विजया दशमी को नहीं मारा गया था रावण : यज्ञाचार्य कृष्ण कांत मिश्रा



--एकलव्य कुमार,
जयपुर - राजस्थान, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

दहेज मुक्त भारत घनश्याम सेवा संस्थान की ओर से 'एक रहस्योद्घाटन धार्मिक कथा' का आयोजन किया गया। शहर के जगद्गुरु आश्रम में यज्ञाचार्य कृष्ण कांत मिश्रा ने कहा कि आश्विन शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को रावण वध नहीं हुआ था।

उन्होंने इस बात के प्रमाण गीताप्रेस गोरखपुर की 'श्रीमद वाल्मीकि रामायण' और तुलसीदास रचित 'रामचरित मानस' में उल्लेखित होने की बात कही। उन्होंने कहा, रामचरित मानस किष्किंधा कांड के 12वें दोहा में श्री राम अपने मित्र सुग्रीव को कहते हैं कि ग्रीष्म के बाद वर्षा ऋतु आने वाली है तबतक आप विश्राम करें। वहीं यज्ञाचार्य ने 'वाल्मिकी रामायण' के किष्किंधा कांड के 26वें अध्याय (सर्ग), 14वें से 21वें श्लोक का हवाला भी दिया। जिसमें प्रभु रामचंद्र सुग्रीव से कहते हैं कि हे मित्र, चातुर्मास में हम किसी पर आक्रमण नहीं करेंगे। कार्तिक मास आने पर तुम रावण पर आक्रमण करने की तैयारी शुरू करना। यहीं से प्रश्न उठता है कि जब प्रभु ने युद्ध के लिए सुग्रीव जी को कार्तिक मास तक महल में रुकने को कहा तो आश्विन मास में रावण वध क्यों मनाया जाता है?

वेंकटेश्वर प्रकाशन मुंबई द्वारा प्रकाशित ज्वाला प्रसाद मिश्र के अग्निवेश ऋषि के मत को आधार बनाकर लिखी गयी 'रामायण' और इसके अंतर्गत 'राम वनवास तिथि पत्र' का भी बतौर प्रमाण हवाला देते हुए यह बात कही। उन्होंने बताया कि धार्मिक ग्रंथों में ऋषि-मुनियों द्वारा लिखे सार्वभौमिक सत्य को भुला दिया गया है। वर्षों से लोग रावण वध विजया दशमी को मनाते आ रहे हैं। दीपावली को प्रभु श्री राम अयोध्या लौटे थे यही जानते हैं। पाठ्य पुस्तकों में भी यही उल्लेख है।

उन्होंने कथा के दौरान राम जन्म से लेकर लव-कुश जन्म तक कौन सी घटना किस माह और किस तिथि को हुई क्रमवार बताया। उन्होंने बताया कि 'राम वनवास तिथि पत्र' के अनुसार चैत्र शुक्ल चतुर्दशी तिथि को प्रभु श्री राम ने रावण का वध किया। इसके बाद वैशाख कृष्णपक्ष की सप्तमी तिथि को प्रभु श्री राम 41 वर्ष की आयु में माता जानकी और लक्ष्मण जी सहित अयोध्या लौटे थे।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति सहित तमाम राजनेताओं, संत समाज, पत्रकारों और विद्वानों से इस जानकारी को जन-जन तक पहुंचाने में सहयोग करने की अपील की।

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