--राजीव रंजन नाग,
नई दिल्ली, इंडिया इनसाइड न्यूज़।
भजापा द्वारा जनता दल (यू) के विधायकों तो तोड़ने की काईवाई की भनक लगते ही नीतीश कुमार सतर्क हो गए और फौरी कार्रवाई करते हुए आनन फानन में अपने विधायकों और सांसदों को पटना बुला कर भजपा की इस हरकत की जानकारी साझा की। इसके तुरत बाद जनता दल (यू) ने भाजपा नीत राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथ संबंध तोड़ लेने का फैसला किया।
पटना से मिल रही जानकारी के अनुसार भाजपा-जद(यू) के अनेक विधायकों को तोड़ने के लिए भाजपा ने करोड़ों रुपये देने का प्रलोभन देने का खुलासा तब हुआ जब एक के बाद एक कर कुल 6 से ज्यादा ऑडियो रिकॉर्डिग में विधायकों को तोड़ने का षढयंत्र रचने के क्लिपिंग्स नीतीश कुमार के सामने पेश किए गए। इन रिकॉर्डिग में नीतीश कुमार के विधायकों को तोड़ने का षडयंत्र रचने के तरीके की बातचीत की जा रही है। नीतीश के बुधवार को 8वीं वार मुख्यमंत्री पद की सपथ लेने की संभावना है।
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की शिव सेना तोड़ने के बाद बिहार में भाजपा का यह दूसरा निशाना था। इसे आपरेशन लोट्स (कमल) के नाम से जाना जा रहा है। मिल रही जानकारी के अनुसार भाजपा के इस आपरेशन में जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का मास्टर माइंड माना जा रहा है। राज्य सभा के टिकट से वंचित किये जाने से बुरी तरह विफरे सिंह ने दो दिनों पहले जद (यू) से इस्तीफा दे दिया था।
मुख्यमंत्री पद से नीतीश कुमार के इस्तीफे के साथ ही मंगलवार को बिहार में सियासी ड्रामा पर से पर्दा उठते ही पटना से लेकर दिल्ली तक सियासी गहमा गहमी तेज हो गई। कांग्रेस और भाजपा मुख्यालय में गहमा गहमी देखी जा सकती थी। मिल रही जानकारी के अनुसार महज तीन पहले इस्तीफा देने का मन बना चुके नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बातचीत कर कांग्रेस का समर्थन पक्का कर लिया था। राज्य विधान सभा में कांग्रेस के 19 विधायक हैं जबकि माक्सर्वादी लेनिनवादी दल (माले) के 14, हम के 4 और राजद के 79 विधायक हैं। इस गठबंधन को वामपंथी दल के 2 सदस्यों का भी समर्थन प्राप्त है।
243 सदस्यीय विधान सभा में सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों की जरुरत है। कहते हैं नीतीश ने लालू यादव से बातचीत की और भाजपा से अलग हो कर सरकार बनाने पर सहमति हांसिल कर ली थी। नीतीश ने लालू के बेटे तेजस्वी यादव से भी बातचीत की। तेजस्वी राज्यविधान सभा में विपक्ष के नेता हैं। नीतीश की जद (यू) के कुल 45 विधायक हैं। नीतीश बुधवार को 8वीं वार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।
भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से मोहभंग हो जाने के बाद वह महागठबंधन में शामिल होंगे। मंगलवार सुबह से ही जेडीयू और महागठबंधन की अलग-अलग बैठकों का दौर चल रहा था।
ऐसा ही सियासी खेल जुलाई 2017 में भी हो चुका है। बड़े बवाल के बाद आखिरकार 26 जुलाई 2017 को नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा देकर महागठबंधन से नाता तोड़ लिया था। बाद में उन्होंने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई। उस समय नीतीश कुमार ने सत्ता में शामिल आरजेडी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।
फरवरी 2017 में सोशल मीडिया में एक तस्वीर वायरल हुई थी। इस तस्वीर में बिहार के सीएम नीतीश कुमार एक पेंटिंग पर कमल भरते दिखाई दे रहे थे। पेटिंग में कमल का फूल था और सीएम उसी कमल के फूल पर रंग लगा रहे थे। ये तस्वीर सोशल मीडिया में जमकर वायरल हुई थी और इसके कई मतलब निकाले गए थे। इस तस्वीर में रंग भरने के कुछ महीनों बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन से गठबंधन तोड़कर बीजेपी के साथ सरकार बना ली थी।
नीतीश कुमार कई बार पाला बदल चुके हैं। नीतीश कुमार ने सबसे पहले 1994 में पाला बदला था। तब उन्होंने लालू यादव का साथ छोड़कर जॉर्ज फर्नांडिस के साथ मिलकर समता पार्टी का गठन किया था। उसके बाद उन्होंने 1996 में बीजेपी से हाथ मिलाया था। उस समय बिहार की सियासत में बीजेपी एक कमजोर दल था। ये गठबंधन करीब 17 साल तक चला। इसके बाद समता पार्टी टूट गई और 2003 में नीतीश कुमार ने जेडीयू का गठन किया इसके बाद नीतीश कुमार बीजेपी के साथ रहे।
नीतीश कुमार बीजेपी से पहली बार तब अलग हुए जब 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का कैंडिडेट घोषित किया। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और दलित नेता जीतन राम मांझी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया।
2015 के बिधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और नीतीश कुमार एक बार फिर से राज्य के सीएम बने। लेकिन ये रिश्ता भी लंबा नहीं चला और नीतीश कुमार ने 2017 में महागठबंधन से नाता तोड़ दिया और एक बार फिर से बीजेपी के साथ आए और राज्य के सीएम बने।
दो साल पहले (2020) जदयू ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया। इस चुनाव में एनडीए को जीत मिली। 2020 के चुनाव में बीजेपी राज्य की दूसरी पार्टी बनी। वहीं, जयदू के केवल 45 सीटों पर जीत मिली। इसके बाद बीजेपी ने नीतीश कुमार को सीएम बनाया। लेकिन अब 20 साल बाद फिर से नीतीश का मोह बीजेपी से भंग हो गया है।
बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार इसलिए भी बीजेपी के नाराज बताए जा रहे हैं कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल में बीजेपी के सहयोगी दलों को प्रतिनिधित्व मात्र सांकेतिक रूप में मिल रहा है। बिहार में आरसीपी सिंह जब दोबारा केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए थे उन्होंने नीतीश कुमार को किनारे कर सीधे बीजेपी नेतृत्व से बात की थी इसके बाद से नीतीश कुमार नाराज चल रहे थे।
टीम नीतीश इसे सबूत के तौर पर बताते हैं कि अमित शाह ने महाराष्ट्र में जो कुछ हुआ उसे दोहराने के लिए मुख्यमंत्री के खिलाफ साजिश रचने के लिए आरसीपी सिंह का इस्तेमाल किया। नीतीश कुमार को लगता है कि यह सहयोगी दलों को संभालने के लिए भाजपा का चार्टर बन गया है- उन्हें भीतर से कम करें, फिर उन्हें बाहर कर दें ताकि एक क्षेत्र में एकमात्र पार्टी न हो तो भाजपा को प्रमुख के रूप में स्थापित किया जा सके।
इस राजनीतिक गहमा गहमी के बीच लालू यादव की बेटी रोहिनी आर्चाया ने एक वीडियों की क्लीपिंग जारी करते हुए लिखा- 'राज तिलक की करो तय्यारी, आ रही हैं लालटेन-धारी'।
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