मध्यप्रदेश में इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के नाम पर आर्थिक क्षति पहुंचा रही मोहन सरकार



--विजया पाठक
एडिटर - जगत विजन
भोपाल - मध्यप्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।

■सबसे पहले कमलनाथ ने दी थी देश में औद्योगिक विस्तार की संकल्पना

■निवेश के लिए सकारात्मक माहौल होना जरूरी है

मध्यप्रदेश को उद्योग की दृष्टि से मजबूत बनाने और औद्योगिक नगरी का सपना संजोए आगे बढ़ रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को लगभग एक वर्ष से अधिक का समय हो गया है। अगर हम मुख्यमंत्री मोहन यादव के इस एक वर्ष का विस्तार से आंकलन करें तो यह समझ आता है कि मोहन यादव ने प्रदेश में केवल और केवल औद्योगिक विस्तार पर सबसे अधिक फोकस करके काम करना आरम्भ किया है। आज यह बात इसलिए करने का विषय उठा है क्‍योंकि मोहन यादव जिस सपने को आज आकार देने का कार्य कर रहे हैं यह सपना कभी मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने देखा था। कमलनाथ ने केंद्र में उद्योग मंत्री रहते हुए प्रदेश और देश विकास की एक ऐसी संकल्पना देखी थी जिस पर कांग्रेस की केंद्र सरकार तो कार्य नहीं कर सकी लेकिन मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस परियोजना को आगे बढ़ाने का कार्य किया। अब सवाल यह उठता है कि जिस औद्योगिक विस्तार के कार्य को भाजपा अपना बता रही है वह आखिर किसका है? सरकार इसे अपना बताती है तो जानकार इसे कमलनाथ की सफलता बता रहे हैं।

• कमलनाथ ने दिया था औद्योगिक विस्तार का मंत्र

खास बात यह है कि जब कमलनाथ केंद्र में मंत्री थे तभी उन्होंने तत्कालीन सरकार के मुख्यमंत्रियों को प्रदेश में उद्योग लाने का मंत्र दिया था। इसके पीछे कमलनाथ की मंशा इतनी बस थी कि इससे प्रदेश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और हर युवा हर वर्ग के लोगों का काम मिलेगा। आज प्रदेश में जिस ढंग से जिलों जिलों में जाकर निवेश और उद्योग लगाने का कार्य किया जा रहा है इससे कहीं न कहीं प्रदेश की नींव को मजबूती मिलेगी और प्रदेश आगे बढ़ेगा।

• निवेश से अधिक तो आयोजन में लुटा दिया पैसा

विशेषज्ञों की मानें तो प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव स्वयं भी व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। ऐसे में उज्जैन से लेकर प्रदेश के संभागों में आयोजित रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के बारे में विचार किया। कॉन्क्लेव के माध्यम से उन्होंने पूरे राज्य में केवल औद्योगिक निवेश के लिए बड़े-बड़े आयोजन किए। इन आयोजन में जितना निवेश नहीं आया इससे अधिक तो अतिथियों के स्वागत सत्कार में करोड़ों रुपए खर्च कर दिए। अगर मोहन सरकार इसका आधा पैसा भी जनता के हित लाभ देने वाली योजना में लगाते तो निश्चित ही प्रदेश और यहां की जनता को बेहतर लाभ मिलता।

• एक भी निवेश धरातल पर नहीं दिख रहा है

पिछले एक वर्ष में लगभग 07 इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव आयोजित की गई। सरकार का दावा है कि इन कॉन्क्लेव के माध्यम से प्रदेश में लगभग 02 लाख करोड़ रुपए के अधिक के निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए। इन प्रस्तावों पर दावा किया जा रहा है कि राज्य में कुल 1 लाख से अधिक युवाओं को रोजगार से जोड़ा जाएगा। लेकिन हकीकत यह है कि पिछले एक वर्ष में जितने भी निवेश प्राप्त हुए उनमें से एक भी अभी तक धरातल पर उतरता दिखाई नहीं दे रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण है सरकार और सरकार के लोगों का उदासीन रवैया।

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