नक्सलवाद को लेकर गंभीर नहीं भूपेश बघेल सरकार : बीते तीन साल में नक्सलवाद से 137 जवान शहीद



--विजया पाठक (एडिटर- जगत विजन),
रायपुर-छत्तीसगढ़, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

■ बीजापुर में नक्सली हमला, 24 जवान शहीद

■ चुनाव प्रचार में व्यस्त मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर और सुकमा जिले की सीमा पर इस साल का सबसे बड़ा नक्सली हमला हुआ है। नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में कुल 24 जवान शहीद हुए हैं और कई जवान घायल हो गए हैं। बीते तीन साल से नक्सलियों ने अपनी वारदातों को बढ़ाया है। इस बीच कोई 137 जवान शहीद हो गए हैं और प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार अपनी मस्ती में मशगूल है। सरकार प्रदेश में नक्सलवाद को लेकर जरा भी गंभीर नहीं है। नक्सली हमले में हमारे जवान अपनी जान गंवा रहें हैं और राज्य के मुख्यमंत्री और उनके मंत्री सत्ता का सुख भोगने में व्यस्त हैं। बीजापुर व कुछ दिनों पूर्व नारायणपुर में शहीद हुए जवानों का लहू देखकर भी मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों का कलेजा नहीं पसीजा। आखिर कब तक हमारे जवान ऐसे मरते रहेंगे। प्रदेश में इतनी बड़ी घटना के बाद भी मुख्यमंत्री चुनावी कार्यक्रमों में व्यस्त रहे। भूपेश सरकार ने लगभग तीन साल में नक्सली समस्या को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई। जिसका ही नतीजा है कि यह बड़ी वारदातें सामने आ रही हैं। यह बडी वारदात थी जो सबसे सामने आ गई है। प्रदेश में छोटी मोटी नक्सली घटनाएं होती रहती हैं। उनका तो जिक्र ही नहीं होता है।

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों से मुठभेड़ में जो 24 जवान शहीद हुए वे जवान एसटीएफ और जिला आरक्षित गार्ड (डीआरजी) के सैनिक थे। डीआरजी के एक साथ इतने जवान पहली बार हताहत हुए हैं। यह बलिदान इसलिए चिंताजनक है, क्योंकि एक पखवाड़े के भीतर दूसरी बार सुरक्षा बलों को निशाने पर लिया गया है। इसके पहले नारायणपुर में नक्सलियों ने सुरक्षाबलों की एक बस को बारूदी सुरंग में विस्फोट कर उड़ा दिया था। इस हमले में पांच जवान शहीद हुए थे। लगातार हुई इन दो घटनाओं से पता चलता है कि नक्सलियों का दुस्साहस कितना बढ़ गया है। उनकी तरफ से हिंसा से मुक्ति के जो संकेत दिए गए थे, वे महज सुरक्षा बलों की आंखों में धूल झोंकने के लिए थे। पिछले 15 दिन में हुए ये हमले इस बात की तस्दीक हैं कि छत्तीसगढ़ में नक्सली तंत्र मजबूत है और पुलिस व गुप्तचर एजेंसियां इनका सुराग लगाने में नाकाम हैं। जबकि शांति का पैगाम देकर नक्सली अपने संगठन की ताकत बढ़ाने और हथियार इकट्ठा करने में लगे रहे। इस तथ्य की पुष्टि इन हमलों से हुई है।

इससे पहले 9 अप्रैल 2019 दंतेवाड़ा के लोकसभा चुनाव में मतदान से ठीक पहले नक्सलियों ने चुनाव प्रचार के लिए जा रहे भाजपा विधायक भीमा मंडावी की कार पर हमला किया था। माओवादियों के इस हमले में भीमा मंडावी के अलावा उनके चार सुरक्षाकर्मी भी मारे गए थे। सुकमा जिले के दुर्रपाल के पास नक्सलियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 25 जवान उस समय मारे गए, जब वो सड़क निर्माण के दौरान सुरक्षा के बीच खाना खा रहे थे।

