--विजया पाठक
एडिटर - जगत विजन
भोपाल - मध्यप्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।
■पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ की सक्रियता से मिलेगी कांग्रेस के पुनर्गठन की नई रणनीति
■भाजपा में लगातार उपेक्षित हो रहे 500 से अधिक कार्यकर्ताओं ने कमलनाथ पर जताया भरोसा
मध्यप्रदेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल देखी जा रही है और इसके केंद्र में हैं वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ। छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा और हर्रई इलाकों में भाजपा के 500 से अधिक कार्यकर्ताओं को कांग्रेस की सदस्यता दिलाकर कमलनाथ ने न केवल अपनी राजनीतिक सक्रियता का संकेत दिया है, बल्कि प्रदेश की राजनीति में एक नई रणनीतिक परत भी जोड़ दी है। यह घटनाक्रम सिर्फ दल-बदल की राजनीति नहीं है, बल्कि इसके गहरे सामाजिक, संगठनात्मक और रणनीतिक निहितार्थ हैं।
● कमलनाथ की वापसी शैली मौन नहीं, मैदान में
पिछले कुछ महीनों से यह चर्चा ज़ोरों पर थी कि क्या कमलनाथ सक्रिय राजनीति से किनारा कर रहे हैं या पार्टी में सीमित भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन इस सदस्यता अभियान ने इन तमाम अटकलों को विराम दे दिया है। उन्होंने स्पष्ट संकेत दिया है कि वे पार्टी को केवल नेतृत्व ही नहीं देंगे, बल्कि मैदान में उतरकर कांग्रेस को जमीनी ताकत भी दिलवाएंगे। उनका यह अभियान केवल स्थानीय स्तर की रणनीति नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में कांग्रेस के लिए संदेश का कार्य करेगा।
● भाजपा से मोहभंग और कांग्रेस की स्वीकार्यता
छिंदवाड़ा के गोंडवाना और आसपास के क्षेत्र भाजपा के परंपरागत गढ़ माने जाते रहे हैं। ऐसे में भाजपा के 500 से अधिक कार्यकर्ताओं का कांग्रेस में शामिल होना केवल आंकड़ों की बात नहीं, बल्कि भाजपा के आंतरिक संकट की ओर संकेत करता है। कमलनाथ ने यह स्पष्ट किया कि ये कार्यकर्ता भाजपा द्वारा उपेक्षित महसूस कर रहे थे और वे किसी षड्यंत्र या टूट-फूट की राजनीति के तहत नहीं, बल्कि सम्मान और पहचान की तलाश में कांग्रेस में आए हैं। यह कांग्रेस के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो दिखाता है कि पार्टी अब केवल नीतियों या विचारों तक सीमित नहीं, बल्कि व्यक्तिगत सम्मान और सामाजिक जुड़ाव की राजनीति भी कर रही है।
● कमलनाथ ने ही प्रदेश में मेट्रो की नींव रखवाई थी
मध्यप्रदेश में मेट्रो की सबसे पहले कमलनाथ ने ही नींव रखवाई थी। यह बात उस समय की है जब प्रदेश में बाबूलाल गौर नगरीय विकास मंत्री थी और केन्द्र में कमलनाथ मंत्री थे। कमलनाथ ने बाबूलाल को दिल्ली बुलाकर कहा कि मैं सब जगह जाता हूं और सब जगहों पर मेट्रों का शिलान्यास हो रहा है लेकिन मध्यप्रदेश में नहीं। तब बाबूलाल ने कहा था कि हमारे पास तो डीपीआर के भी पैसे नहीं हैं। उसी समय कमलनाथ ने कहां कि आप डीपीआर बनवाईये, पैसे मैं देता हूं। उस समय कमलनाथ ने डीपीआर के 15 करोड़ रूपये दिये थे। इस बात का जिक्र हाल ही में कमलनाथ ने विधानसभा में किया था। कहने का मतलब है कि कमलनाथ को प्रदेश के विकास की चिंता हमेशा रही है। सरकार किसी भी पार्टी की रही हो कमलनाथ ने हमेशा प्रदेश के विकास पर फोकस किया।
