--विजया पाठक
एडिटर - जगत विजन
भोपाल - मध्यप्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।
■आज भारत को वैश्विक पटल पर एक सशक्त और अनुभवी नेतृत्व की आवश्यकता
■कमलनाथ को मिलनी चाहिए अटल जी जैसी जिम्मेदारी
विश्व सहित भारत आज एक जटिल और अनिश्चितता के दौर से गुज़र रहा है। भारत के पड़ोसी देशों जैसे- नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और म्यांमार में राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता का वातावरण है। ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में भारत को न केवल अपनी संप्रभुता और हितों की रक्षा करनी है, बल्कि एक स्थिर और प्रभावशाली वैश्विक शक्ति के रूप में अपनी भूमिका को और भी मज़बूत करना है। इस परिप्रेक्ष्य में भारत के अनुभवी राजनेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ के अनुभव और दूरदर्शी सोच का लाभ उठाना देश के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री रहते हुए कमलनाथ ने वाणिज्य और उद्योग के रूप में पड़ोसी देशों से अच्छे रिश्ते बनाये। अब इस स्तर का कोई कूटनीतिज्ञ व्यक्ति नही है। भारत की संप्रभुता के हिसाब से इन सीमावर्ती देशों को अपने पक्ष में करके रखना और इनके हालातों को भी अपने पक्ष में रखने के लिये रीति और नीति की जो आवश्योकता है, वो कमलनाथ में देखने को मिलती है। यहां सवाल उठता है कि क्या मोदी सरकार इनके अनुभव और संबंधों का लाभ लेकर कमलनाथ को यह जिम्मेदारी दे सकती है।
● राजीव गांधी ने किया था ऐतिहासिक परंपरा का निर्वहन
भारतीय राजनीति में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखने की एक गौरवशाली परंपरा रही है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने विपक्ष के नेता होने के बावजूद अटल बिहारी वाजपेयी जी को संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजा था। यह इस बात का प्रमाण है कि जब देश की संप्रभुता और सम्मान की बात आती है, तो सभी राजनीतिक मतभेद भुला दिए जाते हैं। आज वर्तमान में केंद्र सरकार भी इसी परंपरा का निर्वहन कर सकती है। यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कमलनाथ के अनुभव का लाभ उठाने का निर्णय लेते हैं और उन्हें पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को सुधारने या अमेरिका और अन्य प्रमुख शक्तियों के साथ भारत के पक्ष को मज़बूती से रखने की ज़िम्मेदारी सौंपते हैं तो इसके अत्यंत सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
● कमलनाथ, एक वैश्विक नेता और कुशल वार्ताकार
कमलनाथ का राजनीतिक जीवन केवल राष्ट्रीय सीमाओं तक ही सीमित नहीं रहा है, बल्कि उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी भारत का मज़बूती से प्रतिनिधित्व किया है। विशेष रूप से केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल भारत की विदेश व्यापार नीति और वैश्विक संबंधों को एक नई दिशा देने वाला था। यह कमलनाथ का ही कुशल नेतृत्व था कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू.टी.ओ.) की जटिल वार्ताओं में भारत ने विकासशील देशों के हितों का एक मज़बूत पैरोकार बनकर उभरा। उन्होंने विकसित देशों के दबाव के आगे झुकने से इनकार कर दिया और भारत के किसानों, छोटे उद्योगों और मज़दूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक अभेद्य दीवार की तरह खड़े रहे। उन्होंने बार-बार इस बात पर ज़ोर दिया कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का उद्देश्य केवल मुनाफा कमाना नहीं, बल्कि विकासशील देशों में गरीबी और असमानता को दूर करना भी होना चाहिए। उनके इसी दृढ़ संकल्प ने उन्हें विकासशील देशों का एक सर्वमान्य नेता बना दिया।
आंकड़ों पर नज़र डालें तो, कमलनाथ के कार्यकाल में भारत के विदेशी व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई। वर्ष 2004-05 में भारत का वस्तु निर्यात लगभग 80 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 24% से अधिक की वृद्धि थी। उन्होंने "इंडिया एवरी वेयर" जैसे अभियानों को बढ़ावा दिया, जिससे वैश्विक निवेशकों का भारत पर विश्वास बढ़ा और देश में विदेशी निवेश में भारी वृद्धि हुई। यह उनकी ही दूरदृष्टि थी कि उन्होंने विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZs) की नीति को आगे बढ़ाया, जिसने भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने की नींव रखी।
● पड़ोसी देशों में अस्थिरता और कमलनाथ की प्रासंगिकता
आज जब हमारे पड़ोसी देशों की आंतरिक कलह और अस्थिरता से जूझ रहे हैं तो इसका सीधा प्रभाव भारत की सुरक्षा और आर्थिक हितों पर पड़ना स्वाभाविक है। इन देशों के साथ संबंधों में संतुलन और मज़बूती बनाए रखना भारत की विदेश नीति की सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसे समय में, कमलनाथ जैसा अनुभवी नेता एक संकटमोचक की भूमिका निभा सकता है। उनका दशकों का राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव, विभिन्न देशों के नेताओं के साथ उनके व्यक्तिगत संबंध और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं कूटनीति की गहरी समझ उन्हें इस भूमिका के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति बनाती है। केन्द्रीय मंत्री रहते हुए उन्हों ने कई देशों की यात्राएं की और भारत का प्रतिनिधित्व किया। व्यापारिक और सामरिक विषयों पर कमलनाथ ने मजबूती से देश का पक्ष रखा। जिसका नतीजा यह रहा कि भारत पर कभी भी व्यापार को लेकर अड़चनें नहीं आयीं जैसी आज आ रही हैं। वह चाहे अमेरिका रहा हो या हमारे पड़ोसी देश। व्यापारिक रिश्तों के चलते हितों के परिप्रेक्ष्य में भारत हमेशा अग्रिम पंक्ति में खड़ा रहा। कमलनाथ का विजन था कि इन देशों से व्यापारिक रिश्ते बेहतर बने ताकि वह देश भारत से दबे भी रहे और व्या़पार में आश्रित भी रहें। उदारीकरण, निजीकरण और वैश्विककरण से भारत के कारोबारों को मजबूत करना, उनकी नीति थी। जैसे- श्रीलंका से चाय और मसाले, नेपाल के युवाओं की गोरखा रेजिमेंट को बढ़ावा देना। ऐसे देशों के लिये कमलनाथ का विजन फायदेमंद रहा। पड़ोसी देशों के बीच व्यापार के साथ आत्मीय जुड़ाव भी बरकरार रहा।
कमलनाथ केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि एक ऐसे स्टेट्समैन हैं, जिन्होंने वैश्विक मंच पर भारत की आवाज़ को बुलंद किया है। उनका ज्ञान, अनुभव और अंतर्राष्ट्रीय मामलों की समझ उन्हें एक परिपक्व राजनेता बनाता है। आज की विषम परिस्थितियों में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उनके अनुभव का लाभ लेना न केवल भारत के पड़ोसी देशों में शांति और स्थिरता लाने में सहायक होगा, बल्कि यह विश्व पटल पर भारत की संप्रभुता को और भी सुदृढ़ करेगा। यह एक ऐसा कदम होगा जो राष्ट्रहित में एक नया और सुनहरा अध्याय लिखेगा।
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