खबरें विशेष : मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी



नई दिल्ली, 20 फरवरी 2018, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

(●) राष्‍ट्रीय शहरी आवास कोष के गठन को मंत्रिमंडल की मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने 60,000 करोड़ रुपए के राष्‍ट्रीय शहरी आवास कोष (एनयूएचएफ) के गठन को मंजूरी दे दी है। यह कोष निर्माण सामग्री एवं प्रौद्योगिकी संवर्धन परिषद (बीएमटीपीसी) में होगा। बीएमपीटीसी आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय का एक स्‍वायत्‍ताशासी निकाय है, जो संस्था पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत पंजीकृत है।

मंत्रालय ने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत अब तक 39.4 लाख मकानों के निर्माण की मंजूरी दी है। राज्‍यों और संघ शासित प्रदेशों की ओर से योजना को अच्‍छी प्रतिक्रिया मिली है। योजना के तहत करीब दो-तीन लाख मकान हर महीने मंजूर किए जा रहे हैं। अब तक 17 लाख से ज्‍यादा मकानों का निर्माण शुरू हो चुका है और पांच लाख मकान बनकर तैयार हो चुके हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत ऋण आधारित ब्‍याज सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) के तहत जहां आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्‍ल्‍यूएस), निम्‍न आय वर्ग (एलआईजी) और मध्‍य आय वर्ग (एमआईजी) के लाभार्थियों के लिए कर्ज की व्‍यवस्‍था बैंकों और एचएफसी की ओर से की गई है, वहां से लगातार अच्‍छी प्रतिक्रिया मिल रही है। योजना के तहत पिछले आठ महीनों में करीब 87 हजार आवास ऋण मंजूर किए जा चुके हैं और 40,000 आवेदन विचारार्थ हैं। देश की आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर 2022 तक 1.2 करोड़ मकानों की कमी को पूरा करते हुए देश में सबके लिए आवास सुनिश्चित करने का लक्ष्‍य रखा गया है।

अगले चार वर्षों में एनयूएचएफ जरूरी धन जुटाने का काम करेगा, ताकि लाभार्थी आधारित व्‍यक्तिगत आवास (बीएलसी), भागीदारी में किफायती आवास (एएचएफ), स्‍व-स्‍थाने स्‍लम पुनर्वास (आईएसएसआर) और सीएलएसएस जैसी विभिन्‍न योजनाएं टिकी रह सकें, इनके लिए केन्‍द्रीय मदद का रास्‍ता आसान बनें और शहरी क्षेत्रों में मकानों की कमी को आसानी से पूरा किया जा सके।


(●) हरियाणा के गुरुग्राम में भारतीय रक्षा विश्‍वविद्यालय की भूमि के पास बस-बे के निर्माण को मंत्रिमंडल की मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने हरियाणा के गुरुग्राम में भारतीय रक्षा विश्‍वविद्यालय की भूमि के पास बस-बे के निर्माण के लिए भारतीय राष्‍ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की तीन मरला जमीन को गैर-अधिसूचित करने को मंजूरी दे दी है। मंत्रिमंडल ने इसके साथ ही तीन मरला जमीन को गैर अधिसूचितकरने पर हरियाणा सरकार द्वारा वापस किए गए 1,82,719 लाख रुपए के भुगतान को भी मंजूरी दी। यह राशि भूमि अधिग्रहण के दौरान हरियाणा सरकार को 2011 में दी गई थी।

• पृष्‍ठभूमि

भारतीय रक्षा विश्‍वविद्यालय हरियाणा के गुरुग्राम जिले के बिनौला और विलासपुर में बनाया जा रहा है। यह दिल्‍ली-जयपुर राष्‍ट्रीय राजमार्ग पर जयपुर की तरफ राष्‍ट्रीय सुरक्षा गार्ड के मुख्‍यालय से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर होगा।

यह विश्वविद्यालय केवल सशस्‍त्र सेना के तीनों अंगों के साथ ही नहीं, बल्कि अर्द्धसैनिक बलों, खुफिया सेवाओं, राजनयिकों, शिक्षाविदों, रणनीतिक नियोजकों, विश्‍वविद्यालय के छात्रों तथा मित्र देशों के अधिकारियों के बीच बेहतर समन्‍वय और संपर्क को भी बढ़ावा देगा।

