हावड़ा-पश्चिम बंगाल,
इंडिया इनसाइड न्यूज़।
पिछले दिनों सुबह व्हॉटसप पर बनारस से मेरे एक प्रिय भाई का चित्र संदेश मिला जिसमें एक इंसान बरसते बादलों की ओर इसारा करते देखते हुए फर्माते हैं कि "हिसाब से बरसिएगा प्रभु शहर की हालत आपसे छुपी नहीं है"। इस संदेश पर मेरा संदेश गया कि "हिसाब से बरसिएगा प्रभु शहर की हालत आपसे छुपी नहीं है.....अंग्रेजों के जमाने के...!"
70 के दशक की सुपरहिट फिल्म "शोले" आज भी हमारे बीच तरोताजा है। इस फिल्म के हर किरदार मनभावक रहे। मेरी उपरोक्त पंक्ति "अंग्रेजों के जमाने के..." इसी फिल्म की है। हास्य कलाकार असरानी ने इस फिल्म में जेलर का किरदार निभाया था और उनके संवाद की शुरुआत तकिया कलाम "अंग्रेजों के जमाने के..." से ही होता था।
क्या महाप्रभु महादेव की नगरी काशी भी जल-जमाव से ग्रसित है? क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र बनारस भी तनिक वर्षा से जल-मग्न हो उठता है? मन की बात में ये प्रश्न मेरे मस्तिष्क में घूमे थे। कारण भी है।
मेरे हावड़ा शहर का वर्तमान आलम तो यही है। आज भी अंग्रेजों के दिए पर ही है। जहाँ तक मुझे मालूम है कि जल निकासी व्यवस्था अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान बने नालों पर निर्भर है जो कि दशक दर दशक चली आ रही है। स्पष्ट शब्दों में कहें तो सुरंगी नाले अंग्रेजों के शासन काल के ही हैं। ग्राउंड लेवल लगभग 5 फीट ऊपर जरूर हो गए है परन्तु जल निकासी समस्या बद-से-बदतर ही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का तो सपना है कि शहर लंदन जैसा बनें तो क्या लंदन के लोग भी बादलों को देखते हुए कहते होंगे "हिसाब से बरसिएगा प्रभु शहर की हालत आपसे छुपी नहीं है....."।
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