पेरिस ओलंपिक 2024: कंगना ने ओलंपिक उद्घाटन को कामुकतापूर्ण, निंदनीय प्रस्तुति बताया



--राजीव रंजन नाग
नई दिल्ली, इंडिया इनसाइड न्यूज।

पेरिस ओलंपिक 2024 अपने उद्घाटन और सुरक्षा व्यवस्था के कारण लगातार विवादों में चल रहा है। इस बार अभिनेत्री और बीजेपी सांसद कंगना रनौत पेरिस ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में “द लास्ट सपर” के प्रदर्शन की कड़ी आलोचना की है। कंगना ने इसे बहुत ही कामुकतापूर्ण और निंदनीय बताया। उन्होंने कहा कि वामपंथियों ने ओलंपिक खेलों पर कब्जा कर लिया है।

अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में पेरि ओलंपिक गेम्स के उद्घाटन समारोह की तस्वीरें पोस्ट करते हुए, कंगना रनौत ने कहा कि ‘द लास्ट सपर’ की अति-कामुकतापूर्ण, निंदनीय प्रस्तुति में एक बच्चे को शामिल करने के लिए पेरिस ओलंपिक की आलोचना हो रही है। अभिनेत्री कंगना ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर इस एक्ट की आलोचना करते हुए इसे "अत्यधिक कामुक" और "द लास्ट सपर का ईशनिंदा वाला संस्करण" बताया, जो दुनिया की सबसे प्रसिद्ध कलाकृतियों में से एक है, जिसमें सूली पर चढ़ाए जाने से पहले जेरूसलम में जीसस के अपने अनुयायियों के साथ अंतिम भोजन को दर्शाया गया है।

पेरिस ओलंपिक को ड्रैग एक्ट के लिए सोशल मीडिया पर आलोचना का सामना करना पड़ा, जिसमें 18 कलाकार शामिल थे, जिनमें तीन प्रसिद्ध ड्रैग रेस फ्रांस क्वीन्स भी शामिल थीं।

भाजपा सांसद कंगना रनौत ने पेरिस ओलंपिक के उद्घाटन समारोह के दौरान किए गए ड्रैग क्वीन थीम वाले "द लास्ट सपर" के स्पष्ट पैरोडी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जो पुनर्जागरण कलाकार लियोनार्डो दा विंची द्वारा जीसस और उनके अनुयायियों की एक भित्ति चित्र है।

दरअसल, पेरिस ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में ‘द लास्ट सपर’ का मंचन किया गया था। लास्ट सपर को यीशु मसीह का अंतिम भोज बताया जाता है, जिसमें वे अपने कुछ प्रिय 12 शिष्यों के साथ भोजन करते हैं। 15वीं शताब्दी में महान चित्रकार लिओनार्दो दा विंची ने इसी नाम से एक पेंटिंग बनाई थी। यह पेंटिंग मिलान शहर की एक चर्च की दीवार पर बनी है।

पेरिस ओलंपिक में ‘द लास्ट सपर’ के मंचन के दौरान नीले रंग में रंगे एक नग्न व्यक्ति यीशु मसीह बनाकर प्रस्तुत किया गया। इस मंचन में एक बच्ची भी थी। कंगना रनौत ने ऐसे मंचन में बच्चों की भागीदारी को लेकर अपनी टिप्पणी की है। वे अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखती हैं- ‘पेरिस ओलंपिक की ओपनिंग सेरेमनी में बिना कपड़ों के इस व्यक्ति को ईसा मसीह दिखाया गया है।’

मंडी लोकसभा से बीजेपी सांसद ने एक और तस्वीर शेयर की है, जिसमें एक महिला अपने हाथों में अपनी ही कटी हुई गर्दन लेकर खड़ी दिखाई गई है। कंगना इस पर लिखती हैं- ‘क्या इसी तरह फ्रांस ने ओलंपिक का स्वागत किया।’ कंगना ने लिखा - ‘पेरिस ओलंपिक की ओपनिंग सेरेमनी में सब कुछ होमोसेक्सुअलिटी पर आधारित था।’

इस कार्यक्रम की शुरुआत एक समूह द्वारा एक मेज़ पर बैठने से हुई, जिसमें कई ड्रैग क्वीन शामिल थीं, जो अंतिम भोज की याद दिलाता है, ऐसा कहा जाता है कि यीशु ने क्रूस पर चढ़ने से पहले अपने प्रेरितों के साथ अंतिम भोजन किया था। कार्यक्रम को समलैंगिक कार्यकर्ता डीजे बारबरा बुच ने संगीत के साथ सेट किया, जो बीच में एक प्रभामंडल जैसी दिखने वाली चांदी की हेडड्रेस के साथ बैठी थीं। इस कलात्मक प्रस्तुति ने सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया।

अरबपति एलन मस्क उन लोगों में से थे जिन्होंने इस प्रदर्शन की कड़ी आलोचना की, इसे "ईसाइयों के लिए बेहद अपमानजनक" कहा।

अभिनेत्री और बीजेपी सांसद रनौत ने ओलंपिक उद्घाटन समारोह की तस्वीरों का एक कोलाज भी शेयर किया। इसमें उन्होंने लिखा कि, "ओलंपिक का उद्घाटन समारोह समलैंगिकता को प्रोत्साहित करने के लिए था। मैं समलैंगिकता के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन मुझे समझ में नहीं आता कि ओलंपिक का किसी भी तरह के यौन व्यवहार से क्या संबंध है। वह सवाल करती हैं...मानव की उत्कृष्टता का उत्सव मनाने वाले इस वैश्विक आयोजन पर सेक्स की चर्चा की छाया क्यों है? सेक्स को निजता तक सीमित क्यों नहीं रहने दिया जाता? इसे राष्ट्रीय पहचान देने की क्या जरूरत है? यह अजीब है।"

वे साफ करतीं हैं- ‘मैं होमोसेक्सुअलिटी के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन ये मेरी समझ से परे है कि ओलंपिक खेलों का कामुकता से क्या संबंध है? सेक्सुअलिटी केवल हमारे बेडरूम तक ही क्यों सीमित नहीं रह सकती। यह राष्ट्रीय पहचान क्यों होनी चाहिए।

रनौत की टिप्पणियों पर कई प्रतिक्रियाओं में भी कहा गया है कि इस प्रदर्शन से लगता है कि यह ईसाइयों का अपमान था। एलन मस्क ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इस प्रदर्शन को "ईसाइयों के लिए बेहद अपमानजनक" बताया। हालांकि, ओलंपिक के न तो किसी आयोजक ने, न ही किसी कलाकार ने अब तक यह कहा है कि इस प्रदर्शन में "द लास्ट सपर" का रूपांतरण किया गया था।

• क्या है 'द लास्ट सपर'

'द लास्ट सपर' 15वीं सदी में इटली के प्रसिद्ध चित्रकार लिओनार्दो दा विंची द्वारा बनाई गई एक पेंटिंग है। यह तस्वीर मिलान शहर में सांता मारिया डेल ग्राजी चर्च में एक दीवार पर बनी है। कहा जाता है कि इसमें ईसा मसीह के अंतिम पवित्र भोज को चित्रित किया गया है। इसमें प्रतीकात्मक रूप से ईसाई समाज यीशु के साथ एकजुट है। भोज के बाद यीशु को धोखा दिया गया था और उन्हें गिरफ्तार किया गया था। बाद में उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया। यह दुनिया में सबसे प्रसिद्ध और सबसे अधिक अध्ययन की जाने वाली कलाकृतियों में से एक है।

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