राष्‍ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की तीन मरला भूमि रक्षा मंत्रालय और राष्‍ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के दोहरे स्‍वामित्‍व में थी। लोगों के हित को ध्‍यान में रखते हुए भारतीय रक्षा विश्‍वविद्यालय ने दिल्‍ली-जयुपर राजमार्ग पर भीड़भाड़ को कम करने के लिए राष्‍ट्रीय राजमार्ग संख्‍या-8 के साथ बस-बे के निर्माण का प्रस्‍ताव रखा था। यात्रियों की सुरक्षा और आराम के लिए बस-बे के निर्माण के वास्‍ते एनएचएआई ने तीन मरला भूमि का अधिग्रहण किया है। इसके बनने से गुरुग्राम और दिल्‍ली के बीच सड़क संपर्क बेहतर होगा। स्‍थानीय निवासियों के अलावा भारतीय रक्षा विश्‍विद्यालय के छात्र-शिक्षक और गैर शिक्षक कर्मचारी और उनके परिवारों के करीब 12000 से 15000 लोग बस सेवा का लाभ लेंगे।


(●) मंत्रिमंडल ने भारत और इस्राइल के बीच फिल्मों के सह-निर्माण के समझौते का अनुमोदन किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और इस्राइल के बीच फिल्म निर्माण से जुड़े एक समझौते को पूर्वव्यापी मंजूरी प्रदान की है। इस समझौते पर 15 जनवरी 2018 को नई दिल्ली में हैदराबाद हाउस में इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहु के भारत दौरे के समय दोनों देशों ने हस्ताक्षर किए थे।

किसी अंतर्राष्ट्रीय पक्ष के साथ मिलकर किसी भारतीय फिल्म के सह-निर्माण का अर्थ है कि कोई भारतीय निर्माता अपनी फिल्म के लिए अंतर्राष्ट्रीय कोषों से धन प्राप्त कर सकता है और पटकथा, प्रतिभा तथा वितरण के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर साझेदारी कर सकता है। इस संधि के तहत सह फिल्म निर्माण से भारत और इस्राइल दोनों ही देशों में राष्ट्रीय स्तर पर फिल्म निर्माण की योग्यता प्राप्त हो जाएगी। इससे दोनों ही देशों को कलात्मक, तकनीकी, वित्तीय और विपणन संसाधनों काएक साझा रचनात्मक मंच प्राप्त होगा। सह-निर्माण से निर्मित फिल्म दोनों ही देशों में घरेलू फिल्म महोत्सवों में घरेलू श्रेणी में भागीदारी की योग्य होंगी साथ ही किसी भी ऐसी प्रोत्साहन राशि के योग्य होंगी जो कि फिल्म के निर्माण या निर्माण के बाद के लिए दोनों ही देशों में प्रदान की जाती है।

फिल्म सह-निर्माण समझौते पर हस्ताक्षर से दोनों ही देशों के नागरिकों के बीच कला एवं संस्कृति, सद्भावना निर्माण तथा बेहतर समझदारी को बढ़ावा मिलेगा और फिल्म निर्माण के विभिन्न पहलुओं को समझने का अवसर मिलेगा। इस समझौते से कलाकारों, तकनीकी और गैर-तकनीकी लोगों को रोजगार प्राप्त करने में मदद मिलेगी।


(●) केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने रेलवे क्षेत्र में भारत-मोरक्‍को सहयोग समझौते को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और मोरक्‍को के नेशनल रेलवे कार्यालय के बीच सहयोग के समझौते को पूर्वव्यापी मंजूरी दे दी है। इसके अंतर्गत रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में दीर्घकालिक सहयोग और साझेदारी विकसित की जाएगी। सहयोग समझौते पर 14 दिसम्बर, 2017 को हस्ताक्षर किए गए थे।

• सहयोग समझौते से निम्नलिखित क्षेत्रों में तकनीकी सहयोग संभव हो सकेगाः-
(क )प्रशिक्षण और कर्मचारियों का विकास
(ख) विशेषज्ञ मिशन, अनुभव और कर्मियों का आदान-प्रदान; और
(ग) विशेषज्ञों के आदान-प्रदान सहित आपसी तकनीकी सहायता

