---रंजीत लुधियानवी, कोलकाता, 19 सितम्बर 2018, इंडिया इनसाइड न्यूज़।
बातें करना तो आसान होता है लेकिन अपनी कोई वस्तु किसी को देने का जिगरा हर किसी का नहीं होता। लेकिन एक वृद्धा ने अपनी जीवन भर की कमाई भारत सेवाश्रम संघ को और 12 कट्ठा जमीन मुसलमानों के कब्रस्तान के लिए दान कर दी है। सारी जिंदगी लोगों की सेवा में बिताने वाली पूर्णिमा बंदोपाध्याय (79) को इलाके के लोग मदर टेरेसा कह कर पुकारते हैं। नदिया जिले के पलाशीपाड़ा अस्पतालपाड़ा इलाके के ठंडाग्राम की रहने वाली वृद्धा का जन्म हुगली जिले में श्रीरामपुर के बल्लभपुर की ठाकुरबाड़ी में हुआ था। पिता अविनाश बंदोपाध्याय और मां बिमला बंदोपाध्याय का परिवार ज्यादा ही अनुशासनप्रिय था।
पूर्णिमा को राज्य सरकार के समाज कल्याण विभाग में नौकरी मिलने के बाद पारिवारिक विवाद के कारण घर छोड़ना पड़ा। इसके बाद विभिन्न इलाकों में स्थानांतरण के बाद 18 साल पहले पलाशीपाड़ा के ब्लाक कार्यालय में 2000 में अवकाशग्रहण किया। लंबे समय तक किराए के मकान में रहने के बाद पलाशीपाड़ा में एक जमीन लेकर शिव मंदिर समेत दो मंजिला मकान का निर्माण किया।
गांव की रहने वाले चाइना बेगम का कहना है कि सालों से हम एक दूसरे के परिचित हैं। एक दिन उसे कहा था कि हमारे इलाके में कब्रस्तान नहीं होने के कारण मुस्लिम परिवार में किसी की मौत होने पर उसे जमीन के बरामदे में ही दफनाना पड़ता है। यह हमारे गांव की एक बड़ी समस्या है। यह सुनकर उसने कहा कि नदी के उस पार हमारी 12 कट्ठा जमीन है, वह जमीन मैं मुसलमानों को दान कर दूंगी। इस बात के कहने के कुछ ही दिन के बाद उन्होंने कागजात तैयार करवाए और लिखित तौर पर जमीन दान कर दी।
इलाके के झंटू खान का कहना है कि रास्ते के नजदीक गांव में उन्होंने तकरीबन अपने पैसों से ही पक्के दुर्गामंदिर का निर्माण करवाया है। दासपाड़ा के बासंतीपूजा का मंदिर बनवाने में भी उनका खासा योगदान रहा है। संतोष पांडा नामक एक युवक वृद्धा की देखभाल करता है। उसका कहना है कि उन्होंने अपनी सारी संपत्ति भारत सेवाश्रम संघ को और जमीन कब्रस्तान को दान कर दी है। सरकारी पेंशन से उनका गुजारा चल रहा है।
इस बारे में पूर्णिमा का कहना है कि यह दुनिया मेरा-मेरा में ही उलझी है, लेकिन मैने ईश्वर का नाम जपते-जपते 79 साल पूरे कर लिए हैं। इलाके में मंदिर का निर्माण करवाया और मुस्लिम भाई-बहनों की समस्या को ध्यान में रखते हुए उनके लिए 12 कट्ठा जमीन कब्रस्तान के लिए दान कर दी है। इसमें ज्यादा खासकुछ नहीं है, मेरा गुजर-बशर पेंशन में आराम से हो जाता है।