क्या मुख्य चुनाव आयुक्त भूपेश बघेल सरकार की कर रहे हैं पर्दे के पीछे से मदद?



--विजया पाठक (संपादक - जगत विजन),
रायपुर - छत्तीसगढ़, इंडिया इनसाइड न्यूज।

■ भूपेश बघेल के खास अफसर रजत बंसल हैं मुख्य चुनाव आयुक्त के दामाद

■ आखिर जुलाई में भाजपा की आरिफ शेख और आनंद छाबड़ा के खिलाफ शिकायत के बाद भी चुनाव आयोग ने क्यों नहीं हटाया?

■ क्या चुनाव आयोग ने अरविंद नेताम की पार्टी का नाम और सिंबल देने में जानबूझकर की देरी?

■ भूपेश के खास प्रशासनिक सिपहसालार जिनके खिलाफ 100 पन्नों की शिकायत, भाजपा ने कहा उनको चुनाव ड्यूटी में क्यों रखा गया है?

■ सूत्रों के मुताबिक पत्रकार सुनील नामदेव के बाद भूपेश के कहने पर मेरे लिए भी रखी है ड्रग्स की पुड़िया, फर्जी मामले में होगी फंसाने की कोशिश

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की वोटिंग में अब 10 दिन से भी कम समय बचा है। ऐसे में राजनीतिक पार्टियां अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटी हैं। इसी बीच राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश के अफसरों द्वारा भूपेश बघेल और उनकी पार्टी को दिये जा रहे अनैतिक समर्थन का विरोध करते हुए चुनाव आयोग को शिकायत की है। लगभग 100 से अधिक पेजों की शिकायत आईपीएस आरिफ शेख और आईजी गुप्तवार्ता आनंद छावड़ा के खिलाफ जुलाई माह में की थी। उल्लेखनीय है कि इतने दिन बाद भी चुनाव आयोग इन अधिकारियों को चुनावी मैनेजमेंट में रखा है, जबकि यह दोनों अधिकारी भूपेश बघेल के हर राज़ के हिस्सेदार रहे हैं। यह दोनों अधिकारी ईडी की रडार में भी हैं। इस शिकायती पत्र के अनुसार दोनों ही अफसरों ने अन्य अफसरों के साथ मिलकर मतदान को प्रभावित करने की आशंका है। जाहिर है कि दोनों ही अफसर भूपेश बघेल व बघेल के करीबियों के विश्वसनीय अफसरों में से है। यही कारण है कि बघेल ने इन दोनों को ही लंबे समय से एक ही स्थान पर रहने दिया और चुनाव आयोग की गाइडलाइन को भी पूरी तरह से दरकिनार कर दिया।

● मुख्य चुनाव आयुक्त के रिश्तेदार भी घेरे में

देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के दामाद रजत बंसल पर भी भूपेश बघेल को सहयोग करने की आशंका है। बताया जा रहा है कि रजत बंसल भूपेश बघेल के करीबी और विश्वसनीय अफसरों में से एक है। यही कारण है कि चुनाव के दौरान बघेल ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी है जिसके मुताबिक रजत बंसल चुनाव को प्रभावित करने की योजना पर काम कर रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या भाजपा की शिकायत के बाद मुख्य चुनाव आय़ुक्त अपने रिश्तेदार के कारण कोई एक्शन नहीं ले रहे हैं या फिर इसे अनदेखा कर राज्य के अन्य अफसरों पर भी कोई कार्यवाही नहीं करने का फैसला करेंगे।

