--विजया पाठक
एडिटर, जगत विजन
भोपाल - मध्यप्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।
● आखिर बच्चों के सुनहरे भविष्य में शराब की गंध घोलने वाले जगदीश अरोड़ा को गिरफ्तार क्यों नहीं करती मोहन सरकार?
● क्या सोम डिस्टलरी के मालिक जगदीश अरोड़ा के रसूख के आगे नतमस्तक हैं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव?
कहते हैं बच्चे देश का भविष्य हैं… जिस उम्र में बच्चों के हाथ में किताब होनी चाहिए उस उम्र में शहर के रसूखदार जगदीश अरोड़ा ने शराब की बोतले पकड़ाकर अपनी ही अवैध फैक्ट्री में काम करने के लिये मजबूर किया। सोम डिस्टलरी के मालिक जगदीश अरोड़ा का यह असंवेदनशील चेहरा तब बेनकाब हुआ जब बचपन बचाओ एनजीओ ने रायसेन स्थित सोम डिस्टलरी की फैक्ट्री में काम करने वाले बच्चों की शिकायत राष्ट्रीय बाल आयोग से की। हालांकि बाल आयोग ने तत्परता दिखाते हुए फैक्ट्री संचालक पर कार्यवाही की। लेकिन आश्चर्यजनक बात तो तब लगी जब इतनी घिनौनी हरकत करने का मामला सामने आने के बाद भी मध्यप्रदेश की डॉ. मोहन यादव की सरकार रसूखदार जगदीश अरोड़ा के सामने घुटने टेक बैठी। यही नहीं मोहन सरकार ने इस बदमाश व्यवसायी पर कानूनी कार्यवाही करने बजाय महज 20 दिन के लिये फैक्ट्री सील करने का फैसला सुनाया। सरकार के इस उदासीन रवैये ने कई प्रश्चचिन्ह खड़े कर दिये हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि अरोड़ा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा तक का संरक्षण प्राप्त है। यही कारण है कि अरोड़ा प्रदेश की सरकार की आंखों में पट्टी बांध प्रदेश में शराब का यह गौरखधंधा चला रहा है।
• अरोड़ा की फैक्ट्री में 59 बच्चों में 20 बच्चियां शामिल
जगदीश अरोड़ा की फैक्ट्री में 59 नाबालिग बच्चे काम करते हुए दिखाई दिये। इसमें 20 बच्चियां भी शामिल हैं, जो काम करती हुई पाई गईं। काम करते-करते और शराब बनाने में उपयोग होने वाले रसायनों के संपर्क में रहने से कई बच्चों के हाथ की चमड़ी भी जल चुकी है। वह पूरी तरह से उधड़ गई हैं, लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदारों को जरा भी तरस नहीं आया। बाल आयोग की जांच के दौरान सामने आया कि बच्चों को स्कूल बस से फैक्ट्री में लाया जाता था, ताकि किसी को शक न हो सके कि यह सभी बच्चे आखिर जा कहां रहे हैं। लोगों को यही लगते रहना चाहिए कि स्कूल पढ़ने या स्कूल की बस से विशेष कक्षा लेने के लिए जा रहे हैं। ऐसे में जब राष्ट्रीय बाल आयोग की टीम अचानक से यहां पहुंची तो नजारा देखकर हतप्रभ रह गई। मशीन चल रही है, शराब की बोतले लाइन में बहुत ही तेजी के साथ आगे जा रही हैं और पानी में खड़े बच्चे उन्हें उठा-उठाकर अलग कर रहे हैं।
• पैसा बचाने के लिए नाबालिगों से कराया जा रहा था काम
कारखाने में शराब बनाते हुए पाए गए सभी बच्चे 18 वर्ष से कम आयु के हैं। जब सख्ती से इन बच्चों के बाल श्रम को लेकर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कंपनी के अधिकारियों से बात की तो सामने आया कि यह पैसा बचाने के लिए किया जा रहा है। कंपनी के अधिकारियों ने पैसा बचाने के फेर में नाबालिगों को काम पर रखा है और उनकी जिन्दगी भी दांव पर लगा दी है। जब और सख्ती से पूछा गया तो यह भी सामने आया कि कंपनी ने अपना काम किसी अन्य ठेकेदार को दे रखा है, वहीं इन बच्चों को इस शराब फैक्ट्री में काम के लिए लाता है, ताकि कंपनी की मोटी रकम बच सके और उसे कम रुपए देने पर अधिक श्रम बच्चों के जरिए उपलब्ध हो जाए, फिर जब कोई अनहोनी हो भी तो ठेकेदारी व्यवस्था है, कहकर जिम्मेदारों को बचाया जा सके।
