गर्व से कहो हम हिंदीभाषी हैं : हृदय नारायण मिश्रा



---हृदय नारायण मिश्रा (राष्ट्रीय चेयरमैन व संस्थापक अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी हिंदी परिषद)।

हिंदी भारत देश की मातृभाषा है। गर्व से स्वीकार करते हैं कि हम हिंदीभाषी हैं। अनेकता में एकता का स्वर हिंदी के माध्यम से गूंजता है, जीवन में भाषा का सबसे अधिक महत्व होता है। एक भाषा ही हममें तहजीब का विकास करती हैं। इसी कारण सभी देशों की अपनी एक मूल भाषा होती है, जिसका सम्मान करना देशवासियों का कर्तव्य है।

माना कि भाषा भावनाओं को व्यक्त करने का एक साधन मात्र हैं, लेकिन इस साधन में वह बल है जो दुनियाँ को बदल सकता हैं। विभिन्नताओं के बीच एक भाषा ही है जो एकता का आधार बनती हैं और हम सभी को इस एकता के साधन का सम्मान करना चाहिए। हिंदी हमारी मातृभाषा हैं जिसे सम्मान देना हमारा कर्तव्य हैं।

हिंदी दिवस मनाना आज के समय में अनिवार्य हो गया है। दरअसल तत्कालीन समय में लोग केवल अंग्रेजी पर ही ध्यान देते हैं। लोगों के बीच केवल उन्हीं लोगों को पढ़ा लिखा माना जाता है जो अंग्रेजी बोल पाते हैं। कई स्थानों पर तो हिंदी बोलने से व्यक्ति के 'प्रतिष्ठा' पर फर्क पड़ने लगता है। इस कारण कई लोग हिंदी पर जरा भी ध्यान नहीं देते।

पर किसी भी भाषा के साथ उसकी संस्कृति जुड़ी हुयी होती है। भारत का सांस्कृतिक इतिहास बहुत गौरवशाली रहा है। जो भी भारतीय इस सांस्कृतिक इतिहास की जानकारियों से अछूता रह जाता है अथवा इसे नहीं अपना पाता, वह पूर्ण रूप से भारतीय नहीं हो सकता है। अतः अपने संस्कृति को समझने के लिए हिंदी को जानना अति आवश्यक है। देश में सभी लोगो को आज भी अंग्रेजी का ज्ञान पूर्ण रूप से नहीं हो सका है। अंग्रेजी बोलते समय बीच-बीच में हिंदी का सहारा लेने लगते हैं। अतः यदि किसी व्यक्ति को हिंदी बेहतर आती है तो वह किसी भी स्थान पर प्रतिष्ठित रूप से इसका प्रयोग कर सकता है। इसलिए हिंदी के महत्व को समझना बहुत आवश्यक है।

हिंदी में कई ऐसी रचनाएं हुई है, जिसे पढ़ कर और जिस पर अमल करके व्यक्ति का जीवन बदल सकता है। इस तरह की रचनाओं को पढ़ने समझने के लिए हिंदी का सीखना आवश्यक है।

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