--विजया पाठक
एडिटर - जगत विजन
भोपाल - मध्यप्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।
■मध्यप्रदेश में भाजपा नेताओं का यह बर्ताव जनता से दूरी बढ़ाने वाली चिंता का बन सकता है सबब
■प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल को बदनाम करने के लिए मंत्री नेताओं की यह सोची समझी चाल तो नहीं
■मंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल, विजय शाह, जगदीश देवड़ा, विधायक नरेन्द्र कुशवाह जैसे नेताओं ने तोड़ी मर्यादा
बिहार में राहुल गांधी की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी मां पर की गई अशोभनीय टिप्पणी को लेकर मचा बवाल अभी शांत भी नहीं हुआ था कि मध्यप्रदेश के सीहोर में भाजपा विधायक सुदेश राय का गाली देते हुए एक और वीडियो सामने आ गया है। मध्यप्रदेश की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी लंबे समय से सत्ता और संगठन दोनों स्तरों पर मजबूती से जमी हुई है। लेकिन बीते कुछ समय से पार्टी के विधायकों, मंत्रियों और नेताओं के व्यवहार को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। आए दिन जनता के साथ बत्तमीजी, गाली-गलौज और अभद्रता के मामले सामने आ रहे हैं, जिसने पार्टी की छवि को धूमिल करना शुरू कर दिया है। यह पहली बार नहीं है जब ऐसे घटनाक्रम सामने आए हों। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के कार्यकाल के दौरान भी कई बार नेताओं की हरकतें सुर्खियों में रही थीं। अब हेमंत खंडेलवाल के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद इस तरह के मामले तेजी से तूल पकड़ रहे हैं।
● जनता के साथ बततमीजी की घटनाएँ
बीते कुछ महीनों में प्रदेश भर से अलग-अलग स्थानों से भाजपा नेताओं के जनता के साथ अभद्र व्यवहार की शिकायतें आती रही हैं। कभी किसी मंत्री को आम नागरिक पर गुस्सा करते हुए कैमरे में कैद किया गया, तो कभी किसी विधायक को गाली-गलौज करते सुना गया। भिंड कलेक्टर से बीजेपी विधायक नरेंद्र कुशवाह की अभद्रता का मामला सामने आया। पार्टी ने सख्ती दिखाते हुए चेतावनी तक दी। वहीं मंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल ने ग्वालियर में एक रेस्टोरेंट में रेस्टोरेंट मालिक से काफी अभद्रता की। बाद में मंत्री नरेन्द्र पटेल को सफाई देनी पड़ी। प्रदेश के मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफिया पर बेहद अभद्र टिप्पणी की थी, जिसके बाद पूरे देश में मंत्री और बीजेपी की काफी किरकिरी हुई थी। उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने भी विवादित बयान देकर सेना का अपमान किया। 2024 में भोपाल में भाजपा नेता कामता पाटीदार द्वारा महिला एसडीओ से अभद्रता की गई। सोशल मीडिया के दौर में ये वीडियो और बयान तेजी से वायरल हो जाते हैं, जिससे आम जनता में असंतोष और नेताओं के प्रति अविश्वास की भावना बढ़ती है।
● क्या यह साजिश है?
राजनीतिक हलकों में यह चर्चा भी तेज है कि कहीं यह घटनाएँ सुनियोजित रूप से तो नहीं हो रही हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या भाजपा नेताओं के इन विवादित बयानों और व्यवहारों के पीछे पार्टी के भीतर ही कोई राजनीतिक खींचतान है? क्या यह प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल को बदनाम करने की साजिश हो सकती है? क्योंकि जिस तरह से लगातार घटनाएँ घट रही हैं, उससे यह संदेश जाने लगा है कि नए नेतृत्व के हाथों में संगठन नियंत्रण से बाहर है।
● सत्ता और संगठन के लिए चुनौती
मंत्री और नेताओं का इस तरह का व्यवहार केवल जनता को निराश नहीं करता, बल्कि सत्ता और संगठन दोनों के लिए चिंता का विषय है। सरकार के मंत्री जब जनता से सीधे संवाद में असंयमित भाषा का प्रयोग करते हैं, तो शासन-प्रशासन की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठता है। संगठन की दृष्टि से देखें तो कार्यकर्ताओं का मनोबल भी प्रभावित होता है। कार्यकर्ता जनता के बीच जाकर पार्टी की नीतियों का प्रचार करें और जनता से सुनने को मिले कि उनके नेता अभद्र हैं- यह स्थिति निश्चित रूप से संगठन के लिए चुनौतीपूर्ण है।
● यह नहीं है पहला अवसर
यह पहला मौका नहीं है जब भाजपा नेताओं पर ऐसे आरोप लगे हों। वीडी शर्मा के प्रदेश अध्यक्ष रहते भी कई बार विधायकों और मंत्रियों के विवादित बयान और व्यवहार सुर्खियों में रहे थे। कभी जनता से भिड़ने की घटनाएँ सामने आईं, तो कभी अधिकारियों के साथ अभद्रता की शिकायतें। इन घटनाओं ने भाजपा की छवि को पहले भी आघात पहुँचाया था। फर्क केवल इतना है कि अब यह घटनाएँ अधिक नियमितता के साथ सामने आ रही हैं।
● पचमढ़ी बैठक के परिणाम?
पिछले दिनों भाजपा ने पचमढ़ी में शिष्टाचार बैठक आयोजित की थी, जिसका उद्देश्य संगठन और सरकार के बीच बेहतर तालमेल बनाना था। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि क्या जनता के सामने आ रही इन घटनाओं से उस बैठक का यही परिणाम है? जनता तो यही मान रही है कि बैठकों में केवल दिखावटी संदेश दिए जाते हैं, जबकि जमीन पर नेताओं का व्यवहार बदलने का कोई असर नहीं दिखता। अगर पिछले एक वर्ष का रिकॉर्ड देखें तो भाजपा के कई मंत्री और विधायक अलग-अलग मामलों में विवादित बयानबाजी या बर्ताव को लेकर चर्चा में रहे हैं।
● विपक्ष ने साधा हमला
कांग्रेस ने भाजपा नेताओं के इन व्यवहारों को “जनता का अपमान” करार दिया है। विपक्ष कह रहा है कि भाजपा के मंत्री और विधायक जनता के सेवक नहीं, बल्कि शासक की तरह व्यवहार कर रहे हैं। कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया है कि जब जनता के सामने नेताओं का रवैया ऐसा है, तो प्रशासनिक स्तर पर आम नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार होता होगा। स्थिति स्पष्ट रूप से यह संकेत देती है कि भाजपा को अब आत्ममंथन की आवश्यकता है।
● भविष्य की राजनीति पर असर
अगर यह प्रवृत्ति जारी रही तो इसका असर भाजपा की भविष्य की राजनीति पर गंभीर रूप से पड़ सकता है। जनता अब सजग है और हर घटना सोशल मीडिया पर तुरंत वायरल हो जाती है। मध्यप्रदेश भाजपा के सामने यह एक गंभीर चुनौती बन चुकी है। जनता के साथ नेताओं का असंयमित व्यवहार केवल व्यक्तिगत छवि को नहीं, बल्कि पूरी पार्टी को नुकसान पहुँचा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल को यह साबित करना होगा कि वे संगठन को अनुशासन और मर्यादा के रास्ते पर चलाने में सक्षम हैं। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो विपक्ष इस मुद्दे को भुनाकर भाजपा के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
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