कुर्सी बचाओ बजट के साथ नजर चुनाव पर...



--राजीव रंजन नाग
नई दिल्ली, इंडिया इनसाइड न्यूज।

पिछले साल की बजट में आंध्र की दीवाली थी तो इस बार बिहार की होली है। नरेंद्र मोदी सरकार ने सुनिश्चित किया कि भाषण में बजट के राजनीतिक पहलूओँ का खासा ध्यान रखा जाना है। निर्मला सीतारमण ने चुनावी राज्य बिहार के लिए मखाना बोर्ड, खाद्य प्रसंस्करण संस्थान, पटना के पास एक ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा, वर्तमान पटना हवाई अड्डे और आईआईटी पटना की क्षमता विस्तार और सबसे महत्वपूर्ण बात, बिहार के बाढ़-ग्रस्त मिथिलांचल क्षेत्र के लिए पश्चिमी कोशी नहर परियोजना के लिए वित्तीय सहायता की घोषणाएं चुनावी लाभ की तरफ इशारा करतीं हैं।

इस बार, उन्होंने बिहार पर अपना ध्यान केंद्रित किया, खासकर तब जब नीतीश के जनता दल (यूनाइटेड) के सांसदों ने समान नागरिक संहिता और विश्वविद्यालय दिशानिर्देश आयोग के मसौदा विनियमों के प्रस्तावित कार्यान्वयन पर अपनी आलोचनात्मक प्रतिक्रिया दी थी। विपक्ष ने भाजपा पर बिहार और आंध्र प्रदेश को बजटीय प्रमुखता देते हुए अपने प्रमुख सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) और तेलुगु देशम पार्टी को लाभ पहुंचाने के लिए "कुर्सी बचाओ बजट" का आरोप लगाया है।

दरअसल, नीतीश कुमार और नोरा चंद्रबाबू नायडू ने भाजपा और मोदी सरकार को असमंजस में डाल रखा है। दोनों दल ओर उनके नेता ने समझा दिया है कि वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) एक-दूसरे को देने और लेने के सिद्धांत पर आधारित है। नीतीश और सीतारमण दोनों को कई कारणों से चुनावों से पहले अपनी गठबंधन सरकार की आलोचना को रोकने की जरूरत थी। मोदी सरकार गठबंधन धर्म का पालन करने के लिए मजबूर हो गई है। नीतीश और नायडू ने सुनिश्चित किया है कि समर्थन लेने की एवज में उन्हें आगे भी ऐसा करते रहना होगा।

जुलाई 2024 के अपने बजट की तर्ज पर, जिसमें उन्होंने आंध्र प्रदेश का समर्थन करने के लिए कई उपायों की घोषणा की थी, सीतारमण ने इस बार अपना ध्यान बिहार पर केंद्रित रखा है। बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं।

जुलाई 2024 में, तीसरी बार सत्ता में वापसी के तुरंत बाद, सीतारमण के बजट में आंध्र प्रदेश की प्रस्तावित राजधानी अमरावती के विकास के लिए 15,000 करोड़ रुपये के परिव्यय की घोषणा की थी...। उन्होंने यह भी कहा कि यह आंध्र प्रदेश में बहुत विलंबित पोलावरम सिंचाई परियोजना के वित्तपोषण के लिए प्रतिबद्ध है, जो नायडू की प्रतिष्ठा के मुद्दों में से एक रहा है। इसके अलावा राज्य के तीन जिलों के लिए पिछड़े क्षेत्र अनुदान की घोषणा भी की गई है। उस समय, आंध्र प्रदेश पर उनके जोर के कारण एक बात जो किसी का ध्यान नहीं गई, वह यह कि सीतारमण ने बिहार में सड़क और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए 26,000 करोड़ रुपये के परिव्यय की भी घोषणा की थी।

बजट दस्तावेजों पर करीब से नज़र डालने से पता चलता है कि बिहार को करों के हस्तांतरण में कम हिस्सा मिल सकता है जिसका राज्य की अर्थ व्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है। "एक अनुमान के अनुसार नए वित्त आयोग की सिफारिशों से बिहार के लिए कर हस्तांतरण में कम से कम 1% की कमी आएगी।" दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आयकर स्लैब में कटौती की गई है, जो एक राजनीतिक रूप से लुभावना कदम माना जा रहा है।

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