नक्सलियों की शक्ति व हमले कम नही हुए हैं, उनके पास सूचनाएं हासिल करने का मुखबिर तंत्र अब भी बरकरार हैं। हमला करके बच निकलने की रणनीति बनाने में भी वे सक्षम हैं, इसीलिए वे अपनी कामयाबी का झंडा फहराए हुए हैं। अब छत्तीसगढ़ नक्सली हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य बन गया है। अब बड़ी संख्या में महिलाओं को नक्सली बनाए जाने के प्रमाण भी मिल रहे हैं। बावजूद कांग्रेस के इन्हीं नक्सली क्षेत्रों से ज्यादा विधायक जीतकर आए हैं। हालांकि नक्सलियों ने कांग्रेस पर 2013 में बड़ा हमला बोलकर लगभग उसका सफाया कर दिया था। कांग्रेस नेता महेन्द्र कर्मा ने नक्सलियों के विरुद्ध सलवा जुडूम को 2005 में खड़ा किया था। सबसे पहले बीजापुर जिले के ही कुर्तु विकास खंड के आदिवासी ग्राम अंबेली के लोग नक्सलियों के खिलाफ खड़े होने लगे थे। नतीजतन नक्सलियों की महेन्द्र कर्मा से दुश्मनी ठन गई। इस हमले में महेंद्र कर्मा के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, तत्कालीन अध्यक्ष नंदकुमार पटेल और हरिप्रसाद समेत एक दर्जन नेता मारे गए थे। कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में खोई शक्ति फिर से हासिल कर ली, लेकिन नक्सलियों पर पूरी तरह लगाम नहीं लग पाई।

● छत्तीसगढ़ में तीन साल में 970 नक्सली वारदात, 113 जवान शहीद

2018 में देशभर में 833 नक्सली घटनाएं दर्ज हुई थीं, जो 2019 में घटकर 670 और 2020 में घटकर 665 हो गई। परन्तु छत्तीसगढ़ में नक्सली घटनाएं बढ़ी हैं। छत्तीसगढ़ में 2018 से 2020 तक 970 नक्सली घटनाएं हुई थीं। इनमें सुरक्षाबलों के 113 जवान शहीद हुए थे। 2019 में छत्तीसगढ़ में 263 नक्सली घटनाएं दर्ज हुई थीं, जो 2020 में करीब 20% बढ़कर 315 हो गईं। जबकि 2019 में नक्सली हमलों में छत्तीसगढ़ में 22 जवान शहीद हुए थे और 2020 में 36 जवानों की जान गई। अब 2021 में एक साथ चौबीस जवानों की शहादत ने बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। छत्तीसगढ़ में 2018 से लेकर 2020 तक तीन सालों में 970 नक्सली घटनाएं हुई थीं, जिनमें सुरक्षाबलों के 137 जवान शहीद हुए। वहीं, 2019 में छत्तीसगढ़ में 263 नक्सली घटनाएं दर्ज हुई थीं, जो 2020 में करीब 20% बढ़कर 315 हो गईं।

● 23 मार्च को नक्सली ब्लास्ट में 5 जवान शहीद हुए थे

छत्तीसगढ़ में 10 दिन के अंदर यह दूसरा नक्सली हमला है। इससे पहले 23 मार्च को हुए हमले में भी 5 जवान शहीद हुए थे। यह हमला नक्सलियों ने नारायणपुर में आइइडी ब्लास्ट के जरिए किया था। तर्रेम थाने से सीआरपीएफ, डीआरजी, जिला पुलिस बल और कोबरा बटालियन के जवान संयुक्त रूप से सर्चिंग पर निकले थे। इसी दौरान दोपहर में सिलगेर के जंगल में घात लगाए नक्सलियों ने हमला कर दिया। इस पर जवानों की ओर से भी जवाबी कार्रवाई की गई।

https://www.indiainside.org/post.php?id=8083