माताबाड़ी-सबरूम राष्‍ट्रीय राजमार्ग के उद्घाटन व नागरिक अभिनंदन समारोह के अवसर पर राष्ट्रपति का सम्बोधन



त्रिपुरा, 07 जून 2018, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

(●) भारत के राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविन्‍द का माताबाड़ी-सबरूम राष्‍ट्रीय राजमार्ग के उद्घाटन के अवसर पर संबोधन

किसी भी राज्‍य की प्रगति में उस राज्‍य की जनता और उसकी मज़बूत अवसंरचना का, infrastructure का प्रमुख स्‍थान होता है। इसमें भी परिवहन और संचार सुविधाओं का विशेष महत्‍व है। प्रदेश में सड़क निर्माण की एक महत्‍वपूर्ण परियोजना पूरी हुई है। इसे देश को समर्पित करने के लिए आज आपके बीच आकर मैं प्रसन्‍नता का अनुभव कर रहा हूं।

भारत का राष्‍ट्रपति बनने के बाद, त्रिपुरा की यह मेरी पहली यात्रा है। यह यात्रा त्रिपुरावासियों के जीवन को बदलने वाली परियोजना के पूरा होने के अवसर पर हो रही है, यह विशेष प्रसन्‍नता का विषय है। राष्‍ट्रीय राजमार्ग-8 का 73 किमी लंबाई वाला यह खंड माताबाड़ी को त्रिपुरा की सीमा पर स्‍थित सबरूम के साथ जोड़ता है। यह सड़क दुर्गम भू-क्षेत्र से होकर गुजरती है, फिर भी इसके निर्माण का काम केवल 30 महीने में पूरा कर लिया गया है। इस उपलब्‍धि के लिए भारत सरकार, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय तथा National Highway Infrastructure Development Corporation बधाई के पात्र हैं। इसके साथ ही निर्माण कार्य में लगी सहयोगी कंपनियों, इंजीनियरों और कामगारों को मैं बधाई देता हूं।

भारत सरकार की प्राथमिकता में पूर्वोत्‍तर क्षेत्र का विकास बहुत ऊपर है। देश के अन्‍य क्षेत्रों के साथ इस क्षेत्र का सड़क संपर्क तेजी से बढ़ाने की योजना के अंतर्गत लगभग पांच हजार दो सौ किमी लंबाई की सड़कें बनाई जा रही हैं। महत्‍वाकांक्षी भारतमाला परियोजना में भी पूर्वोत्‍तर का विशेष ध्‍यान रखा गया है। इस प्रकार, केवल त्रिपुरा में ही लगभग 500 किमी लंबाई की सड़कें बनाई जा रही हैं। जिनकी लागत लगभग छह हजार करोड़ रुपए है। मुझे विश्‍वास है कि इन परियोजनाओं के पूरा हो जाने पर त्रिपुरा का तेजी से विकास होगा।

सड़कें और रेल-मार्ग केवल दो स्‍थानों को ही नहीं जोड़ते, बल्‍कि वे वहां के लोगों को भी नज़दीक लाते हैं। और, उनके बीच आपसी सौहार्द एवं आत्‍मीयता बढ़ाने का काम करते हैं। अगरतला से सबरूम के बीच राष्‍ट्रीय राजमार्ग तैयार हो जाने से प्रदेश की राजधानी के साथ दक्षिण-पूर्व त्रिपुरा के लोगों का सड़क संपर्क सुगम हो जाएगा। माताबाड़ी-सबरूम खंड इस राजमार्ग का महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है। त्रिपुरा समुद्र से दूर है लेकिन माताबाड़ी-सबरूम राजमार्ग को आगे सीधे बंगलादेश के साथ जोड़ने के लिए फेनी नदी पर पुल बनाया जा रहा है। इस पुल के बन जाने से Chittagong बंदरगाह से होकर समुद्री रास्‍ते से त्रिपुरा का व्‍यापार और आसान हो जाएगा। भारत सरकार अपनी Act East Policy के माध्‍यम से अनेक परियोजनाओं पर तेजी से काम कर रही है। इसी कड़ी में म्‍यांमार, थाईलैण्‍ड और मलेशिया के साथ-साथ दक्षिण-पूर्व एशिया के अन्‍य देशों के साथ सीधा सड़क संपर्क स्‍थापित किया जा रहा है। मीकांग-गंगा सहयोग और एशियन हाईवे जैसी परियोजनाओं को गति दी जा रही है। प्राचीन काल से ही भारत के साथ दक्षिण-पूर्व के देशों का सांस्‍कृतिक और व्‍यापारिक जुड़ाव है। इन परियोजनाओं के पूरा हो जाने पर हमारे संबंधों में और भी मज़बूती आएगी।