• पृष्ठभूमिः

रेल मंत्रालय ने रेल क्षेत्र में तकनीकी सहयोग के लिए विभिन्न देशों की सरकारों और राष्ट्रीय रेलवे के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए। सहयोग के पहचाने गए क्षेत्रों में उच्च गति के गलियारों सहित, वर्तमान मार्गों की गति बढ़ाना, विश्व स्तर के स्टेशन विकसित करना, भारी वजन वाले सामान को ले जाना और रेलवे के बुनियादी ढांचे का आधुनीकीकरण आदि शामिल हैं। सहयोग की प्राप्ति रेलवे टेक्नोलॉजी और उसके प्रचालन के क्षेत्रों के विकास के बारे में सूचना के आदान-प्रदान, जानकारी साझा करने, तकनीकी दौरों, आपसी हित के क्षेत्रों में प्रशिक्षण और संगोष्ठियों तथा कार्याशालाओं के आयोजन से होगी।

समझौता ज्ञापनों में भारतीय रेलवे को एक मंच प्रदान किया गया है ताकि वह रेलवे के क्षेत्र में नवीनतम विकास और जानकारी के बारे में चर्चा कर सके और उसे साझा कर सके। समझौता ज्ञापनों में तकनीकी विशेषज्ञों, रिपोर्टों और तकनीकी दस्तावेजों के आदान-प्रदान, प्रौद्योगिकी के कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में संगोष्ठियों/कार्याशालाओं पर जोर देने और जानकारी साझा करने के लिए अन्य तरह की बातचीत को आगे बढ़ाया जाएगा।


(●) केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अनियमित जमा योजना और चिट फंडों (संशोधन) पर प्रतिबंध लगाने के नए विधेयक, 2018 को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने निवेशकों की बचतों की रक्षा करने के लिए एक प्रमुख नीतिगत पहल करते हुए निम्नलिखित विधेयकों को संसद में पेश करने की मंजूरी दे दी हैः-
(क)अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक, 2018 और
(ख)चिट फंड (संशोधन) विधेयक, 2018

अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक, 2018

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक, 2018 को संसद में पेश करने की मंजूरी दे दी है। इस विधेयक का उद्देश्य देश में गैर-कानूनी जमा राशि से जुड़ी समस्याओं से निपटना है। ऐसी योजनाएं चला रही कंपनियां/संस्थान वर्तमान नियामक अंतरों का लाभ उठाते है और कड़े प्राशासनिक उपायों के अभाव में गरीबों और भोले-भाले लोगों को ठगते हैं।

• विवरणः

अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक, 2018 देश में गैर-कानूनी बचत योजनाओं से जुड़ी बुराई से निपटने के लिए एक विस्तृत कानून इस प्रकार प्रदान करेगा,

(क) अनियमित जमा राशि से संबंधित गतिविधियों पर पूर्ण रोक
(ख) अनियमित जमा राशि लेने वाली योजना को बढ़ावा देने अथवा उनके संचालन के लिए सजा
(ग) जमाकर्ताओं को अदायगी करते समय धांधली के लिए कड़ी सजा
(घ) जमा करने वाले प्रतिष्ठानों द्वारा चूक की स्थिति में जमा राशि की अदायगी सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा एक सक्षम प्राधिकार की नियुक्ति
(ङ) चूक करने वाले प्रतिष्ठान की संपत्ति कुर्क करने के लिए अधिकार देने सहित सक्षम प्राधिकार की शक्तियां और कामकाज
(च) जमाकर्ताओं की अदायगी की निगरानी और अधिनियम के अंतर्गत अपराधों पर कार्रवाई करने के लिए अदालतों का गठन; और
(छ)विधेयक में नियमित जमा योजनाओं को सूचीबद्ध करना, जिसमें सूची का विस्तार करने अथवा काट-छांट करने के लिए केन्द्र सरकार को सक्षम बनाने का खंड हो।

• प्रमुख विशेषताएं :