● अनिल टुटेजा के करीबी हैं शेख

शिकायती पत्र के अनुसार आरिफ शेख नान घोटाले के मुख्य आरोपी अनिल टुटेजा के करीबियों में गिने जाते हैं। यही कारण है कि उन्होंने जब अनिल टुटेजा का नाम नान घोटाले में सामने आया तो तभी से इसकी जांच में लापरवाही बरती और जांच को निष्पक्षता के साथ पूरा करने से बचे। यही नहीं दोनों ही व्हाट्सएप चैटिंग का एक रिकॉर्ड भी भाजपा ने चुनाव आयुक्त को भेजा है जिस चैट को पढ़ने के बाद स्पष्ट पता चलता है कि राज्य में टुटेजा के साथ मिलकर शेख ने किस तरह से भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है। खास बात यह है कि यह भ्रष्टाचार भूपेश बघेल के संज्ञान में है बावजूद बघेल ने कभी इस पर कोई कार्यवाही करना उचित नहीं समझा बल्कि वह इनके साथ मिलकर इस चौकड़ी का हिस्सा बन गये। खैर आरिफ शेख की अनिल टुटेजा की चैट की शिकायत मैंने भी केंद्र सरकार को की है, इन्होंने ईओडेब्यू में रहते हुए करीब 200 मामलों की अवैध नस्ती भी करवाई है जिसे मैं प्रकाशित करूंगी। आनंद छाबरा आरिफ शेख से भी ज्यादा भूपेश के भरोसेमंद अधिकारी हैं, गुप्तवार्ता में रहते हुए स्टेट की मशीनरी से भूपेश की मदद कर रहे हैं। भाजपा की शिकायत तो एक नमूना भर है। दरअसल छत्तीसगढ़ के करीब-करीब 10 आईपीएस एवं कुछ आईएएस अफसरों का भविष्य भूपेश सरकार पर टिका है क्योंकि उनके गोरखधंधे में यह लोग शामिल रहे हैं। भूपेश ने अपने दोनों खास आईपीएस सिपहसालार के साथ गुप्त मीटिंग में पत्रकार सुनील नामदेव के ड्रग्स की पुड़िया की तरह मेरे लिए भी एक पुड़िया तैयार करवा ली है। मुझे ड्रग्स के साथ अन्य फर्जी मामले लगाकर गिरफ्तार कर लिया जाएगा। वैसे भी आईपीएस आरिफ शेख तो मेरे बाल पकड़कर घसीटकर गिरफ्तार करने का आश्वासन भूपेश को दे ही चुके हैं। इसके पीछे एक कारण है, आज छत्तीसगढ़ में कोई पत्रकार भूपेश बघेल और उनके साथियों के गोरखधंधों पर लिखने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है। सारी की सारी मशीनरी मैनेज हो गई है। भाजपा के एक आध बड़े नेता अंदर खाने से भूपेश की मदद कर रहे हैं और सुनील नामदेव का उदाहरण सबके सामने है। भूपेश बघेल और उनकी चांडाल चौकड़ी के सामने मैं ही आखिरी कांटा हूं। प्रश्न चुनाव का तो इस चुनाव में राज्य के अधिकारी वर्ग यहां तक चुनाव आयोग भी अंदर खाने से कांग्रेस की मदद कर रहा है नहीं तो इतने गंभीर आरोप के साथ और प्रूफ के बाद भी चुनाव आयोग ने आरिफ शेख और आनंद छाबड़ा को अभयदान दे दिया, जिसके कारण पूरे प्रदेश में अधिकारियों के पास मैसेज चला गया है।

● कहीं सोची समझी साजिश का शिकार तो नहीं हुए अरविंद नेताम

राज्य में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने नई पार्टी के साथ चुनाव लडने का निर्णय लिया। उनके इस निर्णय के बाद से ही राज्य में अफरातफरी मच गई। क्या रजत बंसल और बघेल की नजदीकियां के कारण मुख्य चुनाव आयुक्त ने नेताम की पार्टी को नाम और चुनाव चिन्ह देने में ही देरी कर दी। जाहिर है कि सर्व आदिवासी समाज ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस से अलग हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम राज्य के 90 में से 50 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतर रहे हैं।

● 30 सीटों पर प्रत्याशियों का नाम फाइनल

छत्तीसगढ़ में सर्व आदिवासी समाज 'हमर राज पार्टी' के नाम से अस्तित्व में आ गया है। चुनाव चिह्न लेकर नियमानुसार पंद्रह चिह्न दिए गए हैं, कयास है कि कुएँ और पानी से संबंधित कोई बर्तन राजनीतिक दल का निशान हो सकता है। इसके अलावा राज्य के 90 में से 50 सीटों पर चुनाव लड़ने का पार्टी ने ऐलान किया है। इसमें आदिवासी आरक्षित 29 सीट और 21 सामान्य सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी है। पार्टी सामान्य सीटों पर ओबीसी वर्ग के साथ तालमेल बैठकर प्रत्याशी उतारने की रणनीति बना रही है। अरविंद नेताम ने बताया कि पार्टी ने 30 सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम फाइनल कर लिये हैं।

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