इसी दृष्‍टि से, पूर्वोत्‍तर के राज्‍यों का बंगलादेश के साथ सीधा सड़क संपर्क कायम किया जा रहा है। 1947 में देश के विभाजन के समय कोलकाता का त्रिपुरा से सीधा संपर्क टूट गया था। अगरतला से कोलकाता की छह-सात सौ किलोमीटर की दूरी रातों-रात बढ़कर 1700 किमी की हो गई। इस दूरी को पाटने के लिए कोलकाता से अगरतला के बीच ढाका से होकर सीधी बस सेवा शुरू की गई है। बंगलादेश से होकर पश्‍चिम बंगाल के साथ सीधा रेल संपर्क स्‍थापित किया जा रहा है। त्रिपुरा की राजधानी अगरतला और बंगलादेश के अखौरा जंक्‍शन के बीच रेल लाइन बिछाई जा रही है। इससे सीमा-पार व्‍यापार में बढ़ोत्‍तरी होने की संभावना है। इसका लाभ बंगलादेश के साथ-साथ दोनों प्रदेशों के लोगों को प्राप्‍त होगा। अगरतला के साथ देश के अनेक नगरों का हवाई संपर्क लगातार बढ़ रहा है। आज त्रिपुरा में मुझे एक नई ऊर्जा दिखाई दे रही है जिससे विकास के कार्यों में तेजी आ रही है।

त्रिपुरा में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, हरे-भरे वन क्षेत्र और प्राचीन सांस्‍कृतिक धरोहरों के प्रति राष्‍ट्रीय और अंतरराष्‍ट्रीय पर्यटकों का आकर्षण पहले से ही है। रेल और सड़क संपर्क बढ़ने से पर्यटन में बढ़ोत्‍तरी के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। इसे ध्‍यान में रखते हुए श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। मां त्रिपुर सुन्‍दरी के मंदिर परिसर के पुनर्विकास की शुरुआत आज ही की जा रही है।

देवियो और सज्‍जनो,

देश के पिछड़े वर्गों और जनजातीय समाज के विकास के बिना भारत की विकास गाथा अधूरी है। मुझे बताया गया कि इस क्षेत्र में जनजातीय समाज की आबादी काफी बड़ी है, इसलिए मैंने अगरतला के स्‍थान पर यहां माताबाड़ी में आपके बीच आकर इस परियोजना के लोकार्पण का निर्णय लिया। भारत सरकार ने जनजातीय समाज की तरक्‍की के लिए अनेक नई योजनाएं बनाई हैं। ‘वनबन्‍धु कल्‍याण योजना’ शुरू की गई है। 24 वन-उत्‍पादों के लिए न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य योजना लागू की गई है और नेशनल बंबू मिशन को नया रूप दिया गया है। इसके अलावा, वन उपज में value addition के लिए वन धन विकास केन्‍द्रों की स्‍थापना पर काम चल रहा है। मुझे विश्‍वास है कि जनजातीय भाई-बहिन इन योजनाओं से लाभान्‍वित होंगे।

त्रिपुरा का ट्राइबल समाज बहुत जागरूक है। यहां के बेटे-बेटियों ने खेल-कूद के क्षेत्र में देश-विदेश में सराहना प्राप्‍त की है। टेनिस खिलाड़ी सोमदेव देवबर्मन ने अंतरराष्‍ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश के लिए पदक जीते हैं। अंडर-सिक्‍सटीन फुटबाल में अपने प्रदर्शन से लक्ष्‍मिता रीयांग ने भविष्‍य के लिए उम्‍मीदें जगाई हैं। इंडियन आइडॅल में सौरभी देववर्मा ने लोगों का दिल जीता है। मुझे विश्‍वास है कि त्रिपुरा का ट्राइबल समाज देश के साथ कदम से कदम मिलाकर तरक्‍की की राह पर आगे बढ़ता रहेगा।

रती रंजन धारिस एवं चैती जैसे तैराकों और जिमनास्‍ट दीपा कर्माकर पर पूरे देश को नाज़ है। उनके जैसी त्रिपुरा की बेटियां और बेटे नए-नए क्षेत्रों में महत्‍वपूर्ण उपलब्‍धियां हासिल करें और त्रिपुरा का चहुंमुखी विकास हो, इसके लिए मैं अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

धन्‍यवाद,
जय हिन्‍द!