विधेयक की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैः

· विधेयक में प्रतिबंध लगाने संबंधी एक मूलभूत खंड हैं, जो जमा राशि लेने वाले को किसी भी अनियमित जमा योजना के लिए राशि लेने के लिए प्रोत्‍साहित करने, उसे प्रचलित करने, विज्ञापन जारी करने अथवा जमा राशि स्वीकार करने से रोकता है। इसका प्रमुख नियम यह है कि विधेयक अनियमित जमा राशि लेने वाली गतिविधियों पर रोक लगाएगा, इसे वर्तमान कानून और नियामक ढांचे के बजाय प्रत्याशित अपराध माना जाएगा, जो पर्याप्त समय के साथ यथार्थ निवेश पर लागू होगा।

· विधेयक में तीन अलग-अलग प्रकार के अपराध निर्धारित किए गए हैं, जिनमें अनियमित जमा योजनाओं को चलाना, नियमित जमा योजनाओं में धांधली और अनियमित जमा योजनाओं को गलत तरीके से प्रोत्साहन।

· विधेयक में बचाव कार्य करने के लिए कड़ी सजा और भारी जुर्माने की व्यवस्था की गई है।

· विधेयक में ऐसे मामलों में जमाराशि को निकालने अथवा उसकी अदायगी के लिए पर्याप्त प्रावधान किए गए है, जहां ऐसी योजनाओं के लिए अवैध तरीके से जमा राशि जुटाने में सफलता मिल जाती है।

· विधेयक में सक्षम प्राधिकार द्वारा संपत्तियों/परिसंपत्तियों को कुर्क करने और जमाकर्ताओं को अदायगी के लिए सम्‍पत्ति की अनुवर्ती वसूली का प्रावधान किया गया है।

· संपत्ति की कुर्की और जमाकर्ताओं को धनराशि लौटाने के लिए स्पष्ट समय निर्धारित किया गया है।

· विधेयक में एक ऑनलाइन केन्द्रीय डेटाबेस तैयार करने की व्यवस्था है जिससे देश में जमा करने की धनराशि लेने की गतिविधियों के बारे में सूचनाएं एकत्र करने और उन्हें साझा करने की व्यवस्था होगी।

· विधेयक में “जमाराशि लेने वाले” और “जमाराशि” को विस्तार से परिभाषित किया गया है।

· “जमाराशि लेने वालों” में धनराशि लेने वाली अथवा मांगने वाली सभी संभावित कंपनियां (व्यक्तियों सहित) शामिल होंगी। इनमें केवल उन विशिष्ट कंपनियों को शामिल नहीं किया जाएगा, जिन्हें कानून द्वारा शामिल किया गया है।

· “जमाराशि” को इस तरीके से परिभाषित किया गया है कि जमा राशि लेने वालों पर प्राप्तियों के रूप में जनता की जमा राशि को छिपाने से रोक होगी और साथ ही अपने सामान्य व्यवसाय के दौरान किसी प्रतिष्ठान द्वारा धनराशि स्वीकार करने से रोक होगी।

· एक विस्तृत केन्द्रीय कानून होने के कारण विधेयक में कानून की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं को अपनाया गया है साथ ही कानून के प्रावधानों को लागू करने की प्रमुख जिम्मेदारी राज्य सरकारों को सौंपी गई है।

• पृष्ठभूमिः

वित्त मंत्री ने 2016-17 के अपने बजट भाषण में गैर-कानूनी जमाराशि लेने वाली योजनाओं से जुड़ी बुराइयों से निपटने के लिए एक विस्तृत केन्द्रीय कानून लाने की घोषणा की थी। पिछले दिनों देश के विभिन्न भागों में ऐसी घटनाएं सामने आई जिनमें गैर-कानूनी तरीके से जमा राशि लेने की योजनाओं के जरिए लोगों के साथ धोखाधड़ी की गई। इस तरह की योजनाओं के सबसे अधिक शिकार गरीब और ऐसे लोग हुए जिनको वित्तीय मामलों की जानकारी नहीं थी और ऐसी योजनाएं अनेक राज्यों में चल रही थीं। साथ ही वित्त मंत्री ने अपने 2017-18 के बजट भाषण में घोषणा की कि गैर-कानूनी जमा योजनाओं की बुराइयों को कम करने के लिए एक विधेयक का मसौदा सार्वजनिक किया जाएगा और उसे अंतिम रूप देने के बाद जल्द ही पेश किया जाएगा।

