बीएचयू के पूर्व कुलपति पद्मश्री लालजी सिंह का ह्रदयाघात से निधन



--- हरेन्द्र शुक्ला, वाराणसी।

● वर्ष 2004 में इन्हें पद्मश्री मिला था तथा भारतवर्ष में डीएनए फिंगर प्रिंट के जनक भी थे

वाराणसी, 10 दिसम्बर। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं देश के जानेमाने जिनोम वैज्ञानिक पद्मश्री डा• लालजी सिंह का ह्रदयाघात से रविवार को बीएचयू के सर सुन्दरलाल अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई।

उनके मौत की खबर से परिजनों, शुभचिंतकों सहित बीएचयू परिसर में शोक की लहर दौड़ गई। मिली जानकारी के अनुसार डा• सिंह अपने गांव जौनपुर जनपद के कलवारी चार दिन पूर्व आये हुये थे। रविवार को सायं 4 बजे हैदराबाद जाने के लिए 5.30 की फ्लाइट पकड़ने के लिए बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचे थे। इसी बीच एयरपोर्ट पर ही उनके सीने में दर्द की शिकायत हुई। परिजन आनन फानन में उन्हें लेकर बीएचयू के सर सुन्दरलाल अस्पताल के आईसीयू में दाखिल करा दिए। इलाज के दौरान ही चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

बीएचयू के कार्यवाहक कुलपति एवं रजिस्ट्रार डा• नीरज त्रिपाठी सहित कई प्रशासनिक अधिकारी अस्पताल पहुँचकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित किए। गौरतलब है कि देश का सबसे बड़ा अत्याधुनिक उपकरणों से लैस 360 शैय्या वाला बीएचयू ट्रांमा सेंटर इनके ही कार्यकाल में बनकर तैयार हुआ था। इसके अलावा ट्रांमा सेंटर परिसर में इनका ड्रीम प्रोजेक्ट बोनमैरो ट्रांसप्लांट और साइबर लाईब्रेरी रहा है।

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