--प्रदीप फुटेला
ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।
यूनाइटेड कोऑपरेटिव सोसाइटी द्वारा आयोजित हरितालिका तीज महोत्सव 2023 में भारत नेपाल के कलाकारों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर उपस्थित दर्शको को थिरकने पर मजबूर कर दिया। सर्वप्रथम दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद शुभारंभ किया गया। मुख्य अतिथि ननेपाल के प्रमुख उधोगपति प्रमोद खरेल रहे।
कार्यक्रम में नेपाल की मशहूर सिंगर वर्षा थापा व कोपिला न्योपाने ने नेपाली गाने सिक्री घटिमा, ध्रुवतारा, मकेको पाताले पर खूब मनोरंजन किया। अपने संगीत व नेपाली गानों से सभी दर्शको में खूब जोश भरा जिससे सभी दर्शक मंच पर पहुंच गए व जमकर धमाल मचाया। मुख्य अतिथि प्रमोद खरेल ने हरियाली तीज को सौभाग्य का प्रतीक बताया तथा सभी को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि भौगोलिक दृष्टि से देखें तो विश्व मानचित्र में नेपाल भले स्वतंत्र राष्ट्र नजर आता है, श्रद्धा-आस्था की डोर दोनों देशों को बांधे हुए हैै। भगवान शिव की अद्र्धांगिनी माता पार्वती के पिता पर्वतराज हिमालय हों या शक्ति आराधना के 52 शक्तिपीठों में, महात्मा बुद्ध की नेपाल स्थित जन्मस्थली भी अपनेपन का भाव भरती है।
पुरातन रिश्ते को आज भी दोनों देश निभाते हैैं। आज भी नेपाल में वर्ष-मास आदि की आधिकारिक गणना सौर मान के भारतीय ज्योतिष शास्त्र में वर्णित शक एवं विक्रम संवत के अनुसार होती है। प्राचीन सहित आधुनिक विद्याएं भारतीय ही हैैं। कारण यह कि वहां शास्त्र रूप में भारतीय मनीषा के परमतत्व वेद, व्याकरण ही पढ़ाए जाते हैैं। यही नहीं, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, रामनवमी, नवरात्र हो या होली-दशहरा, दीवाली व रक्षाबंधन समेत श्रावणी उपाक्रम आदि पर्व भारतीय परंपरा एवं धर्मशास्त्रीय आधार पर ही नेपाल में भी मनाए जाते हैं।
विशिष्ट अतिथि देवभूमि वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश महामंत्री एवं कुमाऊँ केसरी के संपादक प्रदीप फुटेला ने हरियाली तीज व भारत नेपाल संबंधों पर विस्तार से चर्चा की तथा बताया कि भगवान शिव व माता पार्वती के मिलन के उपलक्ष्य में हरियाली तीज का महोत्सव मनाया जाता है। माना जाता है कि यह सौभाग्य का सूचक है विवाहित महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए व कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए इस दिन यह त्योहार मनाती हैं व व्रत रखती हैं। उन्होंने कहा कि भारत-नेपाल का रिश्ता जगत विख्यात है। यह आज-कल की बात नहीं, वेद-पुराण के पन्ने पलटें तो उनमें भी इसका उल्लेख मिल जाता है। धर्म-संस्कृति, तीज-त्योहार व रीति-रिवाज में समानता भी इसका अहसास कराती है।
इस दौरान गुलमेली जमुना, जूना राणा, भावना खत्री, रीना क्षत्री, श्रृष्टि अधिकारी, राजू परियार, संस्था अध्यक्ष वी के कृष्णा, कार्यक्रम अध्यक्ष सुरेंद्र पांडेय, होटल व्यवसायी विष्णु के सी, सुनील रसाली, दिल्ली राज, देवेंद्र मालिया, विष्णु पोडवाल, सी ए सुमन, राजेश घिमिरे, गोपाल पांडेय, कमला पांडेय समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।
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