--विजया पाठक
एडिटर - जगत विजन
भोपाल - मध्यप्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।
■कैलाश विजयवर्गीय सिर्फ सत्ता की राजनीति नहीं करते, बल्कि संगठन और जनता के बीच मजबूत सेतु का काम करते हैं
■कैलाश विजयवर्गीय की कुशलता पर कायल है आलाकमान
■पर्यावरण संरक्षण के प्रति संवेदनशील है विजयवर्गीय
■मालवा सहित पूरे मध्यप्रदेश में वर्चस्व
■बंगाल और हरियाणा को भी बीजेपी को मजबूत किया
मध्यप्रदेश की राजनीति में भाजपा ने पिछले तीन दशकों में जिस मजबूती से अपनी पकड़ बनाई है, उसके पीछे कई बड़े नेताओं का योगदान रहा है। इन नेताओं में यदि सबसे प्रभावशाली और दूरदर्शी चेहरों की सूची बनाई जाए तो उसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय का नाम प्रमुखता से दर्ज किया जाएगा। चाहे प्रदेश की राजनीति हो, संगठन को मजबूत करना हो या राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की छवि को धार देना- हर मोर्चे पर विजयवर्गीय ने अपनी अलग पहचान बनाई है। आज जब मध्यप्रदेश की राजनीति का विश्लेषण किया जाता है, तो यह साफ दिखता है कि भाजपा का जनाधार लगातार स्थिर और मजबूत बना है। इसमें मुख्यमंत्री, सांसद और अन्य नेताओं का योगदान तो है ही, लेकिन मालवा सहित अन्य क्षेत्रों में भाजपा की गहरी पैठ और संगठनात्मक मजबूती का श्रेय काफी हद तक कैलाश विजयवर्गीय के नेतृत्व को जाता है।
उन्होंने इंदौर, उज्जैन, देवास, धार और रतलाम जैसे जिलों ने प्रदेश की सत्ता का रास्ता तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विजयवर्गीय की राजनीति की शुरुआत भी इसी क्षेत्र से हुई। इंदौर नगर निगम से लेकर विधायक और मंत्री पद तक की उनकी यात्रा ने उन्हें आम कार्यकर्ताओं के बीच लोकप्रिय बना दिया। उनकी पहचान सिर्फ एक नेता के रूप में नहीं, बल्कि संगठन को जोड़ने वाले सूत्रधार के रूप में है। यही कारण है कि मालवा में भाजपा का वोट बैंक लगातार बढ़ता गया।
●संगठनात्मक कौशल और भाजपा की मजबूती
कैलाश विजयवर्गीय की असली ताकत उनका संगठनात्मक कौशल है। वे सिर्फ भाषण देने या चुनावी रणनीति बनाने तक सीमित नहीं रहते, बल्कि कार्यकर्ताओं के बीच लगातार संवाद स्थापित करते हैं। यही कारण है कि भाजपा के जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं में उनके प्रति विशेष लगाव देखने को मिलता है। विजयवर्गीय ने कई बार साबित किया है कि वे कठिन से कठिन परिस्थिति में भी संगठन को एकजुट रख सकते हैं। प्रदेश में गुटबाजी की राजनीति का असर भाजपा पर भी पड़ता रहा है, लेकिन विजयवर्गीय ने अपने व्यवहार और नेतृत्व क्षमता से कार्यकर्ताओं को जोड़कर रखा। यही वजह है कि आज भी उन्हें भाजपा का संकटमोचक कहा जाता है।
●प्रदेश से बाहर भी बढ़ा कद
विजयवर्गीय का कद सिर्फ मध्यप्रदेश तक सीमित नहीं रहा। भाजपा नेतृत्व ने उनके अनुभव और रणनीतिक समझ का उपयोग अन्य राज्यों में भी किया। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव। वर्ष 2021 के चुनाव में जब भाजपा ने ममता बनर्जी के गढ़ में सेंध लगाने का निर्णय लिया, तो पार्टी ने विजयवर्गीय को जिम्मेदारी सौंपी। उन्होंने बंगाल में महीनों तक डेरा डाला, बूथ-स्तर तक संगठन खड़ा किया और कार्यकर्ताओं को जोश से भर दिया। यद्यपि भाजपा उस चुनाव में पूर्ण सफलता हासिल नहीं कर सकी, लेकिन पार्टी ने इतिहास का सबसे बड़ा प्रदर्शन किया। भाजपा 3 से सीधे 77 सीटों पर पहुँची। यह उपलब्धि दिखाती है कि विजयवर्गीय की रणनीति ने बंगाल की राजनीति में भी नई करवट पैदा की।