• चिट फंड (संशोधन) विधेयक, 2018

प्रधानमंत्री नरेन्द्री मोदी के अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने चिट फंड (संशोधन) विधेयक, 2018 को संसद में पेश करने की मंजूरी दे दी। चिट फंड क्षेत्र की सुव्यवस्थित वृद्धि और चिट फंड उद्योग के रास्ते में आने वाली अड़चनों को समाप्त करने के लिए, साथ ही अन्य वित्तीय उत्पादों तक लोगों की अधिक वित्तीय पहुंच सुनिश्चित करने के लिए, चिट फंड कानून, 1982 में निम्नलिखित संशोधनों का प्रस्ताव किया गया हैः

चिट फंड कानून, 1982 के अनुच्छेद 2(बी) और 11(1) के अंतर्गत चिट व्यवसाय के लिए “बंधुत्व कोष” शब्द का इस्तेमाल उसकी अंतर्निहित प्रकृति को स्पष्ट करने और एक अलग कानून के अंतर्गत प्रतिबंधित “प्राइज चिट” से उसके कामकाज को अलग करना है।

चिट का ड्रॉ कराने के लिए कम से कम दो ग्राहकों की जरूरत को बरकरार रखते हुए और कार्यवाही की अधिकृत रिपोर्ट तैयार करने के लिए, चिट फंड (संशोधन) विधेयक, 2018 में यह इजाजत देने का प्रस्ताव है कि वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए कम से कम दो ग्राहक शामिल हों, जिसकी रिकॉर्डिंग चिट के अंतिम चरणों की दिशा में ग्राहकों की मौजूदगी के रूप में फोरमैन द्वारा की जाए। फोरमैन के पास कार्यवाही की अधिकृत रिपोर्ट होगी, जिस पर कार्यवाही के दो दिन के अंदर ऐसे ग्राहकों के हस्ताक्षर होंगे;

फोरमैन के कमीशन की अंतिम सीमा अधिकतम पांच प्रतिशत से बढ़ाकर सात प्रतिशत करना, क्योंकि कानून के लागू होने तक दर अपरिवर्तनीय है, जबकि ऊपरी खर्चों और अन्य खर्चों में कई गुना वृद्धि हुई है।

फोरमैन को यह अधिकार दिया जाएगा कि वह ग्राहकों से बकाये की राशि ले ताकि उन ग्राहकों के लिए चिट कंपनी द्वारा मुआवजे की इजाजत दी जा सके, जिन्होंने पहले से ही धनराशि निकाल ली है ताकि उनके द्वारा धांधली को रोका जा सके; और

चिट फंड कानून, 1982 के अनुच्छेद 85(ख) में संशोधन ताकि चिट फंड कानून तैयार करते समय 1982 में निर्धारित सौ रूपये की सीमा को समाप्त किया जा सके, जो अपना महत्व खो चुकी है। राज्य सरकारों को सीलिंग निर्धारित करने और उसमें समय-समय पर वृद्धि करने की इजाजत देने का प्रस्ताव किया गया है।


(●) केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने ओडिशा के अनुरोध पर महानदी जल विवाद-अंतरराज्यीय नदी विवाद कानून, 1956 के अंतर्गत न्यायाधिकरण के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने महानदी नदी जल विवाद के न्यायिक निपटारे के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। न्यायाधिकरण सम्पूर्ण महानदी बेसिन में पानी की सम्पूर्ण उपलब्धता, प्रत्येक राज्य के योगदान, प्रत्येक राज्य में जल संसाधनों के वर्तमान उपयोग और भविष्य के विकास की संभावना के आधार पर जलाशय वाले राज्यों के बीच पानी का बंटवारा निर्धारित करेगा।

अंतरराज्यीय नदी जल विवाद (आईएसआरडब्ल्यूडी) कानून, 1956 के प्रावधानों के अनुसार न्यायाधिकरण में एक अध्यक्ष और दो अन्य सदस्य होंगे, जिन्हें भारत के मुख्य न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों में से मनोनीत करेंगे। इसके अलावाजल संसाधन विशेषज्ञ दो आकलनकर्ताओं की सेवाएं न्यायाधिकरण की कार्यवाही में सलाह देने के लिएप्रदान की जाएंगी। इन आकलनकर्ताओं को जल संबंधी संवेदनशील मुद्दों को निपटाने का अनुभव होगा।

