--राजीव रंजन नाग
नई दिल्ली, इंडिया इनसाइड न्यूज।
महाराष्ट्र विधान सभा चुनावों में महायुति की भारी जीत के बाद महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इस पर सस्पेंस तीसरे दिन खत्म हो गया। 14वीं राज्य विधानसभा का कार्यकाल आज समाप्त हो रहा है और मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन राज्य के भावी मुख्यमंत्री के नाम का खुलासा नहीं किया है।
राजधानी दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से मिलने के बाद देवेंद्र फडणवीस मुम्बई वापस लौट गए हैं। अपने बूते 132 सीटें जीत कर भाजपा की तरफ से फडणवीस के नाम पर दोनों घटक दल शिव सेना (शिंदे) व राकांपा (अजित पवार) ने भी अपनी सहमति दे दी है। घटक दल के दोनों नेताओं को सरकार में उचित सम्मान देने का भरोसा दिया गया है।
शिवसेना विधायक बिहार की तर्ज पर श्री शिंदे को पद पर बने रहने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे। अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने श्री फडणवीस का समर्थन करने का फैसला किया है। भाजपा के पास 132 विधायक हैं, शिवसेना के पास 57 और एनसीपी के पास 41 हैं। इसका मतलब है कि 288 सदस्यीय विधानसभा में 145 के जादुई आंकड़े तक पहुंचने के लिए भाजपा को अपने दो सहयोगियों में से केवल एक की जरूरत है। इससे श्री शिंदे के पास मुख्यमंत्री पद के लिए सौदेबाजी के बहुत कम मौके बचे थे। शिव सेना के एक सांसद ने बताया कि शिवसेना नेताओं के एक समूह ने मुख्यमंत्री के आधिकारिक बंगले वर्षा के बाहर इकट्ठा होने की योजना बनाई थी, जो जाहिर तौर पर एकनाथ शिंदे के लिए शक्ति प्रदर्शन था। लेकिन शिवसेना प्रमुख ने हस्तक्षेप किया और उन्हें ऐसा न करने के लिए कहा।
उन्होंने एक्स पर कहा, "महायुति गठबंधन की शानदार जीत के बाद, राज्य में एक बार फिर हमारी सरकार बनेगी। एक महागठबंधन के रूप में, हमने एक साथ चुनाव लड़ा और आज भी साथ हैं।" "मेरे प्रति प्रेम के कारण, कुछ लोगों ने सभी से एक साथ इकट्ठा होने और मुंबई आने की अपील की है। मैं आपके प्यार के लिए बहुत आभारी हूं। लेकिन मैं अपील करता हूं कि कोई भी इस तरह से मेरे समर्थन में एक साथ न आए।"
शिवसेना प्रवक्ता नरेश म्हास्के ने 'बिहार मॉडल' का हवाला देते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री के रूप में बने रहना चाहिए, भले ही भाजपा के पास विधानसभा में अधिक सीटें हों। श्री म्हास्के ने कल संवाददाताओं से कहा, "हमें लगता है कि शिंदे को मुख्यमंत्री बनना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे बिहार में भाजपा ने संख्याबल पर ध्यान नहीं दिया और फिर भी जेडी(यू) नेता नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाये रखा गया। उन्होंने कहा महायुति के वरिष्ठ नेता अंतिम फैसला करेंगे।" हालांकि, भाजपा के प्रवीण दरेकर ने कहा कि लोगों ने देवेंद्र फडणवीस को जनादेश दिया है। एमएलसी ने कहा, "महाराष्ट्र के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पीछे खड़े हैं। मेरी राय में, फडणवीस को मुख्यमंत्री बनना चाहिए। महाराष्ट्र को एक चतुर और विद्वान नेता की जरूरत है। उन्होंने गठबंधन को एकजुट रखा, हमारे सहयोगियों को उम्मीदवार दिए और जरूरत पड़ने पर पीछे भी हट गए। उन्होंने हमेशा समन्वय बनाए रखा है।" सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेता शीर्ष पद के लिए श्री फडणवीस पर जोर दे रहे हैं और कोई भी अन्य निर्णय पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल गिराएगा। महाराष्ट्र में भाजपा की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले भाजपा के वैचारिक अभिभावक आरएसएस भी नागपुर दक्षिण-पश्चिम से विधायक श्री फडणवीस के पक्ष में हैं। ऐसा माना जा रहा है कि आरएसएस अगले साल अपना शताब्दी समारोह मनाएगा और भाजपा का मुख्यमंत्री चाहता है। 2019 के महाराष्ट्र चुनावों में, लंबे समय से सहयोगी भाजपा और अविभाजित शिवसेना ने क्रमशः 105 और 56 सीटें जीती थीं। लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर मतभेद पैदा हो गए थे। इसके तुरंत बाद, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने गठबंधन तोड़ दिया और सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिला लिया। यह सरकार तब गिर गई जब श्री शिंदे ने विद्रोह का नेतृत्व किया जिससे शिवसेना में फूट पड़ गई।
पांच साल बाद, श्री शिंदे अपने पूर्व बॉस जैसी ही स्थिति में हैं। लेकिन एक बड़ा अंतर है। जब तक एनसीपी उसका समर्थन करती है, तब तक भाजपा को सरकार बनाने के लिए शिवसेना के समर्थन की आवश्यकता नहीं है। अजीत पवार के नेतृत्व वाली पार्टी पहले से ही इसके लिए तैयार है। इससे श्री शिंदे के पास मंत्री पद के बंटवारे में बेहतर डील पाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। मुख्यमंत्री पद से हटने से श्री शिंदे को विपक्षी खेमे से आलोचनाओं का सामना करना पड़ सकता है। श्री ठाकरे ने पहले ही यह कहते हुए कटाक्ष किया है कि श्री शिंदे को नई सरकार में देवेंद्र फडणवीस के अधीन काम करना होगा।
मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा में देरी के कारण क्या राज्य में अगर विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने से पहले नई सरकार नहीं बनी तो राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है? इस संभावना को विधानमंडल के एक अधिकारी ने इन खबरों को खारिज कर दिया है। उन्होंने बताया कि चुनाव अधिकारियों द्वारा रविवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन को नव-निर्वाचित विधायकों के नामों के साथ राजपत्र की प्रतियां सौंपे जाने के बाद 15वीं विधानसभा पहले ही बन चुकी है। अधिकारी ने बताया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 73 के अनुसार, निर्वाचित सदस्यों के बारे में अधिसूचना प्रस्तुत होने के बाद यह माना जाएगा कि सदन का विधिवत गठन हो गया है।
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