जो जैसा करता है उसे तदनुकूल ही फल भोगना ही पड़ता है



--परमानंद पाण्डेय
लखनऊ - उत्तर प्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।

जो जैसा करता है उसे तदनुकूल ही फल भोगना ही पड़ता है। यह कथन राजनीति के क्षेत्र में भी सत्य ही है। महाराष्ट्र में बाला साहब ठाकरे ने शिव सेना की स्थापना की। यह समय के साथ एक आक्रामक हिन्दुत्व वादी पार्टी के रूप में उभरी।फिर भाजपा के साथ इसका गठबंधन होता रहा। पुत्र मोह में शिवसेना को बाला साहब ने एक पारिवारिक पार्टी बना दिया और अपने गैर राजनीतिक बेटे उद्धव ठाकरे को इसकी कमान सौंप दी।

उद्धव के पुत्र मोह ने उन्हें भाजपा को धोखा देने के लिए विवश जर दिया। 2019 के लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में मोदी के कारण जीत गया भाजपा और शिवसेना का गठबंधन। परन्तु पुत्र मोह में उद्धव शरद पवार के उकसावे में कांग्रेस की शरण में चले गए। हिन्दुत्व के कट्टर पक्षधर बाला साहब की पार्टी हिन्दू विरोधी बन गयी।

शरद पवार ने पूरी तरह बर्बाद कर दिया शिवसेना को। आज उद्धव के हाथ से शिवसेना निकल गयी और पावर के हाथ से एनसीपी, शिव सेना पर शिंदे का नियंत्रण हो गया और एनसीपी पर पवार के भतीजे अजित पवार का।

आज उम्र के इस पड़ाव पर शरद पवार अकेले हो गए। उधर उद्धव भी साबित करने की निरर्थक कोशिश कर रहे हैं कि मोदी से उनकी शत्रुता नहीं है।

समय ने शरद और उद्धव को राजनीति के शून्य में लाकर खड़ा कर दिया है। मोदी और शाह की रणनीति के आगे ये दोनों बौने हो गए। अंततः प्रकृति ने न्याय कर ही दिया। अपने कुकर्मों का फल भोगना ही पड़ा शारद पवार और उद्धव ठाकरे को।

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