(●) भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द का नागरिक अभिनंदन समारोह के अवसर पर सम्बोधन

भारत का राष्ट्रपति बनने के बाद, त्रिपुरा की यह मेरी पहली यात्रा है। इस अवसर पर आपके उत्साह भरे स्वागत के लिए, मैं आप सभी त्रिपुरावासियों को धन्यवाद देता हूँ।

मैं त्रिपुरा के लोगों में, विशेषकर युवाओं में, एक नया उत्साह और कुछ करने की उमंग देख रहा हूँ। यहाँ के शांति और सौहार्द के वातावरण, तथा विकास की ओर ध्यान देने की एक नई ऊर्जा के लिए, मैं त्रिपुरा की जनता, यहाँ के युवाओं और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री श्री बिप्लब कुमार देब की सराहना करता हूँ। मुझे विश्वास है कि त्रिपुरा के लोग विकास की नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तत्पर हैं।

त्रिपुरा का इतिहास बहुत गौरवशाली है। यहाँ के भूतपूर्व महाराजा वीर बिक्रम किशोर माणिक्य ने त्रिपुरा में आधुनिक विकास का आरंभ किया और यहाँ की जनता को भारत की आजादी की लड़ाई से जोड़ा। 1971 के युद्ध में शरणार्थियों को पनाह देने और आक्रमण की स्थितियों का सामना करने में, त्रिपुरा के निवासियों ने जिस त्याग और परोपकार का प्रदर्शन किया है उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए, वह कम है। त्रिपुरा के लोगों ने शहीदों को सम्मानित करने का एक नया आदर्श देश के सम्मुख प्रस्तुत किया है। परमवीर चक्र विजेता लांस नायक एल्बर्ट एक्का यद्यपि फ़ौज में लांस नायक के पद पर थे लेकिन देश तो उन्हे राष्ट्र नायक के रूप में जानता है। उन्होने 1971 के युद्ध में अगरतला के क्षेत्र को शत्रु के हाथ में जाने से रोकने के लिए जान की कुर्बानी दे दी थी। उनके सम्मान में अगरतला में एक स्मृति-उद्यान विकसित किया है जिसका इसी सप्ताह उद्घाटन हुआ है।

त्रिपुरा के राज-परिवार ने, भारत के साहित्य, कला और विज्ञान जगत को भी बहुत योगदान दिया है। राजा वीरचन्द्र माणिक्य ने गुरुदेव रवीद्रनाथ टैगोर को उनके साहित्यिक जीवन के आरंभ में प्रोत्साहित किया था। गुरुदेव के शिक्षण संस्थानों को त्रिपुरा राज-घराने से आर्थिक सहयोग प्राप्त होता रहा। त्रिपुरा के महाराजा ने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के वैज्ञानिक आचार्य जगदीश चन्द्र बोस को अनुसन्धान कार्य के लिए बहुत बड़ी धनराशि प्रदान की थी।

त्रिपुरा की संस्कृति बहुत ही समृद्ध और बहुरंगी है। इस समारोह के आरंभ में प्रस्तुत किए गए स्वागत गान में रची-बसी बंगला और कॉक बोराक भाषाओं की मिठास का अनुभव हम सभी ने किया। मैं इन सभी कलाकारों की सराहना करता हूँ। ये कलाकार, त्रिपुरा के लोगों में संगीत की प्रतिभा का उदाहरण हैं। सचिन देव बर्मन का संगीत, विशेषकर उनके भटियाली गीतों की मधुरता, भारत के संगीत प्रेमियों को त्रिपुरा का उपहार है। उनके विलक्षण प्रतिभाशाली पुत्र राहुल देव बर्मन के संगीत के बिना आधुनिक भारतीय फिल्मों का इतिहास पूरा नहीं हो सकता।

अपनी हरी-भरी घाटियों, पहाड़ियों, धार्मिक स्थलों, हस्तशिल्प के उत्पादों तथा यहाँ के निवासियों के मधुर स्वभाव के कारण, त्रिपुरा ने भारत के पर्यटन स्थलों में अपना विशेष स्थान बनाया है। त्रिपुरा की कनेक्टिविटी के लिए चल रहे प्रयासों से, पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा। इससे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। भारत सरकार के ‘स्वदेश दर्शन कार्यक्रम’ के तहत, पर्यटन के विकास के लिए जो कदम उठाए जा रहे हैं उनमें ‘माता त्रिपुर सुंदरी मंदिर’ के ट्रस्ट को भी सहायता मिली है। आज मुझे माता का आशीर्वाद प्राप्त करने तथा उस मंदिर के पुनर्निर्माण की आधारशिला रखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

