साउदी संग आर्थिक गलियारा! मोदी ने चीन को मात दे दिया!!



--के• विक्रम राव,
अध्यक्ष - इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स।

जब दुनिया भर के राजनेता और मीडियाकर्मी दिल्ली में हो रहे (8-10 सितंबर, 2023) जी-20 सम्मेलन की भव्यता और दिव्यता पर कसीदे गा रहे थे, तो छः हजार किलोमीटर दूर नीदरलैंड में राहुल गांधी यूरोपीय श्रोताओं को समझा रहे थे कि उसी दौरान नरेंद्र मोदी ने दिल्ली से गरीबों और आवारा पशुओं को ओझल करा दिया। जब पेरिस में राहुल बता रहे थे कि भारत में गोडसे बनाम गांधी वैचारिक जंग छिड़ी है तो उसी बेला पर राजघाट में बापू की समाधि पर इन राष्ट्रनायकों द्वारा मोदी फूलमाला अर्पित करा रहे थे, राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि के लिए। उन में शामिल थे फ्रांसीसी राष्ट्रपति एमेनुअल मेक्रोन, सपत्नीक। भले ही राहुल गांधी ने अपनी यूरोपीय पर्यटन के दौरान मोदी को छोटा बताने का ओछापन तो किया हो, मगर तभी उनकी मां सोनिया गांधी के मैके इटली की प्रधानमंत्री जिआर्जी मेलोनी दिल्ली में गुणगान कर रही थी कि : “नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे चेहेते राजनेता हैं।”

द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष मापन्ना मल्लिकार्जुन खर्गे चीख रहे थे कि उन्हें राष्ट्रपति भवन में डिनर पर नहीं आमंत्रित कर कांग्रेस पार्टी की अवमानना की गई है। तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने स्पष्ट किया कि उन्हें भी आमंत्रित नहीं किया गया। अर्थात भाजपा और कांग्रेसी मुखिया को एक साथ प्रधानमंत्री ने क्या कटवा दिया होगा? मगर खड़गे से पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव में पराजित हो चुके कांग्रेसी प्रत्याशी सांसद शशि थरूर ने कहा कि : “दिल्ली सम्मेलन भारत के लिए एक महान कूटनीतिक उपलब्धि है।” थरूर की राय में यूक्रेन के मसले पर रूस के आक्रमण की भर्त्सना न करके भारत ने अत्यंत विवेकपूर्ण और सलीके से नई दिल्ली घोषणा परित कराई।

राष्ट्रपति मुर्मू के रात्रिभोज में जो बाइडेन से भेंट कर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बड़े प्रफुल्लित थे। नीतीश ने कहा भी : “बहुत अच्छा चल रहा है।” दो अन्य महिलाएं भी नरेंद्र मोदी से मंत्रमुग्ध और आनंद विभोर हुईं। पहली थीं यूरोप के 27 राष्ट्रों के 70 करोड़ जनता की यूरोपियन यूनियन की अध्यक्षा उर्सुला वॉन डेर लेयेन (जर्मन चिकित्सिका)। दूसरी रहीं वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन की अध्यक्षा एनगोजी ओकोंजो-इवेला जो अफ्रीकन गणराज्य नाइजीरिया की वित्त मंत्री भी थीं।

नरेंद्र मोदी की, मेरे आकलन में, सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपलब्धि हुई कि तुर्की के पुननिर्वाचित राष्ट्रपति रिसेप एदोर्गन से स्नेहभरी यारी। इन्हें पाकिस्तान का परम हितैषी माना जाता था। जब कश्मीर में इसी जी-20 की बैठक (22 मई 2023) समाहूत हुई थी तो तुर्की ने श्रीनगर आने से मना कर दिया था क्योंकि वह उनकी नजर में विवादित भूमि है। बस साढ़े तीन माह में उनकी अवधारणा सुधार गई। दिल्ली सभा में एदोर्गन ने पुरजोर मांग की कि : “संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्य बनाया जाए।” याद आया 1950 में अमेरिका ने भारत को राष्ट्रवादी चीन (च्यांग काई शेक वाली) की जगह एशिया से स्थायी सदस्य बनाने का तब ऐसा प्रस्ताव रखा था। पर नेहरू ने माओवादी चीन के पक्ष में उसे अमान्य कर दिया था। तब दोनों मित्र थे। भाई-भाई। चीन की कृतघ्नता और आक्रमण का परिणाम सामने आया।

