एनडीए क्या दोहरा पाएगा बिहार में पिछले लोकसभा की सीटें ?



--अभिजीत पाण्डेय
पटना - बिहार, इंडिया इनसाइड न्यूज।

■ पशुपति पारस ने मोदी कैबिनेट से दिया इस्तीफा

बिहार में पांच वर्ष पहले विपक्ष को करारी शिकस्त देने वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन इस लोकसभा चुनाव में सभी 40 सीट पर जीत हासिल करने की उम्मीद कर रहा है। हालांकि इनमें से लगभग एक-चौथाई सीट ऐसी हैं, जो राजग के लिए चिंता का सबब बन सकती हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में 'मोदी की सुनामी' में भाजपा, जनता दल यूनाइटेड और दिवंगत राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी को संयुक्त रूप से 39 सीट पर जीत मिली थी। राज्य में राजग का मत प्रतिशत 53 से अधिक था, जो विपक्षी 'महागठबंधन' को मिले मतों से लगभग 20 प्रतिशत ज्यादा था।

हालांकि राजग को मिली प्रचंड जीत के बीच कुछ सीट ऐसी थीं, जहां भाजपा को इस बार परेशानी हो सकती है। पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार की कम से कम छह सीट पर जीत का अंतर एक लाख मतों से कम था और इनमें से चार सीट गंगा के दक्षिणी क्षेत्र में हैं।

इनमें से एक लोकसभा सीट जहानाबाद है, जहां जद (यू) के चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे, लेकिन जीत का अंतर मात्र 1,751 मतों का था। जहानाबाद सीट पर उपविजेता रहे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता सुरेंद्र प्रसाद यादव ने पूर्व में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था।

इस बार राजद ने एक समय अपनी कट्टर प्रतिद्वंद्वी रही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के साथ गठबंधन किया है। दोनों दलों ने विधानसभा चुनावों में जहानाबाद और आसपास के क्षेत्रों में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था।

विधानसभा चुनाव 2020 में राजद-भाकपा (माले) गठबंधन ने जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सभी सीट पर जीत हासिल की थी।

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राजग और 'महागठबंधन' दोनों ही माथापच्ची में जुटे हैं और यह तय करने की कोशिश कर रहे हैं कि इस बार किसे उम्मीदवार बनाया जाए।

इस बार पटना साहिब से सटे पाटलिपुत्र में भी कड़ा मुकाबला देखे जाने की उम्मीद है हालांकि ज्यादातर शहरी आबादी भाजपा समर्थक मानी जाती है।

विधानसभा चुनावों में औरंगाबाद और काराकाट लोकसभा क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाली सीट पर भी 'महागठबंधन' ने एकतरफा जीत हासिल की थी। राजग 2009 से इन दोनों लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करती आ रही है।

लोकसभा चुनाव 2019 में दक्षिण बिहार की दो अन्य सीट, जिन पर भाजपा ने आसान जीत दर्ज की थी उनमें आरा और सासाराम क्षेत्र शामिल हैं लेकिन 2020 विधानसभा चुनाव में महागठबंधन मतदाताओं को प्रभावित करने में सफल रहा था। आरा से मौजूदा सांसद केंद्रीय मंत्री आर के सिंह हैं। सासाराम (सुरक्षित) निर्वाचन क्षेत्र को कभी पूर्व उप-प्रधानमंत्री जगजीवन राम का गढ़ माना जाता था।

राजग को गंगा के उत्तरी क्षेत्र में किशनगंज लोकसभा सीट पर अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता हो सकती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में राजग गठबंधन को इसी सीट पर हार का सामना करना पड़ा था।

राजग को कटिहार, छपरा, सीवान और महाराजगंज लोकसभा सीट पर भी कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जहां विधानसभा चुनावों में गठबंधन ने अच्छा प्रदर्शन किया था।

● नाराज पशुपति पारस ने मोदी कैबिनेट से दिया इस्तीफा

बिहार में सीट बंटवारे को लेकर नाराज चल रहे केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी प्रमुख पशुपति कुमार पारस एनडीए से अलग हो गए हैं। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया।

मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पशुपति कुमार पारस ने कहा- 'कैबिनेट मंत्री पद से मैं त्यागपत्र देता हूं। मेरे साथ नाइंसाफी हुई है।' इतना कहकर वह उठकर खड़े हो गए। पत्रकारों ने जब सवाल पूछा तो खड़े-खड़े उन्होंने कहा कि जितना बोलना था कह दिया।

पशुपति पारस ने कहा कि वे एनडीए के साथ ईमानदारी के साथ रहे, लेकिन उनके साथ नाइंसाफी हुई। अब आगे की राजनीति अपनी पार्टी के सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर उनसे बातचीत के बाद तय करूंगा।

सोमवार को बिहार में एनडीए गठबंधन के बीच हुए सीट शेयरिंग में पशुपति कुमार पारस की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिलने से वह नाराज हैं। इस्तीफे की घोषणा करते हुए पशुपति कुमार पारस ने कहा कि उनके साथ नाइंसाइफी हुई है।

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