महिलाओं के सशक्तीकरण की दृष्टि से त्रिपुरा, अग्रणी राज्यों में है। यहाँ का सेक्स-रेशियो राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। मुझे बताया गया है कि त्रिपुरा की महिलाएं, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में बहुत सक्रिय हैं तथा महिलाओं के विषय में यहाँ के लोगों की सोच प्रगतिशील है। त्रिपुरा की बेटियों ने देश के बाहर भी भारत का मस्तक ऊंचा किया है। जिमनास्ट दीपा करमाकर की विश्व-स्तर की उपलब्धियों पर, पूरे भारत को गर्व है। यहाँ की एक जन-जातीय बेटी लक्ष्मिता रियांग ने, भारत की महिला फुटबाल टीम में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। दो दिन पहले ही, त्रिपुरा की बेटी निष्ठा चक्रवर्ती ने रूस में आयोजित किक-बॉक्सिंग की विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। त्रिपुरा के सपूत सोमदेव देव बर्मन ने टेनिस जगत में देश का गौरव बढ़ाया है।

इस समारोह में ‘क्वीन पाईनेपल’ को त्रिपुरा का ‘स्टेट फ्रूट’ घोषित किए जाने पर मुझे प्रसन्नता हुई है। मुझे यह जानकर भी खुशी हुई है कि तीन-चार दिन पहले ही, ‘क्वीन पाईनेपल’ की पहली खेप का खाड़ी के देशों में निर्यात किया गया है। इसे त्रिपुरा और पूर्वोत्तर क्षेत्र द्वारा विश्व-व्यापार से जुड़ने में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जाना चाहिए। मैं आशा करता हूँ कि त्रिपुरा का पाइनेपल, भारत के अन्य राज्यों, बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों और दुनियाँ के अन्य देशों में भी पहुंचेगा। इसी प्रकार, रबर के उत्पादन में देश में दूसरा स्थान रखने वाला त्रिपुरा, वाहनों के टायर जैसे, रबर पर आधारित अनेक उत्पादों को विभिन्न बाज़ारों में भेज सकता है। यहाँ के एक प्रमुख कृषि उत्पाद, बांस को ‘पेड़ की श्रेणी’ से निकालकर, घास की श्रेणी में डालने के भारत सरकार के निर्णय से, किसानों को बांस का उपयोग करने में आसानी होगी और उनकी आमदनी बढ़ेगी।

त्रिपुरा के पास प्रचुर वन संपदा है। इस वन संपदा का संरक्षण, इसका सस्टेनेबल उपयोग तथा वनों के आधार पर जीवन यापन करने वाली जन-जातियों की सहायता करना एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है। प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाते हुए, जीविकोपार्जन करके त्रिपुरा के निवासी देश के लिए उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। यहाँ की परंपरागत दस्तकारी को अगली पीढ़ियों तक पहुंचाने के प्रयास होने चाहिए और कौशल विकास केन्द्रों तथा शिक्षण संस्थानों को भी इन प्रयासों के साथ जोड़ना चाहिए।

पर्यटन, व्यापार, कृषि, हस्तकला, जन-जातियों के विकास, तथा युवाओं के लिए रोजगार आदि सभी क्षेत्रों में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास से अच्छा बदलाव आता है। आज सवेरे मुझे माताबाड़ी से सबरूम तक के ‘नेशनल-हाइवे’ के खंड का उद्घाटन करके बहुत खुशी हुई है। मुझे बताया गया है कि अगरतला को ‘स्मार्ट-सिटी’ के रूप में विकसित करने की योजना के तहत विकास के लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं।

भारत सरकार की ‘ऐक्ट-ईस्ट-पॉलिसी’ के तहत, आसीयान देशों के साथ व्यापार बढ़ाने में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र का, खासकर त्रिपुरा का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इस प्रकार मुझे त्रिपुरा के विकास की अपार संभावनाएं दिखाई दे रही हैं।

हमारे लोकतन्त्र का प्रतीक और देश की धरोहर ‘राष्ट्रपति भवन’ आप सब का भी भवन है। मैं आप सब को ‘राष्ट्रपति भवन’ में आने और उसे देखने का आमंत्रण देता हूं। आप जब भी दिल्ली की यात्रा करें, राष्ट्रपति भवन में आप सभी का स्वागत है।

आज आप सबने मेरा जो अभिनंदन किया है उसके लिए मैं पुनः आप सबको धन्यवाद देता हूँ और आपके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामना करता हूं।

धन्यवाद
जय हिन्द!

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