कुल मिलाकर मोदी ने दिखा ही दिया कि वे निखालिस भाजपायी हिन्दू हैं, राजनीतिक भी, मगर सबसे बढ़कर एक राष्ट्रनेता, बल्कि राष्ट्रवादी नायक। उसकी झलक मिलती है जब उन्हें सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुल अल साऊद से वार्ता और संधि की। विश्व इस्लाम की जन्मस्थली है यह। पैगंबर यही के हैं। मक्का-मदीना इसी देश में है। वहीं के युवराज ने भारत से मैत्री प्रगाढ़ करना चाहा। यह भाजपायी मोदी का ही करिश्मा है। सऊदी अरब भारत में सौ बिलियन डॉलर का निवेश करेगा। पचास बिलियन डालर अलग से तेल रिफाइनेरी योजना में। ऊर्जा क्षेत्र में सहायता अधिक मिलेगी। युवराज बोले : “हम दोनों लोग भारत और सऊदी के विकास हेतु एकजुट होकर काम करेंगे। सैन्य क्षेत्र में भी सहयोग करेंगे।” कुछ समय पूर्व भारतीय सेना के कमांडर जनरल मनोज मुकुन्द नरवाणे खाड़ी देशों में अध्ययन यात्रा पर गए थे। उस वक्त इस्लामी पाकिस्तान के दबाव का भारत से सऊदी अरब के रिश्ते कमजोर पड़ गए थे।

मगर अब सऊदी युवराज ने दिल्ली में घोषणा कर दी कि भारत से यूरोप निर्माणाधीन आर्थिक गलियारा जो साउदी तट से गुजरेगा वह दोनों राष्ट्रों में विकास की गति को तेज करेगा। सऊदी युवराज ने तो इतना कह दिया कि कम्युनिस्ट चीन के बेल्ट (BELT) योजना के तहत चल रहा गलियारा भी इतना लाभकारी नहीं होगा। उसे माकूल जवाब मिलेगा। इस प्रस्तावित आर्थिक गलियारे से पूरे संबंधित क्षेत्र के देशों में विकास की दर बढ़ेगी। यूरोप का भी हित होगा। स्वयं युवराज के शब्द थे : “मैं आपको जी 20 शिखर सम्मेलन के प्रबंधन और मध्य पूर्व, भारत और यूरोप को जोड़ने वाले आर्थिक गलियारे सहित हासिल की गई पहलों के लिए बधाई देता हूं।”

मोदी ने कहा : “हमने भारत, पश्चिमी एशिया और यूरोप के बीच कॉरिडोर स्थापित करने के लिए ऐतिहासिक शुरुआत की है। इससे न केवल दोनों देश आपस में जुड़ेंगे बल्कि एशिया, पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच आर्थिक सहयोग, ऊर्जा के विकास और डिजिटल कनेक्टिविटी को बल मिलेगा।" चूंकि सऊदी में भारत के करीब 15 लाख लोग रह रहे हैं, ऐसे में दोनों देशों के बीच विशेष संबंध बना है।

मोदी और सऊदी युवराज की भेंट का अगले वर्ष होने वाले लोकसभा निर्वाचन पर प्रभाव अवश्य पड़ेगा। भारत के मुसलमानों में मोदी के प्रति शंकायें बढ़ी थी जब से समान नागरिक संहिता, अयोध्या मंदिर, हिजाब पर पाबंदी आदि मुद्दे उपजे थे। अब जब अरब मुसलमान ही मोदी को सम्मान देते हैं तो भारत के कठमुल्लों का प्रभाव आम मुसलमान पर कमतर तो होगा ही। मोदी ने G-20 सम्मेलन से राष्ट्र के वैश्विक और आंतरिक लक्ष्य साध लिए।

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