पश्चिम बंगाल: जय श्री राम या जय सियाराम



कोलकाता
पश्चिम बंगाल
इंडिया इनसाइड न्यूज।

अबकी बार 400 पार का नारा धरातल पर कितना उतरता है यह तो जून माह के प्रथम सप्ताह के आखरी दिनों में ही उजागर हो जाएगा। सात चरणों में हो रहे चुनाव में 42 सीटों वाला राज्य पश्चिम बंगाल इस पर क्या निर्णय देता है यह भी अति महत्वपूर्ण है। इसका प्रभाव यहाँ आने वाले समय में जो विधान सभा चुनाव होंगे उसमें काफी असरदार होगा।

ज्ञात हो कि पिछले लोक सभा 2019 चुनाव में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस ने कुल 43.3% वोट पाकर 22 सीटें जीती थी। वहीं भारतीय जनता पार्टी कुल 40.7% वोट पाकर 18 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी। वहीं इंडियन नेशनल कांग्रेस कुल 5.67% वोट पाकर 2 सीटें तथा सीपीआईएम कुल 6.33% पाकर शून्य सीट पर रही।

मोदी के नाम का डंका तो पश्चिम बंगाल के हर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र में बज रहा है परन्तु सम्पूर्ण वोट बैंक में तबदील होता सम्भव नहीं दिख रहा क्योंकि यह योगी आदित्यनाथ जी का उत्तर प्रदेश नहीं है। यहां के मतदाताओं की सोच तुलना में परे है।

संदेशखाली..... तुष्टिकरण.... ओबीसी मामला.. और नंदीग्राम का ताजा मामला.. इन सबका प्रभाव पश्चिम बंगाल के मतदाताओं पर कितना असर या बेअसर होता है इसका नफा-नुकसान भारतीय जनता पार्टी व ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस को मिलना है। 42 में 25 या पार कौन होता है इसका जवाब भविष्य के गर्भ में छिपा है। वोट प्रतिशत में 2 से 5 का उठना-गिरना में ही सब राज छुपा है। वर्तमान परिस्थित से 03 जून तक भाजपा का पलड़ा भारी कहा जा रहा परन्तु सही परिणाम 4 जून को सभी के सामने होगा। एक ओर भाजपा व तृणमूल आपस में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में लिप्त है तो दूसरी ओर इंडी गठबंधन के सीपीआईएम कांग्रेस को ढेर करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहें। आने वाले समय में देखते हैं कि पश्चिम बंगाल जय श्री राम कहता है कि जय सियाराम।

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