• आबकारी अधिकारी सहित मंत्री तक सभी संदेह के घेरे में
इस मामले में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने आरोप लगाया है कि ये आबकारी अधिकारी की मिलीभगत और उनकी आंखों के सामने होता हुआ अपराध है, वह आंखें बंद कर कैसे बैठ सकते हैं। उन्होंने कहा कि आबकारी अधिकारी सहित कई बड़े मंत्री व अफसर इस पूरे मामले में लिप्त हैं जिनके विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करने की बात हमने सरकार से की है। कानूनगो ने बताया बाल श्रम निरोधक माह के अंतर्गत एनसीपीसीआर को बचपन बचाओ आंदोलन से प्राप्त शिकायत के आधार पर रायसेन ज़िले में सोम डिस्टलरी नामक शराब बनाने वाली फ़ैक्टरी में निरीक्षण किया गया, जहां 50 से अधिक बच्चे शराब बनाने का काम करते हुए पाए गए हैं, इनमें 20 लड़कियाँ भी हैं। यह संस्थान सरकार के आबकारी विभाग की देखरेख में संचालित है। रसायनों के सम्पर्क में रहने से कई बच्चों के हाथ की चमड़ी भी जल चुकी है। बच्चों को रेस्क्यू करने एवं एफआइआर दर्ज करने की कार्यवाही की जा रही है। आबकारी अधिकारी के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए सरकार को नोटिस जारी किया जा रहा है। बच्चों से सोम डिस्टलरी शराब फैक्ट्री में 15-16 घंटे बच्चों से शराब बनवाने का काम कराया जाता था। जिसके कारण से इनके हाथों की इतनी बुरी हालत हो गई है।
• अरोड़ा से वसूलना है 575 करोड़ रुपये
जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के करीब 575 करोड़ रुपए सोम डिक्टलरी और इसके संचालक जगदीश अरोड़ा, अजय अरोड़ा पर बकाया है लेकिन चाहे डॉ. मोहन यादव की सरकार हो या फिर इससे पहले शिवराज सिंह चौहान की सरकार, किसी ने भी सोम डिक्टलरी से करोड़ों की इस बकाया राशि की वसूली करने की ज़हमत नहीं उठाई। इतना ही नहीं इसके अलावा जो महत्वपूर्ण जानकारी मिली है उसके मुताबिक जीएसटी का भी लगभग 08 करोड़ के आसपास की रकम सोम डिक्सलरी पर बकाया है।
• अरोड़ा के उकसावे में आकर पार्टनर ने की थी आत्महत्या
पिछली 10 मई को सोम डिस्टलरी के संचालकों जगदीश अरोड़ा, अजय अरोड़ा और अनिल अरोड़ा पर उनके कर्मचारी और पार्टनर राधेश्याम सेन ने कई गंभीर आरोप लगाकर अपनी कार में आत्महत्या कर ली थी। आत्महत्या के पहले राधेश्याम सेन ने एक वीडियो बनाकर अपनी पत्नी को भेजा था, जिसमें सेन ने बताया कि सोम डिस्टलरी के संचालक जगदीश अरोड़ा, अनिल अरोड़ा और अजय अरोड़ा ने साल 2003 में एक सेल कम्पनी में उन्हें पार्टनर बनाया था। इस सेल कम्पनी के जरिये जगदीश अरोरा ने करोड़ों में जीएसटी की चोरी की। साथ ही पार्टनरशिप के पैसे भी राधेश्याम सेन को नहीं दिए गए। जब करोड़ों के जीएसटी की वसूली की बारी आई तो जगदीश अरोड़ा ने राधेश्याम सेन को महज 15 लाख रुपये देकर चुप करा दिया। एक तरफ जहां इस सेल कम्पनी के जरिये जीएसटी की चोरी जारी रही वहीं दूसरी तरफ राधेश्याम सेन पर करोड़ों का बकाया जीएसटी भरने का दबाव बढ़ता गया। जिसके चलते 10 मई को राधेश्याम सेन ने वीडियो में सोम डिस्टलरीज की सारी पोल खोलने के बाद आत्महत्या कर ली। लेकिन मृतक के आखिरी बयान वीडियो के तौर पर सामने आने के बाद भी अपने रसूख के चलते जगदीश अरोड़ा, अजय अरोड़ा और अनिल अरोड़ा पुलिस के शिकंजे से दूर है।
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