किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी पर सब्सिडी मुहैया करा रही है सरकार



नई दिल्ली, 12 सितम्बर 2018, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा है कि भारत में लाखों टन अपशिष्‍ट कृषि एवं इससे जुड़े उद्यम उत्‍पन्‍न करते हैं। आंकड़ों के अनुसार, 70 प्रतिशत अपशिष्‍ट का उपयोग औद्योगिक क्षेत्र में होने के साथ-साथ घरेलू ईंधन के रूप में भी होता है। शेष अपशिष्‍ट को जैव-अवयवों एवं जैव-ईंधनों में तब्‍दील किया जा सकता है और इसका उपयोग ऊर्जा उत्‍पादन में भी किया जा सकता है। कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय और भारतीय हरित ऊर्जा संघ (आईएफजीई) द्वारा 11 सितम्बर को ‘ऊर्जा उत्‍पादन में अपशिष्‍ट की संभावनाएं एवं इसकी चुनौतियां’ विषय पर आयोजित किए गए राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए उन्‍होंने फसल अवशेषों या पराली को जलाने से उत्‍पन्‍न होने वाले प्रदूषण को समाप्‍त करने की जरूरत पर विशेष बल दिया। उन्‍होंने कहा कि पराली को जलाने से उत्‍पन्‍न होने वाली जहरीली गैसें मानव स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अत्‍यंत नुकसानदेह हैं और इनसे मिट्टी के पोषक तत्‍वों का नाश होता है। उन्‍होंने यह जानकारी दी कि सरकार फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी के लिए 50-80 प्रतिशत की दर से सब्सिडी मुहैया करा रही है। इन मशीनों से फसल अवशेष को मिट्टी के साथ मिश्रित करने में किसानों को मदद मिलती है, जिससे इसे और ज्‍यादा उत्‍पादक बनाना संभव हो पाता है। किसान समूहों को विशिष्‍ट जरूरतों के अनुसार फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी की सहायता लेने हेतु कृषि मशीनरी बैंकों की स्‍थापना करने के लिए परियोजना लागत के 80 प्रतिशत की दर से वित्तीय मदद मुहैया कराई जा रही है। इस योजना के तहत पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और एनसीआर हेतु दो वर्षों के लिए 1151.80 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

उन्‍होंने यह भी कहा कि खेत में फसल अवशेषों के प्रबंधन से मिट्टी को और भी अधिक उर्वर बनाने में मदद मिलेगी जिससे किसानों की उर्वरक लागत में प्रति हेक्‍टेयर 2000 रुपये की बचत होगी। फसल अवशेष से पटिया (पैलेट) बनाकर इसका इस्‍तेमाल विद्युत उत्‍पादन में किया जा सकता है। कृषि यंत्रीकरण से जुड़े उप-मिशन के तहत पुआल रेक, पुआल की गठरी, लोडर, इत्‍यादि पर 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। इसके जरिए फसल अवशेष को संग्रहीत किया जाता है और इससे गांठें बनाई जाती हैं, ताकि फसल अवशेष की पटिया (पैलेट) को विद्युत उत्‍पादन संयंत्रों तक पहुंचाने में आसानी हो सके।

उन्होंने कहा कि आईसीएआर के कृषि इंजीनियरिंग प्रभाग ने धान के भूसे के जैव भार (बायोमास) से जैव गैस का उत्‍पादन करने के उद्देश्‍य से जैव-ऊर्जा के क्षेत्र में उल्‍लेखनीय कार्य किए हैं।

उन्‍होंने किसानों से फसल अवशेष या पराली को न जलाने का अनुरोध किया, ताकि मानव स्‍वास्‍थ्‍य एवं पर्यावरण का संरक्षण करने में सहूलियत हो सके।

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