सरस ने दूसरी परीक्षण उड़ान सफलतापूर्वक पूरी की, भारतीय वायु सेना शुरू में 15 विमान शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध



बेंगलुरु, 22 फरवरी 2018, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

भारत के स्वदेशी हल्के परिवहन विमान सरस ने 21 फरवरी को दूसरी बार परीक्षण उड़ान सफलतापूर्वक पूरी की। विमान की कमान भारतीय वायु सेना की एयरक्राफ्ट और सिस्टम टेस्टिंग स्टैब्लीशमेंट के विंग कमांडर यू० पी० सिंह, ग्रुप कैप्टन आर० वी० पाणिकर और ग्रुप कैप्टन के० पी० भट्ट के पास थी और इसने बेंगलुरु के एचएएल हवाई अड्डे से उड़ान भरी।

सरस पीटी1एन के उत्पादन संस्करण का इस्तेमाल रोकने से पहले निर्धारित 20 परीक्षण उड़ानों में से यह दूसरी उड़ान थी। पहली सफल उड़ान का परीक्षण इस वर्ष 24 जनवरी को किया गया था। विमान का डिजाइन और विकास सीएसआईआर-नेशनल एयरो स्पेस लैबोलेट्रीज (एनएएल) द्वारा किया गया है। एनएएल के अनुसार उत्पादन मॉडल डिजाइन के इस वर्ष जून-जुलाई तक तैयार होने की उम्मीद है।

सीएसआईआर-एनएएल के वैज्ञानिकों और भारतीय वायु सेना के कमांडरों को बधाई देते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ० हर्ष वर्धन ने कहा कि एक ऐसे विमान को उड़ाने का साहस दिखाने के लिए फ्लाइट कमांडर विशेष प्रोत्साहन के हकदार हैं, जिसे इससे पहले खारिज कर दिया गया था। डॉ० हर्ष वर्धन ने एएसटीई के कमांडेंट और परीक्षण चालक दल के सदस्यों को प्रशस्ति पुरस्कार देने की घोषणा की।

वर्ष 2009 में परीक्षण उड़ान के दौरान एक दुर्घटना के बाद पिछली सरकार ने इस परियोजना को छोड़ दिया था। हालांकि नागर विमानन महानिदेशालय डीजीसीए ने विमान के डिजाइन में किसी तरह की कमी अथवा उत्पादन में खराब गुणवत्ता से इंकार किया था लेकिन परियोजना को पुनर्जीवित करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। डॉ० हर्ष वर्धन ने कहा कि इस स्वदेशी परियोजना को पुनर्जीवित करने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार को जाता है जिसने मेक इन इंडिया मिशन को महत्व दिया है। यह एएसटीई, डीजीएक्यूए, सीईएमआईएलएसी और एचएएल का चरमबिन्दु है।

वर्तमान सरकार द्वारा परियोजना को पुनर्जीवित करने के बाद एनएएल ने डिजाइन में कुछ परिवर्तन किए और सरस पीटी 1 मॉडल में सुधार, जैसे 2X1200 एसएचपी इंजन और 104 इंच के घेरे वाला प्रोपेलर असेम्बल को शामिल किया, ताकि दूसरे खंड की उतार-चढ़ाव जरूरतों, आधुनिक उड़ान नियंत्रण प्रणाली, रडर क्षेत्र, प्रमुख पहिए और ब्रेक, 7100 किलोग्राम एयूवी स्वदेश में विकसित स्टॉल चेतावनी प्रणाली आदि संबंधी उड़ान जरूरतों को पूरा किया जा सकें।

डॉ० हर्ष वर्धन ने कहा कि सीएसआईआर-एनएएल का आरंभ में सेना के लिए और उसके बाद सैनिक संस्करण के लिए सरस-एमके 2 संस्करण लेने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि सरस इसी श्रेणी के किसी आयातित विमान की तुलना में 20-25 प्रतिशत सस्ता होगा। आधुनिक संस्करण 14 सीटों के स्थान पर 19 सीटों का विमान होगा। उन्होंने बताया कि विमान की यूनिट लागत, 70 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामान के साथ, 40-45 करोड़ होगी, जबकि आयातित विमान की कीमत 60-70 करोड़ है और इसके आयातित विमान की तुलना में अधिक फायदे हैं।

