--विजया पाठक
एडिटर - जगत विजन
भोपाल - मध्यप्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।
■इज आफ डूइंग बिजनेस (ईओडीबी) में फेल हुई मोहन यादव सरकार
■सरकार की बेरुखी के कारण युवा उद्यमियों के स्टार्ट-अप वंडर लूम्स को छोड़ना पड़ा मध्यप्रदेश
■क्षेत्रीय निवेश कॉन्क्लेव के बाद जीआईएस जैसे आयोजनों की क्यों पड़ी आवश्यकता?
■मोहन यादव ने प्रदेश के करोड़ों रुपये किए बर्बाद, निवेश के नाम पर होती है सिर्फ बैठकें, हो रहा है विदेश में परिवार सहित सैर सपाटा
■क्या सच में ग्लोबल इंडिया समिट के पीछे प्रदेश में निवेश और उद्योग को बढ़ावा देना उद्देश्य है डॉ. मोहन यादव का या फिर अपनी इमेज बिल्डिंग का एक स्टंट मात्र है?
मध्यप्रदेश भोपाल में 24 और 25 फरवरी को होने जा रही ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस) की तैयारियां इन दिनों जोरों पर हैं। तैयारियां जोरों पर होने एक सबसे बड़ा औऱ प्रमुख कारण है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का समिट में शामिल होना। इसके साथ ही देश विदेश से भी कई निवेशक भोपाल आ रहे हैं। इस समिट के लिए मोहन सरकार पानी के तरह पैसा बहा रही है। बताया जा रहा है कि इस दो दिनों के आयोजन में लगभग 1500 करोड़ रूपये खर्च किये जा रहे हैं। मध्यप्रदेश में मोहन यादव इन्वेस्टर्स समिट के नाम पर अरबों रुपये बर्बाद किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री अपने आपको स्थापित करने के चक्कर में प्रदेश की खस्ता हालत को और खस्ता करने पर तुले हैं। इससे पहले भी प्रदेश में इन्वेस्टर्स समिट हुई हैं। मोहन सरकार में ही कोई सात समिट हो चुकी हैं। यह आठवीं समिट है। अब इन सात समिट की बात की जाये तो अभी तक कोई भी उदयोग जमीन पर नहीं उतरा है। लेकिन आज सवाल फिर वही उठ रहा है कि आखिर जब समिट का आउटपुट नहीं निकल रहा है तो समिट करने का क्या मतलब। इन समिट में भी प्रदेश सरकार का अरबों रूपये खर्च होता है। पूरा प्रशासन कई दिन पहले से तैयारियां करता है।
आज मोहन यादव के कार्यों का अवलोकन करें तो एक तरफ वो इन्वेस्टर्स समिट कर रहे हैं, वहीँ प्रदेश के युवा उद्यमी अपना स्टार्ट-अप को प्रदेश में बंद कर अपना बोरिया बिस्तर समेट कर दूसरे प्रदेश चले गए हैं। जैसे कि युवा उद्यमी प्रतीक और दीपेश ने अपनी स्टार्ट-अप वंडर लूम्स को मध्य प्रदेश में सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिलने के कारण प्रदेश छोड़ना पड़ा। वहीँ यह स्टार्ट-अप अब पुणे में बहुत अच्छा कर रही है। मैंने पहले भी प्रदेश के मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल का भी छापा था, जहां मोहन यादव ने अधिकारी नहीं पदस्त करने के कारण प्रदेश में 50 दिनों तक उद्योग नहीं लगने दिया, ऐसे में आश्चर्य नहीं होगा कि काग़जों में तो निवेश दिखाया जाएगा पर वास्तविक जमीन पर कुछ उतरने वाला नहीं है। दिक्कत यह है कि मोहन यादव का विजन सिर्फ पैसा कमाने का रहा है, ना उनका दायरा बड़ा था, ना व्यापक। अब मुख्यमंत्री की कुर्सी में बैठने के बाद पिछले सवा साल में कोई खास उपलब्धि भी हासिल नहीं की है। ऐसे में ऐसा दिखावा तो करना ही पड़ेगा भले ही प्रदेश का दिवाला निकल जाये।
• आखिर इतना खर्च कर क्या होगा फायदा?