आईएसआरडब्ल्यूडी कानून, 1956 के प्रावधानों के अनुसार न्यायाधिकरण को अपनी रिपोर्ट और फैसले तीन वर्ष की अवधि के भीतर देने होंगे, जिसे अपरिहार्य कारणों से दो वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।

उम्मीद है कि न्यायाधिकरण द्वारा विवाद के न्यायिक निपटारे के साथ ही महानदी नदी पर ओडिशा और छत्तीसगढ़ राज्यों के बीच लंबित विवाद का अंतिम निपटारा हो सकेगा।


(●) मंत्रिमंडल ने कर्नाटक में राष्ट्रीय राजमार्ग- 275 के नीदागट्टा-मैसूरु सेक्शन को छह लेन करने की मंजूरी दी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने कर्नाटक में हाईब्रिड एन्यूइटी मोड के 74.200 किलोमीटर से 135.304 किलोमीटर तक राष्ट्रीय राजमार्ग-275 के नीदागट्टा-मैसूरु सेक्शन को छह लेन करने की मंजूरी दे दी है।

करीब 61 किलोमीटर को छह लेन का बनाने पर 2919.81 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। इसमें भूमि अधिग्रहण का खर्च और निर्माण गतिविधियां शामिल है। इसके निर्माण पर 2028.93 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है।

इस परियोजना के निर्माण के दौरान स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। राजमार्ग को चौड़ा करने और उसमें सुधार के साथ, इन क्षेत्रों में अधिक आर्थिक वृद्धि देखने को मिलेगी जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इस मार्ग के निर्माण के दौरान स्थानीय स्तर पर 2,48,000 (अनुमानतः) मानव दिवस रोजगार की संभावना है।

परियोजना सड़क राष्ट्रीय राजमार्ग-275 का एक हिस्सा है जो कर्नाटक के दो प्रमुख शहरों व्यावसायिक राजधानी बैंगलुरु और सांस्कृतिक राजधानी मैसूरु को जोड़ेगी। साथ ही यह महत्वपूर्ण स्थलों मेंगलोर, कोडागू, केरल के कुछ हिस्सों आदि को बैंगलुरु से जोड़ेगी।

वर्तमान चार लेन वाली सड़क से क्षमता से अधिक वाहन गुजरते हैं जिसके कारण ट्रैफिक जैम और दुर्घटनाएं होती हैं। यह सड़क भीड़-भाड़ वाले और घनी आबादी वाले शहरों और बस्तियों जैसे मद्दूर, मांडया और श्रीरंगपटना आदि से गुजरती है।

दोनों तरफ सात मीटर की सर्विस रोड़ पर छह लेन के उन्नयन और मद्दूर, मांडया और श्रीरंगपटना पर बाईपास के निर्माण और राष्ट्रीय राजमार्ग के इस हिस्से को अलग करने के ढांचे के तैयार हो जाने पर यात्रा के समय और खर्च की बचत होगी। खासतौर से क्षेत्र में भारी यातायात से निजात मिलेगी। बाईपास के प्रावधान से मद्दूर, मांडया और श्रीरंगपटना के शहरी इलाकों से भीड़-भाड़ कम होगी। मद्दूर के घने निर्मित इलाकों में ऐलीवेटेड रोड़ का प्रस्ताव है। इस परियोजना में दोनों तरफ करीब 60.35 किलोमीटर सर्विस रोड़ का निर्माण होगा, जिससे बसे हुए/शहरी इलाकों में स्थानीय यातायात का आवागमन सरल हो सकेगा।

बसों के शैल्टर 21 स्थानों पर बनाए जा रहे हैं जिससे सार्वजनिक परिवहन की सुविधा में सुधार होगा। इस क्षेत्र में यातायात वर्तमान में 41433 से 52163 यात्री कार यूनिट है और निकट भविष्य में यातायात में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने बड़े अच्छे समय पर छह लेन के विस्तार का कदम उठाया है।


(●) मंत्रिमंडल द्वाराकोयला खान (विशेष उपबंध) अधिनियम 2015 और खान एवं खनिज (विकास और नियमन) अधिनियम 1957 के तहत कोयले की बिक्री के लिए खदानों/ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया को मंजूरी

