क्या चुनाव जीतने के लिए दमन-अत्याचार के लिए भूपेश बघेल का अस्त्र है 'रासुका' ?



--विजया पाठक (संपादक- जगत विजन),
रायपुर - छत्तीसगढ़, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

■ छत्तीसगढ़ में एक तरीके का "घोषित आपातकाल", जो भी खिलाफ लिखेगा-बोलेगा, वह जेल जाएगा

■ जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने में विफल भूपेश सरकार रासुका लगाकर छुपा रही अपनी विफलता

दिनांक 03 जनवरी को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के इतिहास में एक काला अध्याय स्थापित कर दिया है। इस दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में एक तरीके का घोषित आपातकाल मतलब राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में लागू कर दिया है। छत्तीसगढ़ में कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है। लेकिन छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की नेतृत्व वाली सरकार के पसीने अभी से ही छूटने लगे हैं। भूपेश बघेल और उनके मंत्रियों ने पिछले चार साल सिर्फ छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार और लूटपाट मचाई। अब प्रदेश में जनता की सुरक्षा का हवाला देते हुए और खुद को जनता का हितैषी बताने के लिए भूपेश बघेल ने राज्य में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाने की अधिसूचना जारी कर दी है। जबकि राज्य के भीतर वर्तमान समय में इस तरह के कानून की कोई आवश्यकता नहीं थी। राज्य में रासुका का लगना साफ तौर पर भूपेश बघेल की तानाशाही की ओर इशारा करता है। जाहिर है कि कांग्रेस सरकार ने राज्य में रासुका के जरिए एक बार फिर से आपातकाल लगाने की साजिश रची है। अब इस कानून को लागू करने का असली मकसद क्या है इस पर गौर करना जरूरी है।

पिछले कुछ दिनों से भूपेश बघेल और उनकी चांडाल चौकड़ी पर केंद्रीय एजेंसियां ने नकेल कस रखी है। साथ-साथ मुझ जैसे कुछ एक पत्रकार, समाजसेवी इनकी काली करतूतें लगातार छत्तीसगढ़ की जनता को जाहिर कर रहे थे। इनकी चांडाल चौकड़ी के प्रमुख सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी अभी जेल में हैं, स्वयं भूपेश बघेल और विनोद वर्मा अभी जमानत पर हैं जिसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है और इनकी जमानत कभी भी खारिज हो सकती है। अनिल टुटेजा पर भी कयास लग रहे हैं कि यह भी ईडी की जद में आने वाले हैं। नान घोटाले में भी इनकी जमानत खारिज हो सकती है। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री के पुत्र चेतन बघेल भी ईडी की जांच में शामिल हैं और इनकी भी गिरफ्तारी हो सकती है। ऐसे में अपने विरोधी और मुझ जैसे पत्रकारों की आवाज चुनाव तक दबाने का अस्त्र ही है छत्तीसगढ़ का नया घोषित आपातकाल। वैसे मेरे घर विनोद वर्मा के दबाव में छत्तीसगढ़ पुलिस को मेरे खिलाफ अवैधानिक तरीके से डिटेंशन की कोशिश 25 दिसंबर को की जा चुकी है।

आज छत्तीसगढ़ के हालत सूडान से भी ज्यादा खराब हो गए हैं। यह भूपेश और इनकी चांडाल चौकड़ी ने भय-अत्याचार-दमन-भ्रष्टाचार की सरकार पिछले चार वर्ष से चला रखी है। आदिवासी, सतनामी सभी पिछड़े समाजों का जमकर शोषण हुआ। अब जब चुनाव पास आ गए हैं तो भूपेश अपने खिलाफ उठती हर आवाज दबाना चाहते हैं।

• अपनी कुर्सी बचाने के लिए कितना और गिरेंगे बघेल

सरकार आदिवासियों को दबाने में लगी है, ताकि चुनाव में यह समाज डर के कारण इनके खिलाफ ना जाए। मुख्यमंत्री ने अघोषित आपातकाल लागू करने की शुरुआत लोकतांत्रिक आंदोलनों को कुचलने के लिए कानून बनाकर काफी पहले कर दी थी लेकिन इससे जनता के सभी वर्गों का आक्रोश दोगुना हो गया। इससे घबराकर उन्होंने रासुका के बहाने आपातकाल जैसी अलोकतांत्रिक स्थिति का निर्माण कर दिया है। रासुका लगाने का सीधा आशय भूपेश सरकार की नाकामयाबी और विफलता से है।

• भुगतना पड़ सकता है इसका खामियाजा

सूत्रों की मानें तो भूपेश बघेल के कैबिनेट मंत्री खुद ही मुख्यमंत्री के इस निर्णय से सकते में हैं। उनका कहना है कि वर्तमान समय में राज्य के अंदर ऐसी कोई सुरक्षा से जुड़ी समस्या नहीं है जिससे कि राज्य के अंदर रासुका लगाने जैसी कोई नौबत आये। लेकिन फिर भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह निर्णय लिया है तो निश्चित ही इसका नुकसान आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को होगा। कई मंत्रियों ने यह भी कहा है कि अभी भी समय है अगर भूपेश बघेल आगे भी अपनी सत्ता कायम रखना चाहते हैं उन्हें रासुका को तत्काल प्रभाव से राज्य से हटा देना चाहिए।

• रासुका का निर्णय नहीं रहा पक्ष में

पूर्व देश में आपातकाल की बात हो या फिर रासुका की। यह इतिहास रहा है कि जिस भी नेता ने देश में या राज्य में रासुका या आपातकाल लगाया है वो दोबारा सत्ता में नहीं लौटा। ऐसा ही कुछ आगाम विधानसभा चुनाव में बघेल के साथ होने का अंदेशा पार्टी नेताओं ने अभी से ही लगाना शुरू कर दिया है।

• क्या भयावह वातावरण के सहारे जीत पाएगी भूपेश बघेल?

कांग्रेस यह डींगें हांकती है कि प्रदेश में सब कुछ समान्य है, फिर रासुका क्यों लगाया है। अपने मूल दायित्व को निभाने में सरकार विफल हुई है। कांग्रेस की विभाजनकारी राजनीति की पोल खुल गई है। यह लोकतंत्र विरोधी कानून है। भाजपा इसे लेकर एक रैली करने वाली है। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रमन सिंह के साथ साथ राजेश मूणत ने कहा कि यदि हमारी सरकार आएगी तो रासुका खत्म करेंगे और मतांतरण रोकने के लिए कानून लाएंगे। उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री बघेल कुर्सी नहीं संभाल पा रहे हैं तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। अब सवाल प्रदेश की गंभीर स्थिति निर्मित करने का काम भूपेश बघेल और इनकी चौकड़ी ने किया है। आज मेरे जैसे पत्रकार जो इनके काले कारनामे उजागर करते है उनके साथ प्रदेश में कुछ भी ही सकता है। इनकी स्थिति यह है की सरकार के खिलाफ बोलने पर बस्तर की आंदोलनकारी सोनी सोढ़ी की घर की बिजली काट दी गई और जब यह बात राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की पत्रकार वार्ता में उठा उसके एक घंटे में बिजली लाइन जोड़ दी गई। इसके बाद राहुल गांधी ने इस यात्रा के बाद छत्तीसगढ़ में आकर उनके कुशासन देखने की बात की। शायद घोषित आपातकाल का एक कारण यह भी हो।

https://www.indiainside.org/post.php?id=9085