विशेषज्ञों की मानें तो जब मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पिछले एक साल में सात संभागीय मुख्यालयों में क्षेत्रीय निवेश कॉन्क्लेव आयोजित किये और इतनी बड़ी संख्या में निवेश के प्रस्ताव प्राप्त किये तो फिर जीआईएस की आवश्यकता क्यों पड़ी। जीआईएस का आयोजन कहीं न कहीं एक ओर यह साबित करता है कि सरकार और मुख्यमंत्री यादव को ने क्षेत्रीय समिट के नाम से जो भी घोषणाएं निवेश प्राप्ति हो लेकर की है वह सभी खोखली हैं और अब उन पर पर्दा डालने के लिये जीआईएस के आयोजन की श्रृंखला शुरू की है। एक बड़ा सवाल यह आता है कि आखिर जीआईएस जैसे इतने बड़े आयोजन की आवश्यकता क्यों है। आखिर सरकार जनता के टैक्स के करोड़ों रुपयों को इस तरह से आयोजन के नाम पर क्यों बर्बाद कर रही है। आखिर जनता के पैसों की बर्बादी का यह सिलसिला कब रुकेगा।
• 1500 करोड़ खर्च करने की योजना
चर्चा है इस समिट में प्रधानमंत्री पहली बार भोपाल में आयोजन के एक दिन पहले यहां पहुंचेंगे और रात्रि विश्राम करेंगे। प्रधानमंत्री के आगमन की तैयारियों को लेकर सरकार से लेकर प्रशासन तक सभी पूरी मुस्तैदी से काम में जुटे हुए हैं। अधिकारियों और नेताओं सहित मंत्रियों की इतनी मुस्तैदी देख आमजन होने के नाते एक ख्याल बार-बार मन में आता है कि अगर किसी वीआईपी व्यक्ति के आने से शहर में साफ-सफाई, सड़कों का निर्माण सहित सौंदर्यीकरण के कार्य़ों को गति मिलती है तो यह देख लगता है कि भले प्रदेश में निवेश धरातल पर उतरे या नहीं लेकिन वीआईपी के आने से शहर की सूरत जरूर बदल जाती है। इन सभी कार्य में सरकार लगभग 1500 करोड़ रुपये फूंकने के लिये तैयार है। मंत्रालय के विश्वस्त सूत्रों के अनुसार भोपाल में हो रही इस ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन के लिये मोहन यादव ने लगभग 1500 करोड़ो रुपये फूंकने की योजना बनाई है। कुल मिलाकर अपने आप में भव्यता लिये इस आयोजन में सरकार 1500 करोड़ रुपये सिर्फ अतिथियों के स्वागत, सत्कार, भोजन, प्रबंधन, शहर की सुंदरता सहित उनके आव-भगत में खर्च करेगी। भोपाल में 30 करोड़ रूपए की लागत से सड़कों की मरम्मत और शहर के सौंदर्यीकरण का काम शुरू हो चुका है।
• नगर निगम का 50 प्रतिशत से अधिक बजट निपटाया
सूत्रों के अनुसार ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन पर अंतिम फैसला होने के बाद ही मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नगर निगम अधिकारियों को निर्देशित किया और अधिकारियों ने भी स्वच्छता और सुंदरता सहित पीडब्ल्यूडी और निगम के साथ मिलकर 100 करोड़ से अधिक के कार्यों को अंतिम रूप देने की योजना पर फैसला किया।
• एयरपोर्ट से बोर्ड ऑफिस तक होगा सौंदर्यीकरण
राजाभोज इंटरनेशनल एयरपोर्ट को व्यापक रूप से संवारा जाएगा। व्यू कटर, एप्रोच रोड, बोर्ड और शेड के नवीनीकरण पर 71 लाख रुपये खर्च होंगे। एयरपोर्ट से बोर्ड ऑफिस तक की सड़क पर गमले, फूल और सजावट पर 73 लाख रुपये का बजट निर्धारित किया गया है।
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