• वाणिज्यिक कोयला खनन को निजि क्षेत्र के लिए खोला जाना 1973 में इस क्षेत्र के राष्ट्रीयकरण के बाद का इस क्षेत्र का सबसे महत्वाकांक्षी सुधार यह प्रक्रिया कोयला क्षेत्र में पारदर्शिता लाने तथा कारोबारी सुगमता को उच्च प्राथमिकता प्रदान करती है और यह सुनिश्चित करती है कि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग देश के विकास के लिए हो एकाधिकार से प्रतिस्पर्धा युग की ओर कदम बढ़ाते हुए दक्षता लाना ज्यादा निवेश से प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार पैदा होंगे इससे कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित होने, कोयले के आवंटन के प्रति जवाबदेही तथा सस्ते कोयला मिलने से ऊर्जा सुरक्षा भी सुनिश्चत होगी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने आज कोयला खान (विशेष उपबंध) अधिनियम, 2015 और खान एवं खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम 1957 के तहत कोयले की बिक्री के लिए खानों/ब्लॉकों की निलामी पद्धति को मंजूरी दे दी। निजी क्षेत्र के लिए व्यवसायिक कोयले के खनन को निजी क्षेत्र के लिए खोला जाना 1973 में इस क्षेत्र के राष्ट्रीयकरण के बाद कोयला क्षेत्र का सबसे महत्वाकांक्षी सुधार है।

उच्चतम न्यायालय ने दिनांक 24.09.2014 के अपने आदेश के जरिए कोयला खान राष्ट्रीयकरण अधिनिमय 1973 के तहत 1993 से विभिन्न सरकारी और निजि कंपनियों को दिए गए कोयला खानों और ब्लॉकों का आवंटन रद्द कर दिया था। पारदर्शिता लाने तथा जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए संसद द्वारा 30.03.2005 को कोयला खान विशेष उपबंध विधेयक 2015 को अधिसूचित किया गया था। इस अधिनियम में कोयले की बिक्री तथा नीलामी प्रक्रिया के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं की गई हैं। यह प्रक्रिया पारदर्शिता लाने तथा कारोबारी सुगमता को उच्च प्राथमिकता देती है और साथ ही यह सुनिश्चत करती है कि प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल राष्ट्रीय विकास के लिए हो। नीलामी प्रक्रिया नीचे से ऊपर के क्रम में होगी जिसमें बोली के मानक रूपये और टन के मूल्य प्रस्ताव के रूप में होंगे, जिसका भुगतान कोयले के वास्तविक उत्पादन के आधार पर राज्य सरकार को किया जाएगा। कोयला खानों से निकाले गए कोयले की बिक्री और उपयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। इस सुधार से एकाधिकार से प्रतिस्पर्धा के युग की बढ़ते हुए कोयला क्षेत्र में दक्षता आने की उम्मीद है। यह कोयला क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएगा और हरसंभव बेहतरीन प्रौद्योगिकी का रास्ता खोलेगी।

ज्यादा निवेश होने से कोयले क्षेत्रों विशेषकर खनन क्षेत्रों में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे, जिससे इन क्षेत्रों के आर्थिक विकास पर असर पड़ेगा।

इससे ऊर्जा भी सुनिश्चित होगी। क्योंकि भारत में 70 प्रतिशत बिजली का उत्पादन ताप विद्युत संयंत्रों में होता है। यह सुधार कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित करने के साथ ही कोयले के आवंटन को जवाबदेह बनाएगा तथा किफायती कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा जिससे उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिल सकेगी।

कोयले की बिक्री के लिए कोयला खानों की नीलामी से अर्जित होने वाला पूरा राजस्व कोयला वाले राज्यों को मिलेगा अत: इस प्रक्रिया से उन्हें अधिक राजस्व की प्राप्ति होगी, जिसका इस्तेमाल वे अपने पिछड़े क्षेत्रों और वहां के लोगों तथा जनजातियों के विकास के लिए कर सकेंगे। देश के पूर्वी हिस्से के राज्य इससे विशेष रूप से लाभान्वित होंगे।

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