●राष्ट्रीय नेतृत्व में भरोसेमंद चेहरा
भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व हमेशा उन नेताओं पर भरोसा जताता है जो कठिन परिस्थितियों में भी संगठन को मजबूती से खड़ा कर सकें। कैलाश जी इस कसौटी पर खरे उतरते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की टीम में विजयवर्गीय को एक भरोसेमंद रणनीतिकार माना जाता है। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से लेकर चुनावी प्रबंधन तक, विजयवर्गीय का योगदान लगातार बढ़ रहा है। उन्हें प्रदेश से बाहर भी कई चुनावों में स्टार प्रचारक और समन्वयक की भूमिका दी जाती है।
●भाजपा को एकजुट रखने की क्षमता
मध्यप्रदेश की राजनीति में सबसे बड़ी चुनौती है गुटबाजी। कांग्रेस हो या भाजपा, दोनों दलों में गुटबाजी का असर समय-समय पर देखने को मिलता रहा है। ऐसे में विजयवर्गीय का कद इसलिए और महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि वे संगठन को एक सूत्र में बांधने की क्षमता रखते हैं। उनका राजनीतिक व्यवहार समन्वयकारी है। वे न तो अत्यधिक आक्रामक हैं और न ही पूरी तरह से समझौता करने वाले। यही संतुलन उन्हें कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच एक सेतु के रूप में स्थापित करता है।
●आगे की राजनीति में संभावनाएँ
मध्यप्रदेश में भाजपा की राजनीति आने वाले वर्षों में कई चुनौतियों और अवसरों से गुजरने वाली है। विजयवर्गीय की संगठनात्मक क्षमता, जनता से जुड़ाव और राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता उन्हें भविष्य की राजनीति में एक प्रमुख चेहरा बनाती है। यदि भाजपा मध्यप्रदेश में सत्ता का नेतृत्व परिवर्तन करती है, तो विजयवर्गीय एक स्वाभाविक दावेदार के रूप में उभर सकते हैं। आज जब भाजपा मध्यप्रदेश में मजबूत स्थिति में है और राष्ट्रीय स्तर पर लगातार अपना दायरा बढ़ा रही है तो विजयवर्गीय जैसे नेताओं का महत्व और भी बढ़ जाता है। उनकी कार्यशैली, जनता से जुड़ाव और रणनीतिक दृष्टि उन्हें उन नेताओं की श्रेणी में खड़ा करती है जो न सिर्फ वर्तमान बल्कि भविष्य की राजनीति में भी निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
●पर्यावरण प्रेमी भी हैं कैलाश जी
कैलाश विजयवर्गीय केवल राजनीति के ही योद्धा नहीं हैं बल्कि वे पर्यावरण के सच्चे प्रेमी भी हैं। राजनीति के हर दौर में उन्होंने पर्यावरण के प्रति अपनी इच्छाओं को आत्मसात किया है। इंदौर में लगातार पौधारोपण का अभियान चला रहे विजयवर्गीय द्वारा अब तक लगाए गए पौधों को 100 फीसदी जीवित रखने का भी रिकॉर्ड बनाया है। उनके नेतृत्व में शहर के रेवती रेंज की पहाड़ी पर 12,40,000 पौधे शहरवासियों ने लगाए थे, जो अब तक पहाड़ी पर लहलहा रहे हैं। इंदौर में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के चलते एयर क्वालिटी इंडेक्स को सुधारने की दिशा में कैलाश विजयवर्गीय ने वृक्षारोपण अभियान चला रखा है। इस क्रम में वे शहर में पितृ पर्वत विकसित कर चुके हैं। जहां शहरवासियों के पितरों की याद में लाखों पौधे लगाए गए हैं।
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