एचएएल की सरस के सैनिक संस्करण के लिए उत्पादन एजेंसी के रूप में पहचान की गई है, जबकि असैनिक संस्करण का उत्पादन एक निजी उद्योग को दिया जाएगा। भारत को अगले दस वर्ष में असैनिक और सैनिक संस्करण के लिए इस प्रकार के 120-160 विमानों की आवश्यकता है।

डॉ० हर्ष वर्धन ने कहा कि सरस एमके 2 एयर टैक्सी, वायु अनुसंधान/सर्वेक्षण, विशेष परिवहन, आपदा प्रबंधन, सीमा पर गश्त, तटरक्षक, एम्बुलेंस और अन्य सामुदायिक सेवाओं जैसे विभिन्न कार्यों के लिए सरकार की उड़ान योजना के अंतर्गत यात्री सम्पर्क के लिए एक आदर्श विमान है। उन्होंने कहा कि इसका सफल विकास भारत में नागर विमानन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना होगी।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस समय उपलब्ध विमान 1970 की टेक्नोलॉजी के हैं। इनमें बीचक्राफ्ट 19000डी, डोर्नियर-228, एम्ब्रेयर ईएमबी 110 शामिल है। इनका ईंधन खर्च अधिक है, स्‍पीड कम है, दबाव मुक्‍त केबिन है, इनकी संचालन लागत अधिक है और ये गर्म और ऊंचाई वाले एयरफील्‍ड से उड़ान भरने के लिए अनुपयुक्‍त है। भारत द्वारा अपनी हल्‍की परिवहन विमान परियोजना शुरू करने के बाद रूस, चीन, अमरीका, इंडोनेशिया और पोलैंड जैसे देशों ने अगली पीढ़ी के 19 सीट वाले विमान के विकास के लिए नये कार्यक्रम शुरू किए।

दूसरी तरफ अपग्रेड किए गए सरस एमके 2 संस्‍करण में कुछ अनोखी विशेषताओं जैसे हाई क्रूज स्‍पीड, कम ईंधन उपयोग, लघु लैंडिंग और टेक ऑफ दूरी, कैबिन में कम शोरगुल, उच्‍च और गर्म एयरफील्‍ड से संचालन की क्षमता, दबावयुक्‍त कैबिन, अर्द्ध तैयार एयरफील्‍ड से परिचालन और कम अधिग्रहण और रखरखाव लागत के साथ विशेष वेट/ड्रेग रिडक्‍शन है।

सीएसआईआर के महानिदेशक डा० गिरीश साहनी ने कहा कि सरस एमके 2 के विकास और उसके सत्‍यापन पर 600 करोड़ रूपये खर्च आएगा और करीब 2 से 3 वर्ष का समय लगेगा।

परीक्षण उड़ान के दौरान डा० हर्ष वर्धन और डा० गिरीश साहनी के अलावा, सीएसआईआर-एनएएल के निदेशक जितेन्‍द्र सिंह जाधव, और एएसटीई के कमांडेंट एयर वाइस मार्शल संदीप सिंह, एसीएएस परियोजना, भारतीय वायु सेना के एयर मार्शल उपकारजीत सिंह और एवीएम जे चेलापति, एचएएल के सीईओ शेखर श्रीवास्तव, सीईएमआईएलएसी के सीई पी० जयपाल और एक्यूए के एडीजी वी० एल० राजा भी मौजूद थे।

एयर वाइस मार्शल संदीप सिंह ने कहा कि भारतीय वायु सेना परीक्षण करने और उसके बाद स्वदेश में डिजाइन और निर्मित पहले हल्के परिवहन विमान को शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना इस कार्यक्रम को पूरा सहयोग दे रही है और सरस के नए संस्करण के डिजाइन और विन्यास का प्रयोग जल्दी ही रोक दिया जाएगा।

इससे पहले डॉ० हर्ष वर्धन ने एयरपोर्ट इन्स्ट्रूमेंटेशन फैसेलिटी का उद्घाटन किया और एक प्रदर्शनी देखी। वह सीएसआईआर-एनएएल की विंड सोलर हाईब्रिड प्रणाली को भी देखने गए।

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