लंदन में मीडिया संकट!



--के• विक्रम राव
अध्यक्ष - इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स।

लंदन का 168 वर्ष पुराना मशहूर दैनिक “दि डेली टेलीग्राफ” शायद इतिहास के पन्नों में समा जाए। हालांकि यह सत्तारूढ़ ऋषि सुनक के कंजर्वेटिव पार्टी का समर्थक है। इसीलिए इसकी विश्वसनीयता पर शक करते हुये लोग इसे “टोरीग्राफ” दैनिक कहते हैं। टोरी मतलब मध्यमार्गी। इसके संवाददाताओं में प्रधानमंत्री रहे सर विंस्टन चर्चिल थे और सुनक के पूर्व प्रधानमंत्री रहे बोरिस जॉनसन भी। इसको वित्तीय मदद मिली : लायड्स बैंक ग्रुप से। इस बैंक ने अपने सवा अरब पाउंड उधार के एवज में इसे हथियाना चाहा है। मगर हाल ही में आबू धाबी के अरब शाही घराने के शेख मंसूर बिन जायद अल नह्यान ने इसमें रुचि ली है। वे अपने मैंचेस्टर फुटबॉल क्लब के मालिक की भूमिका से इस दैनिक को अपनाना चाहते हैं। अर्थात घुमा फिराकर “दैनिक टेलीग्राफ” को वे अपना बना लेंगे।

संयुक्त अरब अमीरात के वर्तमान उपराष्ट्रपति और उप प्रधान मंत्री, साथ ही राष्ट्रपति न्यायालय के मंत्री और अबू धाबी के शासक परिवार के सदस्य। वह संयुक्त अरब अमीरात के वर्तमान राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के भाई हैं। एक अरबपति, सिटी फुटबॉल ग्रुप के माध्यम से मैनचेस्टर सिटी एफसी सहित विभिन्न फुटबॉल क्लबों में उसकी हिस्सेदारी है।

एक ब्रिटिश वित्तीय संस्थान है जिसका गठन 2009 में लॉयड्स टीएसबी द्वारा एचबीओएस के अधिग्रहण के माध्यम से किया गया था। यह तीन करोड़ ग्राहकों और 65,000 कर्मचारियों के साथ इंग्लैंड के सबसे बड़े वित्तीय सेवा संगठनों में से एक है। लॉयड्स बैंक की स्थापना 1765 में हुई थी, लेकिन व्यापक समूह की विरासत 320 वर्षों तक फैली हुई है, जो 1695 में स्कॉटलैंड की संसद द्वारा बैंक ऑफ स्कॉटलैंड की स्थापना के समय से चली आ रही है।

संपादक लॉर्ड बर्नहम ने अपने इस दैनिक को विश्व का सबसे बड़ा, उत्कृष्ट और सस्ता दैनिक कहा था। अभी है भी। मगर कितने दिनों तक टेलीग्राफ ऐसा रहेगा? इंग्लैंड में भी भारत की भांति मीडिया के दुर्दिन आ गए है।

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