शिवराज सरकार में नई परंपरा : मंत्री प्रभुराम ने नियमों को अनदेखा कर पत्नी को दिया मनाचाहा प्रमोशन



--विजया पाठक (एडिटर - जगत विजन),
भोपाल-मध्य प्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

■ मंत्री प्रभुराम के एक निर्णय से शिवराज सरकार में नई परंपरा की शुरूआत, नियमों को अनदेखा कर पत्नी को दिया मनाचाहा प्रमोशन

वर्षों से परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप झेल रही कांग्रेस पार्टी की यह परंपरा अब मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार में भी देखने को मिल रही है। दरअसल सूबे के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने हाल ही में जो निर्णय लिया है उससे वो न सिर्फ प्रदेश में बल्कि देश में चर्चा का विषय बन गए है। मंत्री चौधरी ने अपनी पत्नी नीरा चौधरी को जिला स्वास्थ्य अधिकारी से सीधे क्षेत्रीय कार्यालय में संयुक्त संचालक के पद पर प्रमोट कर दिया। इस प्रमोशन में उन्होंने शासकीय नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अपनी मर्जी अनुसार यह निर्णय लिया।

खास बात यह है कि सिंधिया खेमे के डॉ. प्रभुराम चौधरी के इस निर्णय पर अब तक प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी चुप्पी साधी हुई है, कोई भी इस निर्णय पर कुछ कहने को तैयार ही नहीं है। बल्कि प्रदेश के मंत्री द्वारा अपने परिवार के लोगों को आगे बढ़ाने से जुड़े निर्णय के बाद चिकित्सा जगत से जुड़े लोग खासे नाराज है। नाराजगी बनती भी है, क्योंकि मंत्री चौधरी ने अपनी प्रकृति अनुरूप 1042 वरिष्ठ डॉक्टर्स को अनदेखा कर अपनी पत्नी को प्रमोशन दे दिया। सांची सीट से विधायक रहे डॉ. प्रभुराम चौधरी की पत्नी नीरा चौधरी की नियुक्ति को लेकर भी चर्चाओं का दौर गरम है। कई लोग नीरा की नियुक्ति को फर्जी बता रहे है। देखा जाए तो मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार के चौथे कार्यकाल में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलते है जहां मंत्रियों ने अपने परिवार के लोगों को प्रमुख पदों पर बैठाया है। लेकिन उन लोगों ने प्रभुराम चौधरी जैसे नियमों को ताक पर नहीं रखा, बल्कि नियमानुसार ही प्रमोशन दिया है। इस फेहरिस्त में गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा भी शामिल हैँ, उन्होंने अपने दामाद अविनाश लवानिया को जिला कलेक्टर भोपाल के पद पर बैठाया।

एक बात साफ है कि यदि शिवराज सरकार के मंत्री इसी तरह से अपने परिवार के सदस्यों को नियमों को ताक पर रखकर मनचाहे पदो पर बैठाते रहेंगे तो वो दिन दूर नहीं जब प्रदेश में एक आंदोलन की शुरूआत होगी और लोग सड़कों पर निकलकर इस तरह की तानाशाही का विरोध करेंगे। इसलिए मुख्यमंत्री जी को प्रभुराम चौधरी द्वारा लिए गए निर्णय को गंभीरता से लेते हुए इस परंपरा को यही समाप्त कर देना चाहिए और आदेश जारी करना चाहिए कि कम से कम नियमों को ताक पर रखकर किसी ऐसे व्यक्ति का हक तो न छीनें जो प्रमोशन का हकदार है।

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