता) आसानी से अपने बच्चों की देखभाल कर सकें।

● महिला सशक्तिकरण की दिशा में कदम:

पालना घर न केवल बच्चों की देखभाल सुनिश्चित करता है, बल्कि यह महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनने का अवसर भी प्रदान करता है। यह पहल महिलाओं को काम पर वापस लौटने में मदद करती है, जिससे वे आर्थिक रूप से मजबूत बन सकें।

कार्यक्रम के दौरान वरीय कोषागार पदाधिकारी बक्सर, निदेशक डीआरडीए, सहायक निदेशक बाल सरंक्षण बक्सर, जिला नियोजन पदाधिकारी बक्सर, जिला मिशन समन्वयक बक्सर, जिला परियोजना प्रबंधक आदि उपस्थित थे।

ताजा समाचार

National Report



Image Gallery
इ-अखबार - जगत प्रवाह
  India Inside News