● समाज को जोड़ने की कांग्रेस की परंपरा
कांग्रेस कार्यकर्ताओं और हाल में शामिल हुए भाजपा से आए सदस्यों का मानना है कि कांग्रेस 'समाज को तोड़ने' की नहीं, बल्कि 'समाज को जोड़ने' की राजनीति करती है। यही वह भावनात्मक जुड़ाव है, जो वर्तमान समय में भारतीय राजनीति में दुर्लभ होता जा रहा है। इस बात को राजनीतिक विश्लेषकों ने भी रेखांकित किया है कि कांग्रेस की जमीनी पकड़ भले ही कमजोर हुई हो, लेकिन उसकी संगठनात्मक संस्कृति और समावेशी दृष्टिकोण अभी भी लोगों को आकर्षित करने में सक्षम है।
● कमलनाथ की विकास नीति की मिसाल
कमलनाथ के राजनीतिक नेतृत्व का मूल्यांकन केवल संगठन या सदस्यता अभियानों से नहीं किया जा सकता। उनका प्रशासनिक अनुभव और विकासशील सोच भी उनके व्यक्तित्व का अहम हिस्सा है। बतौर केंद्रीय मंत्री, उन्होंने मध्यप्रदेश में मेट्रो परियोजना लागू करने की प्रक्रिया शुरू की। बाद में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने स्वयं इसकी नींव रखी। यह एक दुर्लभ संयोग है कि एक नेता ने किसी परियोजना की परिकल्पना भी की और उसकी आधारशिला भी स्वयं रखी। इससे यह प्रमाणित होता है कि कमलनाथ की दृष्टि सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि विकासोन्मुखी भी रही है।
● विधानसभा में स्पष्ट और आक्रामक विपक्ष की भूमिका
विधानसभा में कमलनाथ ने राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि "मध्यप्रदेश में घोषणाओं और आश्वासन की सरकार चल रही है।" यह वक्तव्य केवल आलोचना नहीं, बल्कि जनता को यह बताने का प्रयास भी है कि प्रदेश में कथित विकास की कहानी केवल कागजों और नारों तक सीमित है। उनका यह बयान चुनावी दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक सक्रिय, स्पष्ट और तथ्यात्मक विपक्ष जनता को यह भरोसा दिला सकता है कि सत्ता के विकल्प के रूप में कांग्रेस न केवल तैयार है, बल्कि सक्षम भी है।
● प्रदेश नेतृत्व और केंद्रीय कांग्रेस के बीच तालमेल
पार्टी में निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता और संवाद से ही कांग्रेस भविष्य में मजबूत विकल्प बन सकती है। कमलनाथ द्वारा शुरू की गई यह पहल केवल एक राजनीतिक गतिविधि नहीं, बल्कि कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की रणनीति का हिस्सा है। छिंदवाड़ा से शुरू हुआ यह सदस्यता अभियान यदि प्रदेश भर में फैला तो कांग्रेस को नई ऊर्जा और दिशा मिल सकती है। भाजपा के भीतर असंतोष, जनता में विकास के ठोस परिणामों की मांग और कांग्रेस के समावेशी दृष्टिकोण के बीच कमलनाथ एक सेतु की तरह कार्य कर रहे हैं। उनका प्रशासनिक अनुभव, राजनीतिक सूझबूझ और जमीनी पकड़ कांग्रेस को आगामी चुनावों में मुकाबले में बनाए रखने की क्षमता रखती है। यदि कांग्रेस इस पहल को संगठनात्मक रूप से मजबूत करती है और वैकल्पिक नीतियों को जनसामान्य तक पहुंचाने में सफल होती है तो यह कहा जा सकता है कि कमलनाथ की यह वापसी सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि कांग्रेस के लिए नवजीवन का आरंभ हो सकती है।
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