कम जुर्माने के प्रावधानों से सीसीआई को पुणे नगर निगम की निविदाओं में गुटबंदी समाप्त करने में मदद मिली



पुणे, 02 मई 2018, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने ‘नगरपालिका संबंधी कार्बनिक एवं अकार्बनिक ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्रों की डिजाइनिंग, आपूर्ति, स्थापना, शुभारंभ, परिचालन एवं रखरखाव’ के लिए दिसंबर 2014 से लेकर मार्च 2015 तक की अवधि के दौरान पुणे नगर निगम द्वारा जारी पांच निविदाओं में बोली संबंधी हेराफेरी/सांठगांठ के लिए 6 कंपनियों यथा फोर्टिफाइड सिक्योरिटी सॉल्यूशंस (फोर्टिफाइड), इकोमन एनविरो सॉल्यूशंस प्रा• लिमिटेड (इकोमन), लाह्स ग्रीन इंडिया प्रा• लिमिटेड (लाह्स ग्रीन), संजय एजेंसीज, महालक्ष्मी स्टील्स (महालक्ष्मी) और रघुनाथ इंडस्ट्री प्रा• लिमिटेड (रघुनाथ) पर जुर्माना लगाने वाला अंतिम ऑर्डर जारी कर दिया है। प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 46 के प्रावधानों, जिन्हें भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (कम जुर्माना) नियमन, 2009 (कम जुर्माना नियमन) के साथ पढ़ें, के तहत सीसीआई ने 4 बोलीदाताओं यथा महालक्ष्मी, लाह्स ग्रीन, संजय एजेंसीज और इकोमन पर जुर्माना घटा दिया।

नागरिक चेतना मंच द्वारा अधिनियम की धारा 19(1)(ए) के तहत उपलब्ध कराई गयी सूचना के आधार पर इन कंपनियों के खिलाफ मामले दर्ज किये गये थे। जांच के दौरान इन सभी 6 कंपनियों ने कम जुर्माने वाले आवेदकों के रूप में सीसीआई से संपर्क किया था।

जांच के दौरान प्राप्त साक्ष्यों से सीसीआई ने यह पाया कि धारा 3(3) (डी), जिसे अधिनियम की धारा 3(1) के साथ पढ़ें, का उल्लघंन करते हुए ‘नगरपालिका संबंधी कार्बनिक एवं अकार्बनिक ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्रों की डिजाइनिंग, आपूर्ति, स्थापना, शुभारंभ, परिचालन एवं रखरखाव’ से जुड़ी वर्ष 2014 की निविदा संख्या 34,35,44,62 और 63 के अंतर्गत बोली में हेराफेरी की गई/सांठगांठ कर बोली लगाई गई। इसके अलावा, प्रॉक्सी/कवर बोलियां प्रस्तुत कर निविदाओं में हेराफेरी करने के लिए विभिन्न व्यक्तियों के बीच सांठगांठ होने के बारे में भी सीसीआई को पता चला जिनमें कंपनियों के मालिक/भागीदार/निदेशक भी शामिल थे।

अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन को ध्यान में रखते हुए अधिनियम की धारा 27(बी) के तहत 6 कंपनियों यथा फोर्टिफाइड, इकोमन, लाह्स ग्रीन, संजय एजेंसीज, महालक्ष्मी और रघुनाथ पर देय जुर्माने के रूप में क्रमश: 13.07 लाख, 45.20 लाख, 42 लाख, 1.51 करोड, 3.36 करोड़ और 30.55 लाख रुपये की गणना की गयी थी। सीसीआई ने सांठगांठ वाले वर्ष से पहले के तीन वर्षों यथा 2012-13, 2013-14 और 2014-15 में इन कंपनियों को हुए मुनाफे के 10 प्रतिशत की दर से उन पर पेनाल्टी लगाई। फोर्टिफाइड और महालक्ष्मी के विभिन्न व्यक्तियों पर कोई पेनाल्टी नहीं लगाई गई क्योंकि ये एकल स्वामित्व (प्रोप्राइटरशिप) वाली फर्में हैं।

इस गुटबंदी द्वारा अपनाये गये तरीके के साथ-साथ जिस चरण में कम जुर्माने वाला आवेदन पेश किया गया था उसे भी ध्यान में रखते हुए सीसीआई ने महालक्ष्मी और लाह्स ग्रीन तथा उनसे जुड़े विभिन्न व्यक्तियों पर देय जुर्माने में 50 प्रतिशत की कटौती करने की मंजूरी दे दी। इसी तरह संजय एजेंसीज और इकोमन के साथ-साथ उनसे जुड़े विभिन्न व्यक्तियों पर देय जुर्माने में क्रमशः 40 तथा 25 प्रतिशत की कटौती करने की मंजूरी दी गयी। इस कटौती के बाद महालक्ष्मी, लाह्स ग्रीन, संजय एजेंसीज और इकोमन पर लगाई गई पेनाल्टी क्रमशः 1.68 करोड़, 21 लाख, 90.64 लाख और 33.90 लाख रुपये आंकी गई।

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