--विजया पाठक
एडिटर - जगत विजन
भोपाल - मध्यप्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।
●मध्यप्रदेश में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी आगामी चुनाव में कर सकती है बड़ा उलटफेर
● छत्तीसगढ़ में सिंहदेव के साथ महंत और राजस्थान में गहलोत के साथ पायलट दे सकते हैं पार्टी को नई दिशा
मध्यप्रदेश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बाद मन मुताबिक परिणाम न पाने के बाद कांग्रेस पार्टी ने वर्ष 2028 के चुनाव की तैयारियां अभी से आरंभ कर दी है। लेकिन अभी तक कांग्रेस पार्टी में जिस तरह से अंतर्गत मची हुई है उसको देखते हुए यह कहा जा सकता है कि फिलहाल कांग्रेस के लिए 2028 के चुनावों में जीत की पताका लहरा पाना संभव नहीं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि कांग्रेस आलाकमान ने हार के बावजूद तीनों प्रमुख राज्य मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में उस ढंग से हार की समीक्षा नहीं की जैसे भारतीय जनता पार्टी में होती है। उदाहरण के तौर पर जब मध्यप्रदेश में वर्ष 2018 का विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी हारी तो भाजपा के शीर्ष नेताओं ने हार की समीक्षा करते हुए प्रदेश को नये हाथों में सौंपने का फैसला किया। ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण फैसले कांग्रेस को भी लेने की आवश्यकता है जिसका फायदा पार्टी को मिले।
• अनुभवी और युवा नेता की जोड़ी ही दिलाएगी जीत
मैं पिछले चार दशकों से राजनैतिक पत्रकारिता से जुड़ी हुई हूं। इस दौरन मैंने कई पार्टियों की हार और जीत को करीब से देखा है। मुझे जो कांग्रेस पार्टी की वर्तमान स्थिति समझ आती है उसे देखकर यह कहा जा सकता है कि पार्टी आलाकमान को अनुभवी और युवा नेता के साथ मिलकर प्रदेश में चुनाव की रणनीति को अंतिम रूप देने की स्वतंत्रता देना चाहिए। जहां तक बात मध्यप्रदेश की है तो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ एक ऐसा व्यक्तित्व है जो कांग्रेस को न सिर्फ प्रदेश में जीत दिलवाने में सक्षम हैं बल्कि वे पार्टी को एकसूत्र में पिरोकर आगे बढ़ने की भी काबिलयत रखते हैं। ऐसे में मध्यप्रदेश में पार्टी आलाकमान को कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और अन्य वरिष्ठ नेता ,छत्तीसगढ़ में चऱणदास महंत और टीएस सिंहदेव और राजस्थान में अशोक गहलोत के साथ सचिन पायलट की जुगलबंदी को मजबूती प्रदान करने की आवश्यकता है।
• सबको साथ लेकर चलने में रखते हैं विश्वास
वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ एक ऐसे नेता हैं जो प्रदेश की राजनीति को भलीभांति जानते हैं और यहां के मिजाज से वे अच्छी तरह परिचित हैं। यही नहीं कमलनाथ एकमात्र वह नेता हैं जो पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को एक सूत्र में पिरोकर चलने में सक्षम हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हमें वर्ष 2018 के चुनाव की जीत के बाद देखने को मिला था। जहां कमलनाथ ने पहले जनसमर्थन प्राप्त किया और उसके बाद पार्टी नेताओं का समर्थन प्राप्त कर विधायक दल के नेता बने। उन्होंने पहले दिन से ही सभी को साथ लेकर चलने की परंपरा को साधा और आगे बढ़े। हालांकि कुछ समय बाद परिस्थितियां बदली और दग़ाबाज़ ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण उन्हें सत्ता से बाहर होना पड़ा। खैर, सत्ता से बाहर होने के बाद भी उन्होंने पार्टी के लिए कार्य करना नहीं छोड़ा और हर नेताओं को अपने साथ मिलाकर आगे बढ़ते रहे।
• कमलनाथ प्रदेश में बड़ा परिवर्तन लाने का रखते हैं दम
राजनैतिक विश्लेषकों के अनुसार कमलनाथ मध्यप्रदेश कांग्रेस में वह नेता हैं जो आगामी चुनाव में बड़ा फेरबदल कर सकते हैं। क्योंकि प्रदेश की जनता आज भी उनसे जुड़ी है और उन्हें अपना नेता मानती है। यही कारण है कि आज भी कमलनाथ जिस जिले में रैली या फिर कार्यक्रम के लिए जाते हैं तो वहां बड़े स्तर पर जनसमर्थन उमड़ पड़ता है। ऐसे मे पार्टी आलाकमान राहुल गांधी, सोनिया गांधी को इस दिशा में दोबारा से विचार करने की आवश्यकता है जिससे वे कमलनाथ को दोबारा पार्टी में बड़ी भूमिका देकर मध्यप्रदेश में कांग्रेस का झंडा बुलंद कर सकते हैं।
• अन्य राज्यों में भी हो सकता है यह प्रयोग
एक समय था जब देश के अधिकतर राज्यों में कांग्रेस पार्टी का शासन था। लेकिन समय के साथ पार्टी का प्रभाव कम होता चला गया औऱ पार्टी ने कई महत्वपूर्ण राज्य खो दिये। इसका सबसे बड़ा कारण है कि पार्टी आलाकमान ने अनुभवी नेताओं को एक के बाद एक साइड में खड़ा कर दिया और कमान युवाओं को सौंपी। जबकि देखा जाए तो अनुभवी नेताओं में पार्टी के कार्यशैली की समझ और कुशल रणनीति बनाने की सक्षमता होती है। लेकिन युवा नेता ऊर्जावान होते हैं। ऐसे में पार्टी को अनुभवी और ऊर्जावान नेता का सूत्र बनाकर राजनीति में इसे अमल करना चाहिए। तभी कुछ सकारात्मक बदलाव की अपेक्षा की जा सकती है।
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